जोशीले युवा संभाल रहे थे जत्थों का नेतृत्व, नाका टूटने के बाद पीछे जत्थों को आगे बढ़ने की देते सूचना
-किसानों ने ऐसे प्रशासन की तैयारियों को कर दिया फेल -जत्थों की अगुवाई से लेकर आगे बढ़ा
-किसानों ने ऐसे प्रशासन की तैयारियों को कर दिया फेल
-जत्थों की अगुवाई से लेकर, आगे बढ़ाने व ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए बना रखी थी टीमें
-दो महीने से किसान कर रहे थे केंद्र सरकार के खिलाफ आन्दोलन की तैयारी, सरकार नहीं लगी भनक
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मनप्रीत सिंह, हांसी (हिसार): कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में देश की शीर्ष सत्ता के समक्ष विरोध दर्ज करवाने निकले किसानों के जत्थों को रोकने के लिए प्रशासन ने बख्तबंद तैयारियां तो की, लेकिन किसानों की हजारों ट्रालियों के काफिलों व किसानों के बुलंद हौसलों के सामने शासन की तमाम तैयारियां ध्वस्त साबित होती गई। किसानों के प्रत्येक जत्थे में नेतृत्व करने, जाम खुलवाने, खाना पकाने आदि कार्यों की जिम्मेदारी अलग-अलग ग्रुप संभाल रहे थे।
किसानों की तैयारियां को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि ये अचानक से विरोध करने निकल पड़े हैं। पंजाब व हरियाणा के किसान सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंकने की दो महीनों से तैयारी कर रहे थे और केंद्र सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी। प्रत्येक जत्थे की अगुवाई किसान नेता कर रहे थे, जो सबसे पहले नाके पर पहुंचकर इंतजामों को जायजा लेकर पीछे किसानों को सूचना देते। कुछ जोशीले किसानों फिर नेतृत्व थामते और बैरिकेडिग को तोड़ आगे बढ़ रहे किसानों व पुलिस के बीच संघर्ष होता। बेरिकेडिग टूटने व वाटर कैनन का पानी खत्म होते ही किसान पीछे सूचना पहुंचा देते जिसके बाद किसानों का जत्था दिल्ली की और अग्रसर हो जाता। ट्रैफिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी भी जत्थे में अलग से किसानों संभाल रहे थे। जो मार्ग को सुचारु करवाते और आम-जनता की गाड़ियों को भी जाम से निकालते।
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ट्रकों के जाम से जत्थों को रोकने का प्लान फेल
पुलिस ने बीती रात हलके वाहनों का आवागमन हाईवे पर बंद कर दिया व ट्रकों को आगे जाने दिया। प्रशासन की प्लानिग थी कि ट्रकों से जाम लगने के कारण किसान आगे नहीं बढ़ पाएंगे। लेकिन किसानों ने नाकों को तोड़ते ही सबसे पहले ट्रकों को जाम से निकाला और मार्ग सुचारू किया।
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सोलर प्लेट, जनरेटर भी साथ
कई किसानों ने तो ट्रैक्टरों के ऊपर सोलर प्लेट तक रखी हुई थी। इसके अलावा जनरेटर, बाइक, गैस-चूल्हा, सिलेंडर, राशन, सब्जियां, कंबल, कपड़े, दवाईयों सहित सब जरूरी सामान अपने साथ लेकर चल रहे थे। इसके अलावा सभी ट्रालियों को मौसम से बचने के लिए प्लास्टिक से ढंका गया है।
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केवल वाटर कैनन और आंसू गैस ही हथियार
पुलिस फोर्स ने किसानों की जत्थों को रोकने के लिए शुरुआत में लाठीचार्ज करती, लेकिन किसानों की जैसे ही तादाद बढ़ने लगती तो हथियार डाल देती। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने केवल वाटर कैनन व आंसू गैस का इस्तेमाल किया जो नाकाफी साबित हुआ और किसान दिल्ली कूच करने में कामयाब रहे।