पति-पत्नी के रिश्ते में नजदीकी लोगों की दखलअंदाजी बढ़ा रही दरार, आप न करें ये गलती
पति-पत्नी के रिश्ते में दरार बढ़ रही है। इसके आए दिन नए-नए मामले देखने को भी मिल रहे हैं। वो चाहे महिला के मायके वालों का दखल हो या फिर पुरुष के परिवार का दखल। परिवारों के दखल देने से पति-पत्नी में मतभेद बढ़ रहे हैैं।
झज्जर [दीपक शर्मा] परिवार के नजदीकी लोगों की दखलअंदाजी के कारण पति-पत्नी के रिश्ते में दरार बढ़ रही है। इसके आए दिन नए-नए मामले देखने को भी मिल रहे हैं। वो चाहे महिला के मायके वालों का दखल हो या फिर पुरुष के परिवार का दखल। परिवारों के दखल देने से पति-पत्नी में मतभेद बढ़ रहे हैैं। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि झज्जर में बाल भवन में बनाए गए परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले 70 फीसद तक मामलों में परिवार की दखलअंदाजी अहम कारण है। दरअसल, केवल परिवार की दखलअंदाजी भी अकेला कारण नहीं माना जा सकता। पृष्ठभूमि में अन्य विषय भी रहते हैैं। लेकिन, मूल विषय इन्हीं से जुड़कर आता है। जिससे कि पति-पत्नी का रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है।
केस 1 : दिल्ली गेट निवासी एक महिला की शादी रोहतक के एक गांव में हुई थी। कुछ समय बाद दोनों में अनबन रहने लगी। फरवरी 2020 में महिला ने इसकी बाल भवन में बनाए गए परिवार परामर्श केंद्र में शिकायत दी। तलाक तक की नौबत आ गई थी। पति-पत्नी की काउंसिलिंग की गई तो सामने आया कि दोनों तरफ से मां की दखअंदाजी के कारण दरार बढ़ी है। लड़के का आरोप था कि उसकी पत्नी अपनी मां की मानती है और लड़की का आरोप था कि उसका पति केवल मां की ही मानता है। दोनों की काउंसिलिंग करते हुए समझाया गया। 3-4 काउंसिलिंग के बाद दोनों राजी हुए। फिलहाल, दोनों मिलकर रह रहे हैं।
केस 2 : झज्जर शहर निवासी युवती की जनवरी 2020 में नजफगढ़ निवासी युवक से शादी हुई थी। पति से विवाद के चलते चार माह से महिला मायके ही रह रही है। परिवार परामर्श केंद्र में शिकायत देते हुए कहा कि शादी के 2 माह बाद ही ससुराल वाले तंग करने लगे थे। पति से ज्यादा सास व ननद पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया। महिला ने कहा कि उसका पति अपनी मां व बहन की बात मानता है। मारपीट भी करता रहता है। जो भी मां-बेटी बताती हैं उसी के आधार पर काम करता है। जिस कारण अलग होने तक की नौबत आ गई। साथ ही दहेज की मांग भी कर रहे हैं। इसके कारण दोनों में तलाक लेने की स्थिति बन गई है।
2019 से मार्च 2020 तक 45 मामले आए
परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले मामलों की बात करें तो अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 45 मामले काउंसिलिंग के लिए दर्ज हुए। इनमें से 35 मामले हल भी हो चुके हैं। वहीं अप्रैल 2020 के बाद 18 मामले दर्ज हो चुके हैं। काफी लोग ऐसे भी हैं, जो केवल एक बार काउंसिलिंग करवाने आते हैं और फिर चले जाते हैं। दोनों पक्षों में सहमति बनने के करीब छह माह बाद तक फीडबैक भी लिया जाता है। ताकि पति-पत्नी के रिश्ते में फिर से दरार पैदा न हो।
70 फीसद विवादों का कारण परिवार का दखल
परिवार परामर्श केंद्र की काउंसिलर ज्योति शर्मा व ओमवती शर्मा ने बताया कि परामर्श के लिए आने वाले पति-पत्नी के 70 फीसद से अधिक मामलों में दरार का कारण परिवार की दखलअंदाजी होता है। काउंसिलिंग के माध्यम से दोनों पक्षों को मिलाने का प्रयास रहता है और काफी हद तक सफल भी होते हैं।
------परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले सभी मामलों को सहमति से हल करवाने का प्रयास रहता है। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के मध्य आए 45 मामलों में से 35 का सहमति से निपटान भी हो चुका है। अन्य मामलों में सहमति बनाने के लिए काउंसिलिंग की जा रही है, जिससे परिवारों को खुशियां देने की कोशिश रहती है।
- ओमप्रकाश बिबयान, जिला बाल कल्याण अधिकारी, बाल भवन, झज्जर।