अस्तित्व खो रही ब्लू बर्ड झील के जीर्णाेद्धार की तैयारी, सूखी झील में फिर भरेगा जीवन
झील का पानी सूखते ही ब्लू बर्ड टूरिज्म का कारोबार भी प्रभावित हो गया है। टूरिज्म में इन दिनों आने वाले पर्यटकों की संख्या नाममात्र है। चुनाव के बाद झील के टेंडर का री-ऑक्शन होगा
हिसार, जेएनएन। झील का पानी सूखते ही ब्लू बर्ड टूरिज्म का कारोबार भी प्रभावित हो गया है। टूरिज्म में इन दिनों आने वाले पर्यटकों की संख्या नाममात्र है। ऐसे में पानी को तरस रही झील के जीर्णाेद्धार पर काम शुरू हो गया है। झील की तरफ पर्यटक आकर्षित हो इसके लिए विधानसभा चुनाव के बाद झील के टेंडर का री-ऑक्शन किया जाएगा।
30 अक्टूबर को झील के टेंडर का री-ऑक्शन किया जा रहा है। इसके लिए पर्यटन विभाग के अफसरों ने मुख्यालय से अनुमति प्रदान कर तिथि फाइनल कर ली है। वहीं इस साल री-ऑक्शन में किसी प्रकार का विवाद न पनपे इसके लिए री-ऑक्शन ऑनलाइन करवाने की प्लानिंग भी की गई है, हालांकि इस प्लानिंग को अभी मुख्यालय ने हरी झंडी नहीं दी है।
बता दें कि शहर में सिरसा दिल्ली बाईपास पर हरियाणा टूरिज्म का ब्लू बर्ड टूरिज्म केंद्र साल 1995 से 52 एकड़ में स्थापित है, जिसमें से करीब 18 एकड़ में झील, कांप्लेक्स व जंगल एरिया है। इसका पर्यटन विभाग ने करीब 45 लाख रुपये का टेंडर दिया था, जिसका कारीब 12 लाख रुपये भरने के बाद दूसरी किस्त देने के लिए कंपनी मालिक कभी आया ही नहीं। अफसरों ने उनके ठिकाने पर नोटिस चस्पा किए और लीगल नोटिस भेजने के बाद उसका टेंडर रद कर दिया। इसके बाद 27 सितंबर को टेंडर दोबारा किया, लेकिन सिरे नहीं चढ़ा, अब 30 अक्टूबर को टेंडर का री-ऑक्शन होगा।
ब्लू बर्ड टूरिज्म हो रहा फेल, कारोबार प्रभावित
पिछले करीब एक साल पहले तक ब्लू बर्ड टूरिज्म बेहतर चल रहा था। लेकिन अब उसका कारोबार काफी हद तक प्रभावित हो गया है। सालाना लाखों रुपये की आय में कमी दर्ज हो रही है। ऐसे में अब झील के माध्यम से पर्यटक ब्लू बर्ड की ओर आकर्षित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। इसके लिए झील का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। हालांकि अधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन टूरिज्म विभाग को इन दिनों काफी नुकसान पहुंच रहा है।
बतखों की संख्या अभी भी नहीं हो पाई पूरी, कहां गए, कोई नहीं जानता
वन्य प्राणी विभाग और पर्यटन विभागों की टीम मिलकर अभी तक गायब हुए सभी बतखों की तलाश कर पाने में सफल नहीं हो पाए हैं। न ही ये बता पा रहे हैं कि बतख आखिरकार गए कहां। पूर्व में झील में 25 बतख बताए गए थे, जिसमें से करीब 12 ही अभी तक पर्यटन विभाग व वन्य प्राणी विभाग को मिले हैं, हालांकि मैनेजर संदीप कुमार के प्रयासों झील में पानी पहुंचाने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है।
----झील का री-ऑक्शन 30 अक्टूबर को होगा। इसकी कागजी औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं। इसके अलावा झील में पानी लाने के लिए हमारे स्तर पर तेजी से कार्य करवाया जा रहा है। बतखों व अन्य पक्षियों के लिए जल्द ही झील में पानी का प्रबंध कर दिया जाएगा।
- संदीप कुमार, मैनेजर, पर्यटन विभाग हिसार।