हिसार एयरपोर्ट पर खराब नहीं होगा पर्यावरण, ईंधन में होगी कटौती, पेड़ होंगे शिफ्ट
एयरपोर्ट निर्माण के समय धूल उडऩे से रोकने के लिए पानी का स्प्रे कराया जाएगा। एयरपोर्ट पर परिचालन के समय कोशिश की जाएगी कि कम से कम ईंधन खर्च हो। और भी कई बिंदुओं पर काम किया जाएगा
हिसार [वैभव शर्मा] हिसार एयरपोर्ट को इंटीग्रेटेड एविएशन हब तक ले जाने के लिए एयरपोर्ट के रास्ते पर्यावरण की जिन समस्याओं से नागरिक उड्डयन विभाग को दो-चार होना पड़ेगा, उसके लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। एयरपोर्ट निर्माण के प्रभाव के साथ इसको लेकर एक प्रबंधन योजना तैयार की गई है। जिसके अनुसार एयरपोर्ट निर्माण के समय धूल उडऩे से रोकने के लिए पानी का स्प्रे कराया जाएगा। एयरपोर्ट पर परिचालन के समय कोशिश की जाएगी कि कम से कम ईंधन खर्च हो।
इसके साथ ही सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमानुसार ऐसे उपकरणों का भी प्रयोग होगा, जिनसे समय-सयम पर मानकों को मॉनिटर किया जा सके। इसके साथ ही सबसे बड़ा फैसला नागरिक उड्डयन विभाग ने पेड़ न काटने का लिया है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो हिसार एयरपोर्ट के विस्तार में बीच में आ रहे पेड़ों को काटा नहीं जाएगा, बल्कि बेंग्लुरु की एक कंपनी से टाइअप किया जा रहा है, ताकि पेड़ों को मशीनों की मदद से मौजूदा स्थान से निकालकर दूसरे स्थान पर स्थापित किया जा सके।
पढिय़े, नागरिक उड्डयन विभाग का पर्यावरण बचाव के लिए प्रबंधन प्लान
व्यापक वायु- धूल रोकने के लिए पानी का स्प्रे
निर्माण चरण के दौरान धूल उत्सर्जन और वाहनों की आवाजाही के कारण वायु पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि यह प्रभाव कम समय के होंगे। इसके लिए निर्माण पर पानी स्प्रे कराया जाएगा। निर्माण सामग्री को भी ढककर लाया जाएगा।
परिचालन चरण- ईंधन का होगा कम प्रयोग
हवा खराब न हो इसके लिए एयरपोर्ट पर फ्लाइट के परिचालन के दौरान ईंधन में कटौती की जाएगी। वायु में उत्सर्जन में धूल, एसओ2, एनओ2, सीओ2 सहित पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 व 10 जैसे प्रदूषक तत्व शामिल हैं। हवाई अड्डों पर आइसीएओ द्वारा उत्सर्जन मानकों को ध्यान में रखा जाएगा। रुपये बचाने और उत्सर्जन को कम करने के लिए कम ईंधन का प्रयोग किया जाएगा। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमों का भी पालन किया जाएगा। विमानों की टैङ्क्षक्सग लंबाई कम करने के लिए एयरपोर्ट का डिजायन तैयार किया जाएगा। वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए आगामी वर्षों में मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी दी जाएगी। एयरमॉनिटङ्क्षरग सिस्टम भी लगाया जाएगा।
जल पर्यावरण- मोबाइल एसटीपी से जल का उपचार
निर्माण के दौरान मोबाइल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट यानि एसटीपी की मदद से बचे हुए पानी को ट्रीट किया जाएगा। निर्माण के लिए भूजल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। पानी की उपलब्धता निकटतम एसटीपी से पूरी की जाएगी।
ऑपरेशन चरण के दौरान: एसटीपी के माध्यम से जल का संशोधन
