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डीएसपी और तत्कालीन थाना इंचार्ज नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में नहीं हुए पेश, 15 नवंबर को तलब

नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में बुधवार को थी सुनवाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 08:57 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 08:57 PM (IST)
डीएसपी और तत्कालीन थाना इंचार्ज नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में नहीं हुए पेश, 15 नवंबर को तलब
डीएसपी और तत्कालीन थाना इंचार्ज नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में नहीं हुए पेश, 15 नवंबर को तलब

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जागरण संवाददाता, हिसार: नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में बुधवार को डीएसपी हेडक्वार्टर अशोक कुमार सहित कई पुलिस कर्मियों को जेएमआइसी सोनिया की अदालत में पेश होना था, लेकिन कोई अदालत में पेश नहीं हुआ। अदालत ने 15 नवंबर को होने वाली सुनाई में इन्हें तलब किया है।

शिकायतकर्ता अग्रवाल कालोनी निवासी विनोद कुमार के अधिवक्ता विनोद यादव ने बताया कि विनोद सहित 175 लोगों से कुल नौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। शिकायत पर सिटी थाना में 18 मार्च 2018 को केस दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि रेड स्क्वेयर मार्केट स्थित दी हिसार अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व अधिकारी प्रमोद भारद्वाज, प्रमोद भारद्वाज की पत्नी निर्मल, राकेश सिगल, राकेश सिघल की पत्नी इंदू सिघल, जिला टाउन प्लानिग अधिकारी अनिल जैन, जेबीटी अध्यापक सुरेंद्र, कमल शर्मा, राजेश शर्मा ने मिलकर वर्ष 1997 में को-आपरेटिव सोसायटी बनाई। सोसायटी का नाम दी हिसार फ्रैंडस एनएटीसी को-आपरेटिव सोसायटी था। जो भी जमाकर्ता दी हिसार अर्बन को-आपरेटिव में रुपये जमा करवाने आते थे, उन्हें ये सभी कहते थे कि हिसार फ्रैंडस एनएटीसी को-आपरेटिव सोसायटी बनाई है। जिसका बैंक से कई गुना ब्याज है और यह सोसायटी रिजर्व बैंक और जिला कलेक्टर आफिस हिसार और जिला को-आपरेटिव सोसायटी कार्यालय में पंजीकृत है। इनके बहकावे में आकर करीब 175 जमाकर्ताओं ने करीब नौ करोड़ रुपये जमा करवाए। आरोप है कि जब जमाकर्ताओं ने रुपये निकलवाने चाहे तो पता चला कि सोसायटी के सभी पदाधिकारियों ने करीब नौ करोड़ रुपये अपने व नजदीकी रिश्तेदारों व दोस्तों के नाम प्रापर्टी खरीद ली और सोसायटी के दस्तावेजों में झूठा लोन दिखा दिया। जांच में पता चला कि सोसायटी के कैश लैजर एवं नकदी के रूप में न तो नौ करोड़ हैं और न ही सोसायटी के खाते में।

पुलिस के जांच अधिकारी ने जांच के नाम पर खानापूर्ति की और आरोपितों से मिलकर आरोपितों का अदालत में चुपचाप चालान पेश किया। आरोप है कि जांच में कमल शर्मा, राजेश शर्मा, अनिल जैन, सुरेंद्र को निर्दोष बता दिया और सरकारी गवाह बना दिया। जबकि गवाह बनाने के लिए अदालत से भी आज्ञा नहीं ली गई। कमल शर्मा, राजेश शर्मा, अनिल जैन ने सोसायटी के खाते से कई चेकों द्वारा कई करोड़ों रुपये निकाले। इस जांच में डीएसपी अशोक कुमार एवं तत्कालीन शहर थाना प्रभारी विनोद कुमार ने तीन आरोपितों को निर्दोष करार दे दिया। शिकायतकर्ता ने मामले की शिकायत जिला एसपी को दी। जांच के लिए सात सदस्यों की एसआईटी बनाई गई। एसआईटी में डीएसपी हेडक्वार्टर अशोक कुमार को प्रमुख बनाया गया। मामले में अदालत की ओर से डीएसपी व तत्कालीन थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर तलब किया। बुधवार को डीएसपी और तत्कालीन थाना प्रभारी अदालत में पेश नहीं हो सके। अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई में डीएसपी हेडक्वार्टर अशोक कुमार, तत्कालीन शहर थाना प्रभारी विनोद कुमार को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के लिए, तीन आरोपितों को जांच से निकालने और उचित धाराएं न लगाने के जवाब के लिए तलब किया है।


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