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मधुमक्खियों के काटने से हुई बेलदार की मौत, दो दिनों से शव नहीं लेने पर अड़ें है परिजन

मधुमक्खियों के हमले से नहरी विभाग के बेलदार की मौत के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। अभी भी परिजन शव नहीं लेने की बात पर अड़े हुए हैं। शनिवार को भी पूरा दिन मामले ने तूल पकड़े रखा

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 03:26 PM (IST)
मधुमक्खियों के काटने से हुई बेलदार की मौत, दो दिनों से शव नहीं लेने पर अड़ें है परिजन
मधुमक्खियों के काटने से हुई बेलदार की मौत, दो दिनों से शव नहीं लेने पर अड़ें है परिजन

बहादुरगढ़, जेएनएन। मधुमक्खियों के हमले से नहरी विभाग के बेलदार की मौत के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। अभी भी परिजन शव नहीं लेने की बात पर अड़े हुए हैं। शनिवार को भी पूरा दिन मामले ने तूल पकड़े रखा। गुस्साए परिजनों ने पोस्टमार्टम के बाद शव लेने से मना कर दिया था। रविवार को भी परिजन इसी बात पर अड़े हुए हैं। मृतक के आश्रित को नौकरी व आर्थिक मदद की मांग को लेकर शव लेने आए लोग अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठे हुए हैं।

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इससे पहले घटना के बाद से लेकर शनिवार दोपहर तक विभाग के किसी अधिकारी के न पहुंचने से भी परिजनों व ग्रामीणों में गुस्सा था। बाद में शाम को एसडीएम पहुंचे। उन्हें समझाने पर भी परिजन नहीं शांत हुए और अपनी मांग पर अड़े रहे। देर सायं परिजन भी अस्पताल से वापस लौट गए।

उधर, पीडि़त परिवार के समर्थन में कई कर्मचारी व राजनीतिक संगठन उतर आए। संगठनों के पदाधिकारी व नेता अस्पताल में पहुंच गए। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर धरने पर  बैठ गए। दिन भर यहां पीडि़त परिवार विभागीय अधिकारियों के पहुंचने और लिखित आश्वासन मिलने का इंतजार करता रहा, मगर ऐसा नहीं हुआ।

शनिवार की शाम को एसडीएम तरुण पावरिया व नायब तहसीलदार पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, मगर परिजन अपनी मांग पर अड़े रहे। ऐसे में एसडीएम भी वापस लौट गए। दरअसल, निलौठी गांव निवासी भीम सिंचाई विभाग में ठेकेदार के मातहत बेलदार के  पद पर कार्यरत था। उसकी ड्यूटी गुरुग्राम वाटर सर्विस माइनर पर मांडोठी में चल रही थी। शुक्रवार की शाम जब वह ड्यूटी पर था तो उस पर  मधुमक्खियों के झुंड ने हमला बोल दिया था।

इससे वह नहर में गिर गया। उसे पानी से निकालकर निजी अस्पताल में  लाया गया। यहां से उसे रेफर कर दिया। उसे सिविल अस्पताल लाया गया तो चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शनिवार को शव का पोस्टमार्टम हुआ, मगर किसी भी विभागीय अधिकारी ने पहुंचना तो दूर घटना के बारे में पूछा तक नहीं। इससे परिजनों का गुस्सा बढ़ गया।

-एसडीओ से हुई नोंकझोंक

काफी इंतजार के बाद विभाग के एसडीओ ने पीडि़त परिवार से अपना मांग पत्र देने की बात कही, मगर परिजनों ने इससे साफ इंकार कर दिया।  इस बीच एसडीओ और परिजनों के बीच नोंकझोंक हो गई। मामले को बढ़ता देख  अस्पताल में तैनात पुलिस कर्मियों ने परिजनों को समझा बुझाकर एक तरफ किया।  जजपा नेता संजय दलाल का कहना था कि जब तक मांगों पर उचित आश्वासन नहीं  मिलता तब तक हल नहीं होगा। दलाल ने बताया कि उन्होंने खुद इस बारे में ठेकेदार से बात की तो ठेकेदार ने इस बारे में कोई भी लेना-देना न होने की बात कही। ठेकेदार का कहना था कि उसके तो विभागीय अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजात प्रयोग किए जा रहे हैं, आउट सोर्सिंग का ठेका उसके पास नहीं है। इससे अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है।

--एसडीएम भी बैरंग लौटे

जब शाम तक परिजन शांत नहीं हुए तो एसडीएम तरुण  पावरिया अस्पताल में पहुंचे और परिजनों का समझाने का प्रयास किया। मगर  परिजनों का कहना था कि जब तक उचित मुआवजा नहीं मिलता तब तक शव  नहीं लेंगे। काफी प्रयासों के बाद भी जब परिजन नहीं मानें तो एसडीएम परिजनों  का मांग पत्र लेकर लौट गए। अब रविवार को इस मामले में कोई फैसला  होने की उम्मीद है।

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