साढ़े चार हजार साल पुराने हैं हिसार में मिले नरकंकाल, डीएनए जांच में चौंकाने वाले खुलासे
राखीगढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। यहां मिले नरकंकाल करीब साढ़े चार हजार साल वर्ष पुराने हैं। इससे इस सभ्यता पर नई रोशनर पड़ी है।
सुनील मान, नारनौंद (हिसार)। हिसार के गांव राखी गढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता का पता लगाने के लिए हाे रही खोदाई में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यहां हुई खोदाई में मिले मानव कंकाल करीब साढ़े चार हजार साल पुराने हैं। इनके डीएनए दक्षिण भारतीय लोगों के डीएनए से मेल खाते हैं। ये कंकाल तीन वर्ष पहले यहां खोदाई करते समय मिले थे। इससे हड़प्पाकालीन सभ्यता के कई नए पहलू सामने आने की उम्मीद है।
राखी गढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में मिले कंकाल द्रविड़ों से मिलते हैं
खोदाई में सात हजार वर्ष पुरानी वस्तुएं भी मिली हैं। नई जानकारी के बाद हड़प्पाकालीन सभ्यता को लेकर कई नए खुलासे की उम्मीद है। भविष्य में और खोदाई हुई तो कुछ और जानकारियां भी सामने आएंगी। पुरातत्वविदों का मानना है कि इस खोदाई में भारत की इस पहली नगरीय सभ्यता के बारे में अभी कई नई जानकारियां मिलने की उम्मीद है।
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कंकालाें का जर्मनी से आए वैज्ञानिकों ने लिए थे डीएनए सैंपल
जानेमाने पुरातत्वविद और पुणे के डेक्कन कॉलेज (पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, डीम्ड यूनिवर्सिटी) के कुलपति प्रो. वसंत शिंदे ने जागरण को बताया कि कुछ इन कंकालों का जर्मनी से आए वैज्ञानिकों ने बड़ी सावधानी के साथ डीएनए लिया था और कंकालों को हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोल्यीकूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में रखकर इनकी बारीकी से जांच की गई। इसमें हुए कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
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राखी गढ़ी में खोदाई के दौरान कंकाल का डीएनए नमूना लेते वैज्ञानिक।
शोध करने वाली टीम के मुताबिक, खोदाई में मिले नर कंकाल के डीएनएन से मिली जानकारी के बाद यह साफ हो रहा है कि हड़प्पाकालीन सभ्यता के लोग व्यापार करने के लिए देश के अलग-अलग जगहों पर जाते रहे होंगे। प्रोफेसर शिंदे के अनुसार, कुछ डीएनए रिपोर्ट अभी आनी बाकी हैं, लेकिन जो रिपोर्ट आई हैं उनका डीएनए द्रविड़ लोगों से मेल खाता है।
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कुछ रिपोर्ट अभी आनी बाकी
प्रोफेसर शिंदे के अनुसार, कुछ डीएनए रिपोर्ट अभी आनी बाकी हैं, लेकिन जो रिपोर्ट आई हैं उनका डीएनए द्रविड़ लोगों से मेल खाता है। वह बताते हैं कि हैदराबाद से डीएनए रिपोर्ट आने के बाद कुछ सैंपल अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी में क्रॉस चेकिंग के लिए भेजे गए थे। उनकी रिपोर्ट भी हमारी डीएनए रिपोर्ट से ही मेल खाती है। उन्होंने कहा कि नई जानकारी से हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर कई नए तथ्य सामने आएंगे और ये उस समय के इतिहास पर नई रोशनी डालेंगे।