10 घंटे तक कराहती रही दुष्कर्म पीड़ित बच्ची, दवा देकर डाक्टर बोला, सुबह लेकर आना
नारनौंद के सिविल अस्पताल की लचर व्यवस्था आठ साल की उस मासूम पर भारी पड़ी जो एक द¨रदे की हवस का शिकार हुई। पहले द¨रदे ने बच्ची को दर्द दिया। इसके बाद जब परिजन अस्पताल लेकर पहुचे तो वहां डाक्टरों ने भी उस पर मरहम तक लगाना मुनासिब न समझा। अस्पताल की लचर व्यवस्था के कारण मासूम दुष्कर्म पीड़िता 10 घंटे तक दर्द से कराहती रही।
- रात में डाक्टर ने दर्द की दवा देकर ड्यूटी की पूरी सुनील मान, नारनौंद
नारनौंद के सिविल अस्पताल की लचर व्यवस्था आठ साल की उस मासूम पर भारी पड़ी जो एक द¨रदे की हवस का शिकार हुई। पहले द¨रदे ने बच्ची को दर्द दिया। इसके बाद जब परिजन अस्पताल लेकर पहुचे तो वहां डाक्टरों ने भी उस पर मरहम तक लगाना मुनासिब न समझा। अस्पताल की लचर व्यवस्था के कारण मासूम दुष्कर्म पीड़िता 10 घंटे तक दर्द से कराहती रही। बच्ची की पीड़ा देख माता-पिता भी रातभर रोते रहे। द¨रदगी के बाद से बच्ची इस तरह सहमी हुई थी कि अस्पताल में पहुंचने पर वह ठीक से कुछ बता भी नहीं पा रही थी। परिजनों के पूछने पर भी उसकी आंखों से सिर्फ आंसू ही बह रहे थे और वह जोर-जोर से रो रही थी। वीरवार की सुबह पीड़ित के परिजनों ने जब इस घटना के बारे में जब गांव के सरपंच व ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने इसकी सूचना तुरन्त पुलिस को दी और पीड़िता को अस्पताल ले जाकर उसका इलाज शुरू करवाया। घटना से एक बार फिर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं की पोल खुली नजर आई। एक घुमन्तु जाति के परिवार की लड़की के साथ दुष्कर्म होता है तो डाक्टर उसे थोड़ी-बहुत दवा देकर सुबह आने के लिए बोल देते हैं। अगर डाक्टर इस मामले में रात को ही सूचना देकर पीड़िता का इलाज शुरू कर देता तो पीड़िता का ज्यादा खून नहीं बहता और इस मामले का आरोपी शायद पुलिस की पकड़ में होता। इस मामले में 12 घंटे बीतने के बाद पुलिस को गांव के सरपंच से सूचना मिली और इस कांड के आरोपित युवक को भागने का पूरा समय मिल गया। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में चर्चा है कि डाक्टर भगवान का रूप होता है, लेकिन डाक्टर ने पीड़िता को इलाज के नाम पर खानापूर्ति करके उसको घर भेज दिया।
सरकारी हॉस्पिटल के सीएमओ डाक्टर यशपाल ने बताया कि इस मामले की सूचना सुबह रात की ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने मुझे दी थी। इस मामले में डाक्टर ने पीड़िता के इलाज में लापरवाही बरती है।
बच्ची के परिवार से मिलकर उनसे पूरी बात करेंगे। डाक्टर ने यदि लापहरवाही बरती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। बच्ची के साथ जो हुआ वह गलत हुआ है। उसकी पूरी मदद की जाएगी।
- सुमन बेदी, सदस्य, महिला आयोग
बच्ची व उनके परिवार से मिलने के बाद वह शुक्रवार को सिविल अस्पताल में आएंगी। जिस भी डाक्टर अन्य अधिकारी ने लापरवाही की है उसको बख्शा नहीं जाएगा। बच्ची के लिए जो मदद होगी उसको दी जाएगी। किसी प्रकार की कमी नहीं रहने दी जाएगी।
- ज्योति बैंदा, चेयरपर्सन, हरियाणा बाल अधिकार संरक्षण आयोग
बच्ची से समिति के लोग मिलेंगे। उनके परिवार की पूरी मदद की जाएगी। लगातार जो घटनाएं हो रही है उस पर शासन और प्रशासन को अर्ल्ट रहना चाहिए था। उकलाना की घटना ने भी समाज को हिला दिया था। राजनीतिक संरक्षण और पुलिस की संवेदनहीनता ने ऐसे अपराध को बढ़ा दिया है।
- शकुंतला जाखड़, प्रदेशाध्यक्ष, जन महिला समिति
साल दर साल दुष्कर्म की घटनएं बढ़ रही हैं। कानून में बदलाव हो गया है उसका अभी लागू होने बाकी है। लोगों में जो पहले डर होता है वह खत्म हो रहा है। मानसिक प्रवृति खराब हुई। सभी को मिलकर इस मामले में खड़ा होना होगा। सामाजिक संगठन जब इस मामले में खड़े होंगे तो बदलाव की मुहिम शुरू हो पाएगी।
- लाल बहादुर खोवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता।