स्वयं सहायता समूहों को ब्याज में राहत देने की घोषण भी नहीं हुई पूरी, लोन मिलने में भी परेशानी
महिलाएं कहती हैं कि सरकार की घोषणा लागू तो होती है मगर उसे धरातल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है। ब्याजमुक्त ऋण स्वयं सहायता समूहों की मदद जरूर करेगा मगर बैंकों को भी तो कोई कहे कि वह लोन तो दें।
हिसार, जेएनएन। स्वयं सहायता समूहों को सरकार द्वारा ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। इस पर पिछले कई वर्षों से स्वयं सहायता समूहों चलाने वाली महिलाओं की एक अलग ही राय है। महिलाएं कहती हैं कि सरकार की घोषणा लागू तो होती है मगर उसे धरातल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है। ब्याजमुक्त ऋण स्वयं सहायता समूहों की मदद जरूर करेगा मगर बैंकों को भी तो कोई कहे कि वह लोन तो दें।
महिलाओं को एक-एक ऋण के आवेदन के लिए कई-कई चक्कर बैंकों के लगाने होते हैं। यह तब होता है जब पुराना ऋण समय पर चुकाया है। ऐसे में महिलाएं अपने काम में तेजी नहीं ला पा रही हैं। यहां तक कि कुछ महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह सिर्फ इसी लिए छोड़ दिए क्योंकि न तो काम करने के लिए लोन मिला न अन्य किसी प्रकार की वित्तीय सहायता मिली।
केस 1----
तीन वर्ष पहले की घोषणा, नहीं मिली राहत
प्रगति स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कविता बताती हैं कि वह 2015 से स्वयं सहायता समूहों में काम कर रही हैं। आंध्र प्रदेश से एक टीम आई थी उसने हम प्रशिक्षित किया। अब समूह में 10 महिलाएं हैं, आय भी अच्छी हो रही है। हमारे गांव पेटवाड़ में 7 ग्रुप संचालित हैं। हर महिला 5 से 10 हजार रुपये बचत कर लेती है। अगर ऋण बिना ब्याज के मिलेगा तो यह समूहों को प्रबल करेगा। मगर दिक्कत यह है कि घोषणा होने के बावजूद वादे पूरे नहीं होते। तीन वर्ष पहले भिवानी में एक सभा में ब्याज माफी की घोषणा की गई थी मगर आज तक नहीं हुई। अब यह घोषणा कब पूरी होगी इसका पता नहीं।
केस 2-----
लोन के लिए बैंक के लगा रहीं चक्कर
मिलकपुर की अनीता छह वर्षों से स्वयं सहायता समूह चला रही हैं। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद वह समूह द्वारा लिया गया लोन समय पर देती हैं। आय भी कर रही हैं और गांव की दूसरी महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। हाल ही में एक लाख रुपये के लोन के लिए आवेदन किया मगर राखी स्थित बैंक प्रबंधक ने कई चक्कर कटवा दिए। पहले लोन समय पर भी अदा किया था फिर भी बैंक लोन नहीं पास कर रही। स्वयं सहायता समूहों को समय पर और सही तरीके से लोन मिलना चाहिए।