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सिरसा में मांगों को लेकर बिजलीमंत्री आवास का घेराव करने निकले कर्मचारी, मिला आश्वासन

कर्मचारियों ने अनुभव आधार पर डीसी रेट लागू करवाने व कर्मचारियों की अन्य लंबित मांगों को लेकर रंविवार को बस स्टैंड स्थित विश्वकर्मा पार्क से जुलूस की शक्ल में बिजली मंत्री के आवास का घेराव करने निकले लेकिन पुलिस ने कर्मचारियों को भूमणशाह चौक पर ही रोक लिया।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 03:51 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 03:51 PM (IST)
सिरसा में मांगों को लेकर बिजलीमंत्री आवास का घेराव करने निकले कर्मचारी, मिला आश्वासन
सिरसा में बिजली मंत्री के आवास पर प्रदर्शन करने के लिए निकले कर्मचारी

सिरसा, जेएनएन। सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने अनुभव आधार पर डीसी रेट लागू करवाने व कर्मचारियों की अन्य लंबित मांगों को लेकर रंविवार को बस स्टैंड स्थित विश्वकर्मा पार्क से जुलूस की शक्ल में बिजली मंत्री के आवास का घेराव करने निकले, लेकिन पुलिस ने कर्मचारियों को भूमणशाह चौक पर ही रोक लिया।  कर्मचारी वहीं रोड पर धरना देकर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद बिजली मंत्री के निजी सचिव जगसीर सिंह कर्मचारियों के बीच पहुंचे और उन्होंने कर्मचारियों को मंत्री से 14 अप्रैल को बातचीत का आश्वासन देकर कर्मचारियों को शांत किया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर फिर से वायदाखिलाफी की गई तो कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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प्रदर्शन की अध्यक्षता सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान मदन लाल खोथ ने की, जबकि मंच सचालन जिला सचिव राजेश भाकर, वरिष्ठ उप प्रधान करणी सिंह भाटी ने किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता सर्व कर्मचारी संघ के राज्य कोषाध्यक्ष राजेन्द्र बाटू, कृष्ण नैण, फतेहाबाद से जिला सचिव सुरजीत ने संयुक्त रूप से बताया कि सरकार व अधिकारी बार-बार वायदाखिलाफी कर कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिसे कर्मचारी अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर कई बार अधिकारियों व सरकार को अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन हर बार उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है, जिससे कर्मचारी वर्ग में भारी रोष है।

इस मौके पर रतिया ब्लाक प्रधान देवीलाल, बिजली राज्य उप प्रधान अविनाश कम्बोज, रोङवेज यूनियन से सुरजीत अरोड़ा, ङबवाली रोङवेज प्रधान पृथ्वी चाहर, स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी से जिला प्रधान सुमित्रा, उप प्रधान राजेन्द्र, भीम सोनी, मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन से संजय, औमप्रकाश, सीटू से जिला प्रधान कृपा शंकर त्रिपाठी, फायर यूनियन से सुखदेव, रणवीर फगोडिया, राजेश खिचड़, कालांवाली ब्लाक से सुरेन्द्र कुमार, रानियां से ब्लाक प्रधान गुरमेल सिंह, ङबवाली ब्लाक प्रधान सुभाष ढाल, ऐलनाबाद से ब्लाक प्रधान राजकुमार गुर्जर, रिटायर कर्मचारी संघ से जिला प्रधान किशोरी लाल मैहता, अशोक पटवारी, महेन्द्र शर्मा, युनिवर्सिटी से नेता महेन्द्र बेनीवाल,  जन स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग नेता शिवचरण, रिटायर कर्मचारी नेता बेगराज, नगरपालिक नेता रमेश तुषामढ़, पब्लिक हैल्थ नेता राजेन्द्र कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।

ये हैं कर्मचारियों की मुख्य मांगें

नौकरी से हटाए गए पीटीआई सहित सभी नियमितम, एडहॉक जेबीटी, अनुबंध व ठेका कर्मचारियों की सेवाएं बहाल की जाएं। ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मियों को सीधे विभागों में पे रोल पर लिया जाए। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए। एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन नीति बहाल की जाए। डीए/एलटीसी पर से रोक हटाई जाए। रोके गए डीए के बकाया का भुगतान किया जाए। प्री मेच्योर रिटायरमेंट के आदेश वापिस लिए जाएं। प्रमोशन व एसीपी में टेस्ट की शर्त का प्रस्ताव रद्द किया जाए। ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी की समीक्षा की जाए। एक्सग्रेसिया रोजगार नीति में लगाई गई सभी शर्तों को हटाया जाए। एसीपी 5-9-14 साल की सेवा के बाद प्रमोशनल पद का दिया जाए। पंजाब के समान वेतनमान के आधार पर लिपिक को पे मेट्रिक्स लेवल-6 में 35400 वेतन दिया जाए। छठे व सातवें वेतन आयोग की ग्रेड पे व एसीपी की विसंगतियों को दूर किया जाए। पुलिस की तर्ज पर जोखिम भरी ड्यूटी के बदले पांच हजार रुपए प्रति माह विशेष भत्ता दिया जाए। दस साल की बजाय 5 साल के बाद वेतन आयोग का गठन कर सिफारिशों को लागू किया जाए।

एसआएमएस के माध्यम से विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता पर हमला बंद किया जाए। मॉडल संस्कृति स्कूल खोलने की बजाय कॉमन सिस्टम को मजबूत किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को रद्द किया जाए। शिक्षा, स्वास्थ्य, जनस्वास्थ्य, परिवहन, बिजली सहित सभी सार्वजनिक सेवाओं के ढांचे को मजबूत किया जाए। निजीकरण पर रोक लगाई जाए। वर्कलोड के अनुसार पद सृजित किए जाएं। नियमित भर्ती के नियमों की समीक्षा करते हुए आर्थिक पैमाने पर कर्मचारियों के आश्रितों से भेदभाव खत्म किया जाए। समयबद्ध पदोन्नति की जाए। रोस्टर अनुसार ही वरिष्ठता सूची बनाई जाए। श्रम कानूनों में कारपोरेट्स के हक में बनाए गए लेबर कोड को रद्द किया जाए। सभी प्रकार के उत्पीडऩ की कार्यवाहियों व जनतांत्रिक अधिकारों को बहाल किया जाए। मेडिकल क्लेम में आश्रित की आय 3500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपए की जाए।


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