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पत्नी का घर में था शव, पर हिसारवासी अमरनाथ ने रोजाना की तरह घर-घर पहुंचाए अखबार

हिसार की प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले 65 वर्षीय बुजुर्ग अमरनाथ की पत्‍नी का हार्ट अटैक होने से देहांत हो गया। सुबह चार बजे घर में शव था मगर पांच बजे वे बीते 40 सालों की तरह अखबार बांटने के‍ लिए निकल पड़े।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 08:12 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 08:12 PM (IST)
पत्नी का घर में था शव, पर हिसारवासी अमरनाथ ने रोजाना की तरह घर-घर पहुंचाए अखबार
पत्‍नी के निधन के बावजूद अखबार बांटने निकले हिसार निवासी अमरनाथ

हिसार [वैभव शर्मा] हाड़ कंपाती सर्दी हो घनघोर बारिश। अखबार तो आपके घर पहुंचता ही हैं। सच्चे अर्थों में कर्मयोगी होते हैं अखबारों के वितरक(हाॅकर)। बच्चा बीमार हो या पत्नी, मां बीमार हो या बहन, कर्तव्य के प्रति निष्ठा डिगती नहीं। ऐसे ही कर्मयोगियों में एक हैं हिसार की प्रोफेसर कालोनी में रहने वाले 65 बुजुर्ग अमरनाथ।

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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में कर्मचारी रही 63 वर्षीय पत्नी विमला देवी के साथ रहते थे। सोमवार को विमला देवी को सोमवार रात हृदयाघात हुआ। सूचना मिलते ही मुहल्लेवाले और रिश्तेदार पहुंचने लगे।

इस बीच 4 बज गए बुजुर्गवार की निगाह अचानक घड़ी पर पड़ी, चार बज रहे थे। उन्होंने साइकिल निकाली। लोगों ने पूछा-आज भी अखबार बांटेंगे? बोले-हां। पाठक इंतजार कर रहे होंगे। सीधे न्यूज पेपर एजेंसी पहुंचे। अपने हिस्से का अखबार लिया बांटा। तब तक दोनों बेटे मनोज व पंकज और परिवार वाले शव श्मशान घाट पर ले जा चुके थे। इसके लिए अमरनाथ उन्हें स्वयं कह गए थे। यह कहकर कि वह दस बजे तक श्मशान घाट पहुंच जाएंगे। अखबार बांटने के बाद वह सीधे श्मशान घाट पहुंचे।

पत्नी के चेहरे को भरी आंखों से देखा। माथे पर स्नेहिल स्पर्श किया। गालों पर मोती ढुलक आए और उसके बाद अंत्येष्टि की। अमरनाथ के साथी पवन मित्तल बताते हैं कि अमरनाथ ने सदा ही अपने कर्तव्य को प्राथमिकता पर रखा। वह 30 वर्ष से अखबार वितरण का कार्य कर रहे हैं। लेकिन वर्ष के चार दिन होली, दीवाली, 15 अगस्त और 26 जनवरी के अतिरिक्त कभी अवकाश नहीं लिया।

इन चार दिन भी वह इसलिए अवकाश लेते हैं, क्योंकि अखबारों में अवकाश रहता है और छपते नहीं। उनके पत्नी ने भी उन्हें सहयोग किया। परिवार वालों ने भी किसी ने कभी छुट्टी करने की जिद नहीं की। पत्नी के निधन के बाद भी परंपराओं के अनुसार उनकी आत्मा की शांति के लिए अखबार बांटने के बाद लौटकर सारे कार्य संपन्न करते हैं।


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