स्पेयरपार्ट्स की कमी के कारण धूल फांक रहीं बसें, 12 रूटों पर लोग परेशान
संवाद सहयोगी, हिसार : जिले में रोडवेज बसों को दुरुस्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसक
By Edited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 11:14 AM (IST)
संवाद सहयोगी, हिसार : जिले में रोडवेज बसों को दुरुस्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि पूरे जिले में एक भी स्टोर ऐसा नहीं है, जहां से रोडवेज बसों के स्पेयरपार्ट्स खरीदे जा सकें। जिस कारण लंबे अरसे तक स्पेयरपार्ट्स के अभाव में बसें कर्मशाला में ही धूल फांकती नजर आती हैं। इसका सीधा प्रभाव यात्रियों पर पड़ता है। क्योंकि धूल फांकती बसें रूटों पर न दौड़ने के कारण यात्रियों को निजी वाहनों में सफर कर अधिक राशि चुकानी पड़ती है। जबकि जिले में कई रूट तो ऐसे हैं जहां पर यात्रियों को नाममात्र की रोडवेज सेवा मिलती है। इससे यात्रियों को निजी वाहनों पर ही आश्रित रहना पड़ता है। चाहे लंबे रूट हों या फिर लोकल, दोनों रूटों पर ही यात्रियों को रोडवेज बसों में सफर करना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं। लंबे रूटों में चंडीगढ़, दिल्ली, यमुनानगर, हिमाचल जैसे रूटों पर यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है तो लोकल रूटों पर तो यह समस्या और भी विकट हो जाती है। हांसी, बरवाला, घिराय, आदमपुर, सिवानी, नारनौंद, उकलाना सहित कई लोकल रूटों पर शाम के समय यात्रियों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। कारण यह है कि रोडवेज बसें मुख्यत: अशोक लीलैंड कंपनी से बनकर आती है, लेकिन दोनों कंपनियों की बसों में अलग-अलग स्पेयरपार्ट्स होने के कारण वे जल्दी से मिल नहीं पाते, क्योंकि जिले में कहीं भी ऐसा स्टोर नहीं है, जहां से दोनों कंपनियों के स्पेयरपार्ट्स उपलब्ध हो, सामान न मिलने के कारण एक तो रोडवेज बसें लंबे अरसे तक धूल फांकती रहती हैं तो दूसरा, बसों में जुगाड़ सिस्टम कर विभिन्न रूटों पर दौड़ाया जा रहा है, जिससे बसों की मियाद बड़ी तेजी के साथ घटने लगती है। इसके अलावा अगर रोडवेज बसों को दुरुस्त करने के लिए गुरुग्राम भेजा जाए तो एक तो समय अधिक लगता है तो दूसरा पैसे भी खर्च होने से विभाग को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है। बॉक्स चंडीगढ़, पानीपत और जींद में ही स्टोर की सुविधा स्टोर की सुविधा की बात करें तो चंडीगढ़, पानीपत और जींद जैसे बड़े रोडवेज डिपो में ही अभी तक स्टोर की सुविधा उपलब्ध है, जिससे दोनों कंपनियों की बसों के स्पेयरपार्टस स्टोर से ही मिल जाते हैं, जिससे एक तो न तो बसों को जिले से बाहर भेजना पड़ता है तो दूसरा, समय भी अधिक खर्च होता है। हिसार जिले में अभी तक स्टोर की सुविधा न होने से अधिकारियों के लिए यह समस्या टेढ़ी-खीर बनती जा रही है। बॉक्स हिसार डिपो की धूल फांक रही हैं दस बसें हिसार डिपो में अभी तक स्पेयरपार्टस न होने के कारण दस बसें कर्मशाला में धूल फांक रही है, जिसमें दो से तीन बसें तो बैटरियों की समस्या से जूझ रही है तो दूसरा, आवश्यक स्पेयरपार्टस उपलब्ध न होने से सात बसें कर्मशाला में धूल फांक रही है। इतना ही नहीं, जिन बसों की मियाद खत्म होने वाली है उसके लिए जुगाड़ सिस्टम कर उन्हें विभिन्न रूटों पर दौड़ाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि रोडवेज अधिकारियों को यह पता नहीं है, लेकिन इस बारे में अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। बॉक्स स्पेयरपार्ट्स की बढ़ती रहती है डिमांड जिले में एक भी स्टोर न होने से बसों में स्पेयरपार्टस की डिमांड बढ़ती रहती है, जिस कारण खराब बसों की लाइनें बढ़ती रहती है। इस कारण या तो खराब हुई बसों को मुख्य कर्मशाला गुरुग्राम में भेजा जाता है, जिस कारण एक तो समय अधिक लगेगा तो दूसरा पैसें भी अधिक खर्च होंगे। तो दूसरा एक-दूसरे जिले से बसों के स्पेयरपार्ट्स मंगवाने पड़ते हैं, लेकिन वो भी जुगाड़ सिस्टम होने के कारण बसें अधिक समय तक रूटों पर नहीं दौड़ पाती है, जिस कारण विभाग को चपत लगती रहती है। बॉक्स मैकेनिक भी नहीं होते पूरी तरह ट्रेंड अशोक लीलैंड कंपनी से बनी बसें हर बार अलग-अलग फार्मेट से बनकर आती हैं, जिस कारण हर बार नए बदलाव से अनभिज्ञ मैकेनिक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होते हैं। इतना ही नहीं, विभाग की ओर से अभी तक मैकेनिकों के लिए कोई भी विशेष ट्रे¨नग नहीं करवाई गई है, जिस कारण मैकेनिक बसों से अपडेट नहीं हो पाते हैं, जिस कारण जानकारी के अभाव में मैकेनिक बसों को दुरुस्त नहीं कर पाते हैं। न ही उन्हें नई आने वाली बसों को ठीक करने का कोई अनुभव होता है। बॉक्स अगर किसी भी बस में कंपनी के स्पेयरपार्ट्स फिट किए जाते हैं तो अवश्य ही रोडवेज को काफी फायदा पहुंचेगा। कई बार स्पेयरपार्ट्स महंगे होने के कारण कंपनी की चीजें नहीं खरीदता, जिस कारण वे देशी सामान बसों में फिट करते हैं, जिससे बसे अधिक समय तक रूटों पर नहीं दौड़ पाती। इस कारण स्पेयरपार्ट की डिमांड बढ़ती जा रही है, लेकिन स्पेयरपार्ट्स उपलब्ध न होने के कारण बसें वर्कशॉप में लंबे अरसे तक धूल फांकती नजर आती है। उच्च अधिकारियों को स्पेयरपार्ट्स के बारे में विचार-विमर्श करना जरूरी है। - दलबीर किरमारा, रोडवेज यूनियन नेता।
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