विभाग मानने को नहीं तैयार, दो माह से खुद के जिंदा होने का प्रमाण ले भटक रहा दिव्यांग
गांव बड़ोपल के 46 वर्षीय ओमप्रकाश जन्म से ही दिव्यांग हैं मगर वो जीवित होने के बावजूद जिला समाज कल्याण विभाग ने उन्हें मृत घोषित किया हुआ है। दो महीने से उसकी पेंशन भी रोक दी गई
जेएनएन, फतेहाबाद : सीरियल ऑफिस-ऑफिस में जिंदा आदमी को दस्तावेजों में मृत घोषित करने और फिर मरने वाले मसूदी लाल जिंदा होने के प्रमाण लेकर ऑफिस के चक्कर काटते रहते हैं। मगर ऐसा ही एक मामला हकीकत में भी सामने आया है। जहां जिंदा व्यक्ति को ही मृत घोषित कर दिया और अब वह अपने जिंदा होने के सबूल ले दर- दर भटक रहा है। गांव बड़ोपल के 46 वर्षीय ओमप्रकाश जन्म से ही दिव्यांग हैं। लेकिन उसके जीवित होने के बावजूद जिला समाज कल्याण विभाग ने उन्हें मृत घोषित किया हुआ है। अब वह अपने जिंदा होने के प्रमाण को लेकर पिछले दो महीनों से अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। समाधान नहीं मिल रहा। दिव्यांग ओमप्रकाश ने बताया कि उसको वर्ष 1997 से विकलांगता की पेंशन मिल रही थी।
गत अगस्त से उसकी पेंशन आनी बंद हो गई। इसके बाद वह गांव बड़ोपल में स्थित सेंट्रल बैंक गया। लेकिन वहां पेंशन संबंधी उसे किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई। फिर वह जिला समाज कल्याण विभाग गया। वहां उसके बायोमैट्रीक वेरिफिकेशन करवाने की बजाए कई प्रकार की दस्तावेज मांगे गए।
उनमें से अधिकांश उसने जमा करवा दिए। उसके बाद भी उसे सितंबर महीने की पेंशन नहीं दी गई। ओमप्रकाश ने आरोप लगाया कि उसका एक पैर जन्म से ही काम नहीं करता। किसी के सहारे से वह चलता है। परंतु विभाग के अधिकारी उसकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। अब उसने सीएम विंडो पर शिकायत देकर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
हमारी नहीं बैंक की है गलती
जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारी परमजीत कौर ने कहा कि ये गलती हमारी नहीं है। बैक की ओर से गलती की गई है। ओमप्रकाश ने पिछले सप्ताह ही हमारे कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई है। जिसे जल्दी ही ठीक कर दिया जाएगा। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं इस बाबत मैने हमारे विभाग के उच्चधिकारियों कों सूचना दी है।