रोहतक पीजीआइ में हर सातवें कोरोना संक्रमित की मौत, 14 फीसद रहा पीजीआइ का डेथ रेट
पीजीआइ में 7860 मरीज भर्ती हुए जिनमें से 1118 मरीजों की मौत हुई। 6432 मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटे तो 19 मरीजों का अभी भी पीजीआइ के ट्रामा सेंटर में उपचार चल रहा है। आठ मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर उपचाराधीन हैं।
रोहतक, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दोनों लहर के दौरान पीजीआइ में डेथ रेट का ग्राफ चिंताजनक रहा है। कोराेनो संक्रमण के कारण पीजीआइ में भर्ती हर सातवें मरीज की मौत हुई हैं। पीजीआइ में 7860 मरीज भर्ती हुए, जिनमें से 1118 मरीजों की मौत हुई। 6432 मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटे तो 19 मरीजों का अभी भी पीजीआइ के ट्रामा सेंटर में उपचार चल रहा है। आठ मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर उपचाराधीन हैं। पीजीआइ में भर्ती कोरोना मरीजों की मौत दर का बढ़ना तीसरी लहर को लेकर भयभीत कर रहा है। ऐसे में अगर लोगों ने लापरवाही बरती तो हालात बिगड़ते हुए समय नहीं लगेगा। लोगों को बाजारों में भीड़भाड़ से दूर रहना होगा तथा वैक्सीनेसन करवा लेना चाहिए।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की अधिक मौत
पीजीआइ में भर्ती कोरोना संक्रमितों में वैसे तो हर आयुवर्ग में मौतें हुई है। पीजीआइ में 691 पुरुषों व 436 महिलाओं की मौत हुई। वहीं 61 से 70 आयुवर्ग में सबसे अधिक 251 मौत हुई तो सबसे कम 91 से 100 साल के आयुवर्ग में पांच मौत हुई। 91 से 100 साल के आयुवर्ग में कम मौत होने की वजह इस आयु के मरीजों की संख्या नाममात्र होना भी रहा। वहीं इसके बाद जीरो से दस साल के बच्चों की सबसे कम आठ मौत हुई।
छह लाख से अधिक सैंपल की हुई जांच
पीजीआइ लैब में कोरोना लहर के दौरान छह लाख 35 हजार 511 सैंपल की जांच हुई। इनमें से केवल 44165 सैंपल पाजिटिव पाए गए। अगर पिछले सवा साल के दौरान लैब जांच की औसत देखी जाए तो पीजीआइ में प्रतिदिन 1350 सैंपल की जांच हुई। पीजीआइ लैब में 24 घंटे के दौरान दो हजार सैंपल जांचने की क्षमता है।
-इस प्रकार रहा मौत का ग्राफ
आयु वर्ग मौत
0-10 आठ
11-20 14
21-30 80
31-40 136
41-50 215
51-60 229
61-70 251
71-80 136
81-90 44
91-100 पांच
कुल 1118