शिक्षा विभाग की पहल, रोहतक में ड्रापआउट बच्चों के लिए बनाए छह स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर
रोहतक में शिक्षा विभाग सराहनीय कार्य करते हुए ड्रापआउट बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है। प्रशिक्षित करने के लिए छह केंद्र स्थापित किए गए हैं। अकेले खेड़ी साध के ट्रेनिंग सेंटर पर 31 बच्चों को इनरोल किया गया है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : ड्रापआउट बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए छह केंद्र स्थापित किए गए हैं। अकेले खेड़ी साध के ट्रेनिंग सेंटर पर 31 बच्चों को इनरोल किया गया है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य आउट आफ स्कूल बच्चों को ब्रिज कोर्स करवाकर मुख्य धारा में शामिल करना है। यह बात एडीसी महेंद्र पाल ने कही। वे बुधवार को खेड़ी साध गांव स्थित जीएमपीएस विद्यालय में ड्रापआउट बच्चों के लिए स्थापित किए गए विशेष प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के उपरांत विद्यार्थियों के माता-पिता को संबोधित कर रहे थे। अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल का विद्यालय में पहुंचने पर रंगोली बनाकर व ड्रापआउट विद्यार्थियों में से ही हरियाणवी वेशभूषा में नृत्य प्रस्तुत करके स्वागत किया गया। अतिरिक्त उपायुक्त ने सभी बच्चों का एसटीसी सेंटर में फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर सभी बच्चों को मुफ्त बैग व स्टेशनरी दी गई। अतिरिक्त उपायुक्त ने सभी बच्चों व अभिभावकों से बात की।
जिले में 200 ड्रापआउट बच्चों की हुई पहचान
जिला परियोजना समन्वयक कृष्णा फोगाट ने बताया कि ड्रापआउट बच्चे दो तरह के होते हैं। एक तो ऐसे जो विद्यालय को बीच में छोड़ जाते हैं और दूसरे वे जो कभी विद्यालय में आए ही नहीं। जिला में इस प्रकार के करीब 200 बच्चों को चिन्हित किया गया है और इनमें से 154 बच्चों को इन छह विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में एनरोल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इन एसटीसी केंद्रों के लिए छह एजुकेशन वालंटियर को इस कार्य में लगाया गया है, जिनका चयन अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी द्वारा किया गया है। उन्होंने बताया कि अगर सर्वे में और विद्यार्थी मिलते हैं तो इस तरह के एसटीसी केंद्रों की संख्या को छह से और बढ़ाया भी जा सकता है। खंड शिक्षा अधिकारी जितेंद्र खत्री ने भी आश्वासन दिया कि कोई भी बच्चा ड्रापआउट नहीं रहेगा।