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फतेहाबाद में लापरवाही के कारण पानी में बह गए 10 लाख रुपये, सोलर सिस्टम फेल

लापरवाही के कारण पानी में बह गए 10 लाख रुपये सोलर सिस्टम फेल। नगरपरिषद कार्यालय में वर्ष 2015 में करीब 10 लाख रुपये की लागत से लगा था सिस्टम। दो साल बाद ही हो गया था खराब। अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो एजेंसी भी नहीं करने आई ठीक।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 03:21 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 03:21 PM (IST)
फतेहाबाद में लापरवाही के कारण पानी में बह गए 10 लाख रुपये, सोलर सिस्टम फेल
फतेहाबाद नगरपरिषद में 2015 में सोलर सिस्टम लगाया गया।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। प्रदेश सरकार सरकारी भवनाें में सोलर सिस्टम लगाने जा रही है। इस पर लाखों रुपये खर्च होंगे। अगर समय रहते इन उपकरणों का ध्यान रखे तो सोलर सिस्टम कामयाब भी होता है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण कुछ सरकारी विभागों में यह सोलर सिस्टम कामयाब नहीं हो पाया है। हम बात कर रहे है नगरपरिषद में लगाए गए सोलर सिस्टम का। यहां पर वर्ष 2015 में करीब 10 लाख रुपये की लागत से सोलर सिस्टम लगाया गया था। उस समय बिजली संकट था और कार्यालय में बिजली का उपयोग भी अधिक होता था।

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ऐसे में सरकारी स्कीम के तहत यह सोलर सिस्टम लगा दिया गया। यह सिस्टम दो साल तक ठीक चला था। इसके बाद सिस्टम में आग लगी थी। आग लगने के बाद मैकेनिक भी इसे ठीक नहीं कर पाए। फिलहाल लाखों रुपये ही सोलर प्लेट व बैटरियां अब खत्म हो गई है। नगर परिषद में दो दर्जन से ज्यादा कंप्यूटर चलते हैं। इसके अलावा पंखे, कूलर व एसी चलते हैं। इन तमाम संसाधनों का बिल उसी तरीके से भरना पड़ रहा है, जैसे पहले भरते थे। जबकि सौर ऊर्जा विभाग दावा करता है कि भविष्य में ऐसे ही प्रोजेक्ट घर घर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह सिस्टम बेकार हो गया है।

इन आंकड़ों पर डाले नजर 

सोलर सिस्टम लगाने में आई लागत : 10 लाख

नप ने खर्च की राशि            : 1.50 लाख

नप में कब लगाया था सिस्टम      : 2015

सोलर सिस्टम कब से पड़ा है खराब : 2017   

कितने प्रतिशत बिल कम आने की थी उम्मीद : 70 प्रतिशत 

कितने सालों से खराब पड़े है उपकरण      : 5 साल  

20 साल की वारंटी, फिर भी नहीं करवाया ठीक

नगरपरिषद में 2015 में सोलर सिस्टम लगाया गया। इसकी 20 साल तक की वारंटी थी। अगर खराब हो जाता है तो कंपनी के अधिकारी ठीक करके जाएंगे। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि उस समय किस कंपनी ने लगाया था अब रिकार्ड तक नहीं है। यहीं कारण है कि इस सिस्टम को ठीक कवाने के लिए बुलाए तो बुलाए किसे। अब बैटरियों में लाइट आ रही है। ऐसे में बैटरी खराब हाेने के कारण कभी भी बलास्ट हो सकता है। जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। कई अधिकारियों ने नप कार्यालय का निरीक्षण कर चुके है, लेकिन इस सिस्टम का किसी को पता तक नहीं है। 

सरकारी भवनों में नहीं लगे सौर ऊर्जा सिस्टम 

सरकारी विभागों में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाकर पहले भी प्रयोग किए गए हैं। लोक निर्माण विभाग ने डिवाइडर पर सिग्नल लाइट्स लगवाई थीं। एक पोल के ऊपर लाइट लगी होती थी। उसी पर सोलर प्लेट व एक बैटरी लगी थी। उन सिस्टम की देखरेख नहीं हो पाई। यह सिस्टम गांवों में भी लगाया गया था। हर गांव के चौक चौराहे पर लाइटें लगाई गई। लेकिन अब यह लाइटें कहां है किसी को कुछ पता नहीं है। यह अधिकतर उपकरण चोरी हो गए। ये लाइटें कुछ समय तो काम करेगी लेकिन उसके बाद तो बंद हो गई। अधिकारियों ने अगर समय रहते देखभाल की होती तो यह सिस्टाम फेल नहीं होता। 

सिस्टम को ठीक करवाया जाएगा

इस मामले की जांच करवाई जाएगी। अगर सिस्टम खराब है तो उसे ठीक करवाया जाएगा। इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी।

-ऋषिकेश चौधरी, ईओ नगरपरिषद फतेहाबाद।


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