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एंटीबाडी से बीमारियों का किया जा सकता है उपचार

लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा सूक्ष्य जीव विज्ञान विभाग में कार्यशाला आयोजित।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Dec 2021 07:43 PM (IST)Updated: Thu, 30 Dec 2021 07:43 PM (IST)
एंटीबाडी से बीमारियों का किया जा सकता है उपचार
एंटीबाडी से बीमारियों का किया जा सकता है उपचार

जागरण संवाददाता, हिसार: लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग में बुधवार को एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विभाग में संचालित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के तहत किए गए अनुसंधान का अवलोकन किया गया। परियोजना के मुख्य अन्वेषक व विभागाध्यक्ष डा. नरेश कक्कड़ ने मुख्य अतिथि पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय अधिष्ठाता डा. विनोद कुमार जैन को फेज डिस्प्ले का वर्णन किया। एंटीबाडीज की सभी प्रकार की बीमारियों के इलाज व शोध कार्यों में विशेष भूमिका है और भविष्य में एंटीबाडीज के उत्पादन में लघु पशुओं को इस्तेमाल करने से बचाया जा सकेगा। परियोजना सह अन्वेषक डा स्वाति दहिया ने बताया की इस परियोजना में पशुओं की चार अत्यंत घातक विषाणु (मुंह खुर रोग) और जीवाणु (गलघोटू रोग, ब्रुसेल्ला तथा स्टेफायलोकोकोस) के विरुद्ध नैनो एंटीबाडीज की खोज पर अनुसंधान कार्य किया गया। इस अवसर पर सभी सह अन्वेषक डा अखिल कुमार गुप्ता, डा अंशुल लाठर, डा प्रवीन कुमार, डा महावीर सिंह ने इस परियोजना के दौरान अनुसंधान की विस्तार से जानकारी दी। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि डा विवेक जैन ने विश्वविद्यालय में पशुचिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा किये गए अनुसंधान की तारीफ करते हुए इसी तरह अग्रिम रहने की प्रेरणा दी और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार की नैनो एंटीबाडीज पशुओं की अत्यंत घातक बीमारियों के इलाज एवं निदान में विशेष भूमिका अदा करेगी। मुख्य अतिथि ने विभाग की मुंह एवं खुर रोग प्रयोगशाला द्वारा वर्ष 2020 में किये गए कार्य के अवलोकन में भारतीय कृषि अनुसन्धान- मुंह एवं खुर रोग निदेशालय द्वारा ए ग्रेड अर्जित करने पर बधाई दी। इस अवसर पर डा अजीत सिंह और डा. सुरेन्द्र काद्यान वैज्ञानिक एमेरिटस भी उपस्थित रहे।

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