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किसान आंदोलनः दिल्ली बॉर्डर बंद हुआ तो फैक्ट्रियां चलाने के लिए कई उद्यमियों ने कर्मचारियों के बनवाए मेट्रो कार्ड

बहादुरगढ़ की 1500 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। बहादुरगढ़ में देश का 50 फीसद नॉन लैदर फुटवियर बनता है मगर सर्दी के इस मौसम में जूते का सीजन बिल्कुल ठप हो गया है। 400 करोड़ का तैयार माल अटका है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 02:23 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 02:23 PM (IST)
किसान आंदोलनः दिल्ली बॉर्डर बंद हुआ तो फैक्ट्रियां चलाने के लिए कई उद्यमियों ने कर्मचारियों के बनवाए मेट्रो कार्ड
उद्योगपति बोले एक-दो दिन यहीं स्थिति रही तो काम बंद करना पड़ेगा।

हिसार/बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन के कारण टीकरी बॉर्डर बंद हुआ तो फैक्ट्रियों पर इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। दिल्ली की ओर से दो दिन पहले औद्योगिक क्षेत्र के साथ कच्चे रास्ते भी बंद किए जाने से एमआइई पार्ट बी की फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप हो गया है।

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यहां की 1500 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। तैयार माल और कच्चा माल न आ-जा पाने से इंडस्ट्री को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। बहादुरगढ़ में देश का 50 फीसद नॉन लैदर फुटवियर बनता है, मगर सर्दी के इस मौसम में जूते का सीजन बिल्कुल ठप हो गया है। 400 करोड़ का तैयार माल अटका है। कच्चे माल के स्टॉक से फैक्ट्रियों को चलाने के लिए दिल्ली से आने वाले स्टॉफ के मेट्रो कार्ड बनवाने पड़ रहे हैं। कुछ फैक्ट्री संचालकों ने अपने कर्मचारियों के लिए मेट्रो कार्ड बनवा दिए हैं तो कुछ ने खुद भी बनवा लिए हैं। दिल्ली मेट्रो पहले दो दिन बाद ही नियमित सेवाएं बहादुरगढ़ तक दे रही है। 

रोज घटाना पड़ रहा एक हजार जूतों का उत्पादन

बीसीसीआइ के संयुक्त सचिव और यूनिस्टार फुटवियर कंपनी के मालिक हरि शंकर बाहेती ने कुछ साल पहले नेपाल से आकर बहादुरगढ़ में फैक्ट्री लगाई थी। उनका कहना है कि हमारे यहां पर हर रोज करीब 10 हजार जोड़ी जूते बनते थे। अब दो-तीन से घटकर यह संख्या 4 हजार हो गई है। अब स्थिति यह है कि रॉ मैटीरियल न होने से हर रोज एक हजार जूते का उत्पादन कम करना पड़ रहा है। दो-तीन दिन में फैक्ट्री भी बंद करनी पड़ सकती है। दिल्ली का स्टॉप आता नहीं। लेबर यहीं आसपास रहती है, जो पैदल आ रही है। मगर दिल्ली से प्लास्टिक दाना, ग्लू, लैमिनेटेड फैब्रिक आदि रॉ मैटीरियल कहीं से भी नहीं मिल रहा है। अब तक स्टॉक से ही काम चल रहा था। जो धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।  

एक-दो दिन में बंद करनी पड़ेगी फैक्ट्री : अजय

जूते व चप्पल बनाने वाली फैक्ट्री चला रहे अजय खट्टर बताते हैं कि अब तक किसी तरह काम चला रहा हूं। मेरे पास 120 कर्मचारी हैं। अमूमन कर्मचारी आसपास रहते हैं जो पैदल आ जाते हैं। 20 कर्मचारी दिल्ली से आते हैं। ऐसे में उनका मेट्रो कार्ड बनवाना पड़ा। यहां रहने वाले भी 30 फीसद कर्मचारी नहीं आ पा रहे हैं। करीब 60 लाख का तैयार माल फैक्ट्री में रखा है। जूते व चप्पल बनाने में प्रयोग होने वाला रॉ मैटीरियल बहादुरगढ़ के एमआइई पार्ट ए व सेक्टर 17 औद्योगिक क्षेत्र से भी नहीं आ पा रहा है। इसमें पीयू, कैरी बैग, प्लास्टिक दाना आदि शामिल है। अब तक फैक्ट्री में रखे स्टॉक से ही काम चल रहा है। एक-दो दिन यहीं स्थिति रही तो काम बंद करना पड़ेगा। 

न पानी की सप्लाई और ना ही मिल रहा पॉलीमर, बंद करनी पड़ी फैक्ट्री: पवन बजाज

एमआइई पार्ट बी में पीवीसी पाइप बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक पवन बजाज ने बताया कि उसके पास 12 कर्मचारी हैं लेकिन एक भी नहीं आ पा रहा है। वहीं पीवीसी पाइप बनाने के लिए पानी व पॉलीमर की जरूरत है। वो आ नहीं रहा है। दो दिन में करीब 10 हजार लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। सप्लाई यहां डेढ़ साल से बंद है। टैंकर मंगवाने का रास्ता नहीं। ऐसे में फैक्ट्री ही बंद करनी पड़ी। वहीं उद्यमी आलोक सूरी ने बताया कि वे एमआइई पार्ट बी में कास्टिंग का काम करते हैं। रॉ मैटीरियल न आने से काफी नुकसान हो रहा है। उद्यमी निशी गुप्ता ने बताया कि रॉ मैटीरियल से भरे ट्रक छह दिन सड़क पर हैं। ऐसे में कुछ भी काम नहीं चल पा रहा है। 


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