हरियाणा से प्रतिदिन उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हो रही आठ हजार पशुओं की तस्करी
हरियाणा से धडल्ले से पशुओं की तस्करी हो रही है। राज्य से प्रतिदिन करीब आठ हजार पशुओं की उत्तर प्रदेश और दिल्ली तस्करी हो रही है।
रोहतक, [विनीत तोमर]। हरियाणा से हर रोज करीब आठ हजार पशुओं की तस्करी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में हो रही है। इसमें सबसे अधिक सोनीपत, हिसार, सिरसा, रेवाड़ी और नूहं जिले से प्रतिदिन 40 से 50 गाडिय़ों में पशुओं को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। इनमें भैंस, कटड़ा-कटड़ी, भेड़ और बकरा-बकरी शामिल हैं। प्रदेश में पशु तस्करी की स्थिति जानने के लिए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की टीम ने यह सर्वे किया। जो आंकड़ा सामने आया है वह हैरान कर देने वाला है। राजस्थान और पंजाब के पशुओं को भी हरियाणा के रास्ते से ही उत्तर प्रदेश और दिल्ली भेजा जा रहा है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की टीम ने सर्वे के बाद भेजी मुख्यालय को रिपोर्ट
पशु तस्करी के इस खेल में राजस्थान के हनुमान गढ़ जिले का नौहर गिरोह सबसे अधिक सक्रिय है, जो हरियाणा के स्थानीय तस्करों की मदद से बड़े स्तर पर पशुओं की खेप बाहर भेज रहा है। सर्वे में यह भी पता चला है कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब आदि सीमा से सटे जिलों में घूमने वाले बेसहारा गोवंश को भी तस्कर ट्रकों में भरकर ले जाते हैं। पशुओं की सबसे अधिक सप्लाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बुलंदशहर आदि जिलों में होती है। इसके अलावा दिल्ली की गाजीपुर मंडी भी पशुओं को भेजा जाता है।
इन जिलों में है पशु तस्करों के गढ़
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की टीम ने जो सर्वे किया है उसकी रिपोर्ट में कई जिलों में तस्करों के गढ़ को चिह्नित किया गया है। इसमें यमुनानगर के सदर थाना क्षेत्र, पानीपत के सनौली क्षेत्र, सोनीपत के राई और कुंडली, बावल, कसौला, हिसार क्षेत्र, सिरसा जिले के डबवाली क्षेत्र, फतेहाबाद के नांगल व रतिया क्षेत्र, अंबाला क्षेत्र आदि शामिल है। पंजाब के मालौड़ और अबोहर क्षेत्र में भी सबसे अधिक पशु तस्कर सक्रिय हैं।
इन जिलों में हुई इतनी एफआइआर
रेवाड़ी :
2017 : 19
2018 : 8
2019 : 7
2020 : 1
रोहतक :
2017 : 24
2018 : 9
2019 : 23
2020 : 6
सोनीपत :
2017 : 7
2018 : 8
2019 : 7
2020 : 3
फतेहाबाद :
2017 : 7
2018 : 10
2019 : 5
2020 : 3
सिरसा :
2017 : 6
2018 : 29
2019 : 3
2020 : 8
भिवानी :
2017 : 8
2018 : 11
2019 : 14
2020 : 1
जींद :
2017 : 12
2018 : 20
2019 : 8
2020 : 2
झज्जर :
2017 : 15
2018 : 15
2019 : 15
2020 : 0
हिसार :
2017 : 33
2018 : 45
2019 : 89
2020 : 20
कैथल :
2017 : 9
2018 : 2
2019 : 2
2020 : 1
पलवल :
2017 : 7
2018 : 14
2019 : 4
2020 : 2
(ये आंकड़े भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की टीम ने उपलब्ध कराए हैं।)
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'' हाल ही में किए गए सर्वे में यह आंकड़ा सामने आया है। नियमानुसार, केवल दुधारू पशु को ले जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी होनी चाहिए। जिस गांव या शहर से पशु खरीदा है वहां के सरपंच या पार्षद के लेटर हेड पर पशु के बारे में पूरी जानकारी लिखी होनी चाहिए। पशुओं के डाक्टर का प्रमाण पत्र भी जरूरी है। बड़े ट्रक में मात्र छह पशुओं को लेकर जाया जा सकता है। इससे अधिक पशु मिलने पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है। बिना दूध देने वाले पशु को किसी भी हाल में नहीं ले जा सकते।
- हिमांशु चंदाना, पशु कल्याण अधिकारी, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड।