रोहतक में बार बार लग रहे भूकंप के झटके, भूकंपरोधी होगा ब्रिज और ओवरब्रिज का निर्माण
रोहतक में मंगलवार सुबह फिर से महसूस हुए भूकंप के झटके बीते दस दिनों में ही कई बार आ चुका भूकंप। शोध में जुटे भू विज्ञानी। नहरों के ब्रिज पर 24 तो ओवरब्रिज की पायलिंग होगी 20 मीटर
रोहतक [अरुण शर्मा] रोहतक में बार बार भूकंप के झटके लग रहे हैं। बीते दस दिनों में ही करीब सात से आठ बार भूकंप आ चुका है। हालांकि इससे बड़ा नुकसान नहीं हुआ है मगर ये भी नहीं कहा जा सकता कि भविष्य में नहीं होगा। मंगलवार की सुबह करीब पांच बजे भी फिर से भूकंप के झटके महसूस हुए। इसकी तीव्रता करीब 2.4 रिक्टर स्केल रही। ऐसे में अब रोहतक प्रशासन ने यहां बनाए जाने वाले ब्रिज व ओवरब्रिज को भी भविष्य के अनुरूप बनाने की सोची है। इसके लिए विशेष इंतजामात किए जाएंगे।
शीलाबाई पास चौक स्थित फ्लाईओवर में पायलिंग का कार्य शुरू हो गया है। रोहतक में भूकंपों को भी ध्यान में रखकर पहले ही स्टैंडर्ड डिजाइज तैयार किया गया है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि फ्लाईओवर का 20 तो भालौठ और जेएलएन नहर पर निर्मित होने वाले ब्रिज की पायलिंग 24 मीटर तक गहरी होगी। आइआइटी रूड़की के विशेषज्ञों के राय लेकर डिजाइन तैयार किया गया है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी रोहतक में बार-बार आने वाले भूकंप को लेकर बेहद सतर्क हैं। एक्सईएन उदयवीर ङ्क्षसह झांझरिया ने बताया है कि भूकंप और 1995-1996 जैसी बाढ़ जैसी आपदा से निपटने पर पहले ही मंथन हो चुका था। करीब 48 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले फ्लाईओवर के निर्माण का कार्य 24 माह में पूरा होगा। सोनीपत रोड स्थित जेएलएन नहर और भालौठ पर स्टील के ब्रिज पर भी काम शुरू हो चुका है। आवागमन के लिए फ्लाईओवर पर सात-सात मीटर चौड़ी बनेगी। 23 पिलरों का भी निर्माण होगा। 700 मीटर लंबाई वाला यह फ्लाईओवर नए बस अड्डा रोड पर रेलवे क्रॉङ्क्षसग के निकट से शुरू होने वाला फ्लाईओवर सागर विला होटल से पहले उतरेगा। वहीं, नहरों के ऊपर निर्माणाधीन स्टील के ब्रिज पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
रूट प्लान किया तैयार, पुलिस से मांगी मदद
फिलहाल शीलाबाई पास चौक से नए बस अड्डे की तरफ 400 मीटर दूरी तक वन वे किया जा चुका है। भारी वाहनों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद ली गई है। विभाग के जेई इंद्रपाल ङ्क्षसह सिहाग ने बताया है कि यदि एमडीयू की तरफ से शीलाबाई पास चौक पर आने के बजाय दिल्ली बाईपास से जाट भवन के सामने से निकलना होगा। जाट भवन के सामने मुख्य मार्ग से सेक्टर-3 होते हुए लाढ़ौत रोड या फिर वीटा मिल्क प्लांट की तरफ से शहर में एंट्री कर सकते हैं। हिसार, जींद, सिरसा जाने के लिए जींद चौक पर निकल सकते हैं। फिलहाल शीलाबाई पास चौक से भारी वाहन जैसे ट्रक, बस आदि वाहन नहीं गुजर सकते।
गुजरात में आए भूकंप के बाद ज्यादा सतर्कता : प्रदीप रंजन
एसई प्रदीप रंजन कहते हैं कि गुजरात के भुज में भूकंप के बाद से अतिरिक्त सतर्कता बरती जाने लगी है। बिङ्क्षल्डग की ऊंचाई, क्षेत्रफल, जमीन के हिसाब से पायङ्क्षलग तैयार करते हैं। हिसार रोड से आंबेडकर चौक तक निर्मित हो चुके एलिवेटेड रोड में 18 मीटर गहराई तक पालयङ्क्षलग सिस्टम रखा गया था।
---नहरों के जितने करीब जाएंगे उतनी ही जमीन के अंदर मिट्टी नमी वाली होगी। जितने दूर जाएंगे उतनी ही जमीन के अंदर मिट्टी कठोर निकलेगी। इसलिए नहर-नदी के निकट पायङ्क्षलग ज्यादा गहरी रखी जाती है, इसकी तुलना में नहर से दूर कम गहराई पर पायङ्क्षलग रखी जाती है।
उदयवीर ङ्क्षसह झांझरिया, एक्सईएन, लोक निर्माण विभाग