134ए तहत ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनवाने में गरीबों से मांगें 2-2 हजार रुपये के स्टांप
हिसार मैं गरीब हूं। अपनी बेटी का दाखिला 134ए के तहत निजी स्कूल में कर
जागरण संवाददाता, हिसार : मैं गरीब हूं। अपनी बेटी का दाखिला 134ए के तहत निजी स्कूल में करवाने के लिए इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएम) प्रमाण पत्र बनवा रही थी। 15 दिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए। ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की कागजी औपचारिकताएं पूरी की। लेकिन जब तहसील कार्यालय पहुंची तो प्रमाणपत्र बनाने का सपना ही टूट गया। वहां मौजूद कर्मचारी ने किराया नामा दो हजार के स्टाप पेपर के साथ मांगा। कर्मचारी से इस आर्डर की कापी मांगी तो दिखाने से साफ इनकार दिया। ऐसे में मैं और मेरे साथ मेरी परिचित बिना प्रमाणपत्र के वापस लौट आई। ऐसा लगा सरकार गरीबों के साथ दाखिले के नाम पर मजाक कर रही है। हम गरीबों के पास दो हजार होते तो बच्चे का दाखिला ही करवा लेते। ऐसे में अब मैंने मेरी बेटी के दाखिले के लिए इस नए आदेश का सच जानने के लिए सोशिल मीडिया के माध्यम से प्रदेश मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को ट्वीट कर शिकायत की है। उधर पार्षद महेंद्र जुनेजा की माने तो यह एक महिला का दर्द नहीं बल्कि दो दिन में कई अभिभावक उनसे शिकायत करने आए जिनकी यही समस्या था। इस आदेश के बारे में जनप्रतिनिधियों तक को जानकारी नहीं है।
डीसी से डीईओ तक को शिकायत करने पहुंची
मनोहर कालोनी निवासी महिला ऊषा ने कहा कि जब तहसील कार्यालय में कर्मचारी ने अपना नाम जोगिद्र बताया और उसने किराया नामा दो हजार रुपये के स्टांप पेपर पर मांगा। इसकी शिकायत करने मैं डीसी, एडीसी और डीईओ कार्यालय में गई। ये अधिकारी बैठक में थे तो शिक्षा विभाग के दफ्तर में एक महिला अधिकारी से मिली। उसने भी दो हजार के स्टांप के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की ओर इस बारे में जानकारी न होने की बात कही। अब इंसाफ के लिए जाए तो जाए कहा। उधर इस मामले में कर्माचारी जोगिद्र से बात की तो उसने कहा कि हमें तो तहसीलदार के आदेश है कि किरायानामा में दो हजार का स्टांप पेपर लगेगा। इस बारे में कार्यदिवस में ही बता सकता हूं।
फ्री से 2 हजार पर पहुंचा प्रशासन : पार्षद जुनेजा
पार्षद महेंद्र जुनेजा ने कहा कि मुझे खुद इस आदेश के बारे में हैरानी है। पहले फ्री में प्रमाणपत्र बनता था। फिर 10 रुपये के स्टांप पर किराया नामा बनने लगा। इसके बाद 100 रुपये के स्टाप और अब दो हजार के स्टांप पर मांग रहे है। यह हैरानी की बात है कि जिन्हें गरीब कहा जा रहा है उनसे 2-2 हजार रुपये के स्टांप मांगना हैरानी की बात है। इस बारे में तहसीलदार से बात करुंगा।