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एचएयू में लगेगा एक किलो का अमरूद, हरे आम जैसा ऐपल बेर, 50 दिन तक खराब नहीं होगा कोंकण नीबू

अब चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में भी एक किलो वजनी अमरूद लगेंगे। ये अमरूद मीठे भी होंगे और इनमें बीज भी नाममात्र होंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 02:25 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 11:03 AM (IST)
एचएयू में लगेगा एक किलो का अमरूद, हरे आम जैसा ऐपल बेर, 50 दिन तक खराब नहीं होगा कोंकण नीबू
एचएयू में लगेगा एक किलो का अमरूद, हरे आम जैसा ऐपल बेर, 50 दिन तक खराब नहीं होगा कोंकण नीबू

जेएनएन, हिसार : अब चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में भी एक किलो वजनी अमरूद लगेंगे। ये अमरूद मीठे भी होंगे और इनमें बीज भी नाममात्र होंगे। इस अमरूद को सामान्य अमरूद की अपेक्षा 15 दिन तक स्टोर किया जा सकेगा, जिससे ट्रांसपोर्टेशन में भी आसानी होगी। इस अमरूद की खेती कम ¨सचाई में भी की जा सकती है। इसलिए यह किस्म किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होने वाली है।

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दरअसल, विश्वविद्यालय में 20 एकड़ में ऑर्गेनिक बाग लगाया जा रहा है। यह बाग पूरी तरह से एडवांस्ड होगा। ¨सचाई से लेकर विभिन्न तरह की उर्जा प्राकृतिक स्त्रोतों से ही ली जाएगी। शनिवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी ¨सह ने अमरूद की बिही किस्म का पौधा लगाकर इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इन अमरूद का वजन 300 ग्राम से एक किलोग्राम तक होता है। इस 20 एकड़ के जैविक बाग में एपल बेर, कोकण नींबू, कटहल और बेलगिरी की भी खेती की जाएगी। इसके लिए देश की सर्वश्रेष्ठ किस्मों का चयन किया गया है। कोंकण नींबू की होगी जैविक खेती

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बारह मासी नींबू के पौधे यूं तो लोगों के बीच मशहूर हैं। लेकिन अब विश्वविद्यालय में जैविक तरीके से कोकण नींबू लगाया जाएगा। इस किस्म के नींबू साइज में बड़ा होने के साथ-साथ इसमें बीज भी न के बराबर होते हैं और यह अचार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। दूसरी किस्मों के नींबू को जहां 15 से 20 दिन तक स्टोर किए जा सकता है। वहीं कोंकणी नामक किस्म के इस नींबू को 50 दिन तक स्टोर किया जा सकेगा। एपल बेर -

20 एकड़ के ऑर्गेनिक बाग में एपल बेर भी लगाया जाएगा। यह किस्म मूलरूप से थाईलैंड की है। जो देखने में हरे सेब की तरह, चमकदार एवं गुणों से भरपूर है। इसका साइज अन्य बेर की किस्मों की तुलना में काफी बड़ा है और यह हरे आम की तरह दिखता है। इसकी फसल लगाने के बाद शुरुआती वर्ष में ही इससे फल मिलने शुरू हो जाते हैं।

- जैविक फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय जैविक उत्कृष्ट केन्द्र के 20 एकड़ क्षेत्र में जैविक फलों की खेती की जाएगी। ताकि किसान भी जैविक और उन्नत खेती की ओर प्रोत्साहित हों। फिलहाल 20 एकड़ में हम अमरूद, एपल बेर, नींबू, कटहल और बेलगिरी की उन्नत किस्मों के पौधे रोपित कर रहे हैं। पौधे रोपित करने का यह सिलसिला जारी रहेगा ताकि प्रदेश का किसान नई किस्मों के फलों की खेती कर सके।

- प्रो. केपी ¨सह, कुलपति, एचएयू।

120 एकड़ में बनाया जा रहा ऑर्गेनिक फार्म -

- किसानों को ऑर्गेनिक फसल लगाने, बीज तैयार करने, मार्के¨टग, सर्टिफिकेशन आदि का प्रशिक्षण देने के लिए एचएयू ने 120 एकड़ में पंडित दिनदयाल उपाध्याय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की है। इसके तहत 20 एकड़ जमीन पर बाग लगाया गया है, जबकि बाकि जमीन पर दूसरी फसलें लगाई जाएंगी। इस ऑर्गेनिक फार्म में सोलर एनर्जी का उत्पादन भी होगा। पूरा ऑर्गेनिक फार्म सोलर एनर्जी पर आधारित होगा। पोंडस के ऊपर व खेतो में पोल लगाकर सोलर पैनल भी लगाए जाएंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार ऑर्गेनिक फार्म के साथ लगते लुवास के डेयरी फार्म से गोबर व विश्वविद्यालय के अन्य हिस्सों से इकट्ठे होने वाले पौधों, पत्तियों, टहनियों आदि से आधुनिकतम तकनीक से कंपोस्ट बनाया जाएगा, जिससे बड़े स्तर पर गैस का उत्पादन भी होगा।


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