Move to Jagran APP

आज निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रख चिकित्सक करेंगे नेशनल मेडिकल कमीशन का विरोध

जागरण संवाददाता, हिसार : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल मेडिकल कमीशन का पुरजोर विर

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 08:53 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jan 2018 08:53 PM (IST)
आज निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रख चिकित्सक करेंगे नेशनल मेडिकल कमीशन का विरोध
आज निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रख चिकित्सक करेंगे नेशनल मेडिकल कमीशन का विरोध

जागरण संवाददाता, हिसार : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल मेडिकल कमीशन का पुरजोर विरोध करना शुरू कर दिया है। इसके चलते मंगलवार को निजी अस्पतालों के चिकित्सक ओपीडी बंद रखकर रोष प्रदर्शन करेंगे। एसोसिएशन से देशभर के करीब तीन लाख और हरियाणा के साढ़े सात हजार चिकित्सक जुड़े हुए हैं। हिसार में करीब 300 चिकित्सकों हैं, जोकि सुबह छह से लेकर शाम छह बजे तक ओपीडी में मरीजों की जांच नहीं करेंगे। हालांकि इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।

loksabha election banner

एसोसिएशन के राज्य प्रधान डा. एपी सेतिया ने बताया कि किसी भी सूरत में नेशनल मेडिकल कमीशन एमबीबीएस डिग्री होल्डर चिकित्सकों के हित में नहीं है। इस कमीशन को लाने पर बीएएमएस डिग्री होल्डर चिकित्सकों को फायदा होगा, मगर सबसे ज्यादा नुकसान मरीजों को पहुंचेगा। ऐसा इसलिए कि बीएएमएस किसी भी सूरत में एमबीबीएस की बराबरी नहीं कर सकते। सरकार उक्त कमीशन के जरिए एमबीबीएस की कमी को दूर करना चाहती है। इसके लिए आयुर्वेदिक और होम्योपैथी इलाज करने वाले बीएएमएस को छह माह या एक साल का एलोपैथी ब्रिज कोर्स करवाया जाएगा। तब मरीजों को देसी दवाइयों के साथ अंग्रेजी दवाइयां भी दे सकेंगे। ऐसा होने पर उपचार की गुणवत्ता में कमी आएगी। एमबीबीएस जो इलाज कर सकता है, वह बीएएमएस कैसे कर पाएगा? सरकार अवैध काम को अपनी अपरिपक्व नीति से वैध बनाना चाहती है, जोकि अस्वीकार्य है। सरकार आयुर्वेद और होम्योपैथी को बढ़ावा देने के लिए प्रचार कर रही है, लेकिन जब वही चिकित्सक अंग्रेजी दवाइयां देंगे तो उक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। एक ही डाक्टर दो या तीन तरह की अलग-अलग पद्धति के तहत दवाइयां कैसे दे पाएगा?

डा. सेतिया के अनुसार मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया को बदलकर नेशनल मेडिकल कमीशन लाने की तैयारी है। काउंसिल में जहां हर राज्य से चिकित्सकों को आमंत्रित करके सुझाव लेकर नीतियां बनाई जाती हैं। कमीशन में 25 सदस्यीय कमेटी होगी, जिसमें बाहर से पांच चिकित्सक और बाकी सरकार के नुमाइंदे होंगे। उनमें चिकित्सकों को शामिल किया जाएगा या नहीं कुछ नहीं पता। स्वास्थ्य नीतियां तो अनुभवी चिकित्सक ही बना सकते हैं। यह तो कुछ भी मेडिकल कालेज में 15 फीसद सीटें मैनेजमेंट कोटा और बाकी 85 फीसद सीटें सरकारी अनुदान से भरी जाती रही हैं। कमीशन में मैनेजमेंट कोर्ट 15 से बढ़कर 60 फीसद करने का प्रावधान है। ऐसा होगा तो जिसके पास पैसा है, वह सीट खरीद लेगा। बेहतरीन चिकित्सक नहीं मिल पाएंगे। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा। मेडिकल एजुकेशन को रेगुलेट और रजिस्टर्ड करना जरूरी है, लेकिन बेहतरीन चिकित्सा सेवा के लिए उक्त नीति में बदलाव करना जरूरी है। इसलिए कमीशन का विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक कोई समाधान नहीं हो जाता।

.......

स्वागत योग्य है कमीशन : डा. यादव

नेशनल इंटिग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के प्रधान डा. अशोक यादव ने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन स्वागत योग्य है। यह बीएएमएस के पक्ष में होगा। इससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाएगा। नीमा के तहत सभी बीएएमएस चिकित्सकों के अस्पताल खुले रहेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.