Move to Jagran APP

हरियाणा में धूप न निकलने के कारण सरसों की फसल में चेपा बीमारी का प्रकोप, किसान परेशान

पिछले 10 दिनों से मौसम परिवर्तनशील रहा है। सूरज भी अच्छे से नहीं निकला है। इसका असर पर सरसों की फसल पर पड़ने लग गया है। कृषि अधिकारी भी मानते है कि मौसम में जितनी अधिक नमी रहेगी उससे सरसों की फसल पर इसका विपरित असर पड़ेगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 02:53 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 02:53 PM (IST)
हरियाणा में धूप न निकलने के कारण सरसों की फसल में चेपा बीमारी का प्रकोप, किसान परेशान
एक ही तरह के मौसम बने रहने के चलते अब फसलों में बीमारी आने लगी है

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : हरियाणा में पिछले 10 दिनों से जबरदस्त ठंड पड़ रही है। पिछले पांच दिन के बाद शनिवार को धूप निकली थी, ऐसे में उम्मीद थी कि रविवार को मौसम अच्छा रहेगा। लेकिन रविवार को भी धूप नजर तक नहीं आई। ऐसे में दिनभर 8 किमी प्रति घंटे से हवा चलने के कारण मौसम में अधिक ठंडक रही। मौसम विभाग ने आगामी दिनों तक ऐसा ही मौसम रहने की संभावना जताई है। मौसम विभाग की माने तो 17 से 19 जनवरी तक मौसम परिवर्तनशील रहने के साथ बादल छाये रहेंगे, हालांकि बरसात होने की संभावना कम है। इस तरह के मौसम के कारण फसलों पर प्रभाव पड़ने लगा है।

loksabha election banner

सरसों की फसल में चेपा बीमारी का प्रकोप

पिछले 10 दिनों से मौसम परिवर्तनशील रहा है। सूरज भी अच्छे से नहीं निकला है। इसका असर पर सरसों की फसल पर पड़ने लग गया है। कृषि अधिकारी भी मानते है कि मौसम में जितनी अधिक नमी रहेगी उससे सरसों की फसल पर इसका विपरित असर पड़ेगा। इसका असर अब देखने को भी मिल गया है। अब सरसों की फसल में अल (चेपा) का प्रकोप बढ़ने लगा है। गेहूं में पीलापन आ गया है। किसान परेशान है कि क्या करे। गेहूं फसल के पौधे पीले हो रहे है। जिससे किसान कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है। लेकिन कृषि अधिकारियों ने मना कर दिया है। ठंड अधिक होने के कारण ऐसा हो रहा है।

चेपा बीमारी क्या डालती है असर

यह एक शाकाहारी कीट है, जो पौधों से रस चूसकर अपना जीवन यापन करता है। इस कीट का प्रकोप मुख्यता जनवरी से मार्च माह तक अधिक होता है। यह कीट हरे रग की जूं की तरह होता है। अल शिशु तथा प्रौढ़ दोनों ही अवस्थाओं में सरसों के पौधों की कोमल पत्तियों से रस चूसता है। अल से प्रकोपित पौधे की पत्तिया मुरझा जाती है। यह कीट शर्करायुक्त चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है। इससे चीटिया इन पौधों की तरफ आकर्षित होती है। इस कीट की साल में 12 से 14 पीढि़या पाई जाती है।

------

पिछले 10 दिनों से ठंड पड़ रही है। ऐसे में सरसों की फसलों में चेपा हो सकता है। वहीं गेहूं में पीलापन बीमारी के कारण नहीं बल्कि ठंड के कारण हो रहा है। ऐसे में किसान सिंचाई करने के साथ खाद डाल सकते है। लेकिन बिना डाक्टरों की सलाह लिए कीटनाशक का प्रयोग न करे। अगर करेंगे तो फसलों पर प्रभाव पड़ेगा।

भीम सिंह, एसडीएम कृषि विभाग फतेहाबाद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.