किसी भी अनुपचारित पानी को जल निकासों या सतह पर नहीं छोड़ा जाएगा। द्वितीय चरण के दौरान कुल 850 केएलडी पानी की आवश्यकता होगी। जिसमें ताजे पानी की आवश्यकता 418 केएलडी है। ताजे पानी की पूर्ति ङ्क्षसचाई और जल संसाधन विभाग से कराई जाएगी। इसके साथ ही अपशिष्ट जल, रोगाणुओं, वीओडी, सीओडी, टीएसएस आदि की संख्या में वृद्धि से आसपास के जल निकास की सेहत के पानी की गुणवत्ता को खराब कर सकता है। इसके लिए 465 केएलडी के अपशिष्ट जल अल्ट्रा निस्पंदन यानि यूएफ उपचार तक 550 केएलडी के प्रस्तावित इन हाउस एसटीपी में साफ किया जाएगा।
विमान के कचरे का उपचार: एसटीपी की मदद ली जाएगी
विमान के शौचालय के कचरे के निस्तारण के लिए इन हाउस एसटीपी का प्रयोग किया जाएगा। भूजल को रीचार्ज करने के लिए छत क्षेत्र, पक्का और कच्चे इलाके से जल संग्रह का प्रावधान और भंडारण प्रस्तावित है।
भूमि- विमानों की उड़ान के लिए जमीन फायदेमंद
रिपोर्ट बताती है कि समतल जमीन होने के कारण यह हवाई पट्टी और एयरपोर्ट के हिसाब से काफी अच्छी है। इससे सरल सुगम हवाई अड्डे के संचालन में काफी मदद मिलेगी। टिकाऊ विमानन के लिए फायदेमंद होगा।
शोर का स्तर: ग्रीन वेल्ट शोर को रोकने का काम करेगी
निर्माण में वाहनों से कुछ शोर जरूर होगा, मगर एयरपोर्ट की परिधि में विकसित ग्रीन वेल्ट शोर को रोकने का काम करेगी। दिन के समय कम शोर का अनुभव होगा। एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही से शोर होगा मगर डायरेक्टरेट ऑफ सिविल एविएशन यानि डीजीसीए सहित अन्य संस्थाओं के मानकों और प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। शोर प्रबंधन कार्ययोजना बनाई जाएगी। हवाई अड्डे पर ध्वनि प्रदूषण को मॉनिटर करने के लिए उपकरण भी लगाए जाएंगे।
ठोस कचरे का प्रबंधन: नगर निगम को दिया जाएगा कचरा
निर्माण आदि से होने वाला ठोस कचरा नगर निगम को दिया जाएगा। वह अपनी सातरोड व अन्य साइटों पर डंप करेंगे। नगर निगम डस्टबिन उपलब्ध कराएगा। भू निर्माण में एसटीपी कीचड़ का उपयोग खाद के रूप में किया जाएगा। कार्गों में किसी भी प्रकार के खतरनाक पदार्थ या कचरे को संभाला नहीं जाएगा।
जैविक पर्यावरण: बीड़ के पास अधिक ऊंची दीवार
हवाई अड्डे से वायु और ध्वनि प्रदूषण से परिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है। बीड़ संरक्षित वन भी पास ऐसे में वन्य जीवों के विमान से टकराव की संभावनाओं को देखते हुए अतिरिक्त ऊंचाई कंपाउंड दीवार बीड़ वन पक्ष की ओर बनाई जाएगी।
आर्थिक सामाजिक लाभ: रोजगार, शिक्षा और व्यापार बढ़ेगा
प्रस्तावित एयरपोर्ट के बनने से लोगों को रोजगार, शिक्षा और व्यापार में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। जिसमें उनका आर्थिक और सामाजिक विकास होगा। इसके साथ ही बहु मॉडल कनेक्टिविटी, औद्योगिक विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर भी विकसित होगा।
एयरपोर्ट परियोजना में यह होगा लाभ
- यह दिल्ली के आइजीआइ हवाई अड्डे की मरम्मत में भी मदद करेगा।
- प्रस्तावित परियोजना बढ़ती वायु यातायात को पूरा करेगी
- शहर के चारों तरफ हरित क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, को कम करने और क्षेत्र में सौंदर्य को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- प्रस्तावित परियोजना के विकास से लोगों को सामाजिक आर्थिक लाभ होगा।
- जिला हिसार और राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।