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कश्‍मीर के हिमस्खलन में शहीद हुए सेना के जवान काे झज्‍जर में नम आंखों से दी अंतिम विदाई

जम्‍मू कश्मीर के टंगडार में हुए हिमस्खलन में जान गंवाने वाले सेना के जवान अमित समोता के पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा। हर ओर भारत माता की जय के नारे लगे तो हर आंख नम हो गई

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 01:05 PM (IST)
कश्‍मीर के हिमस्खलन में शहीद हुए सेना के जवान काे झज्‍जर में नम आंखों से दी अंतिम विदाई
कश्‍मीर के हिमस्खलन में शहीद हुए सेना के जवान काे झज्‍जर में नम आंखों से दी अंतिम विदाई

साल्हावास (झज्जर) जेएनएन। कश्मीर के टंगडार में हुए हिमस्खलन में जान गंवाने वाले सेना के जवान अमित समोता का पार्थिव शरीर उनके गांव मुंदसा में पहुंचा। पार्थिव शरीर को लेकर जैसे ही सेना के जवान गांव के बाहर आए तो बाइकों का काफीला उन्‍हें घर तक लेकर आया। तिरंगा लिए हर कोई भारत माता की जय का नारे लगा रहा था। शहीद अमर रहे के नारे सुन हर किसी की आंख नम हो गई।

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जवान के पार्थिव शरीर को सलामी देते हुए सेना और पुलिस के जवान

पत्‍नी और मां ने जवान का पार्थिव शरीर देखा तो आंसुओं का सैलाब निकल पड़ा। शहादत की खबर से अनजान जब मां और पत्‍नी को पता चला तो वो अपने आप को संभाल न सकी। वहीं शहीद का ग्‍यारह महीने का बेटा अभी कुछ समझ पाने में भी असमर्थ है, पिता की शहादत की बात शायद वो कुछ साल बाद समझ पाए।

पार्थिव शरीर के आगे तिरंगा ले काफीले में चल रहे ग्रामीण

शहीद को नम आंखों से सभी ने विदाई दी तो 11 माह के बेटे के हाथों पिता को मुखाग्नि दिलवाई। यह देख हर कोई द्रवित हो उठा। दिसंबर 2015 में सेना में भर्ती हुए अमित के बड़े भाई प्रवीण भी सेना में है। नवंबर 2017 में सुमित के साथ उनकी शादी हुई थी और एक 11 माह का बेटा भी है। सुमित चार भाई-बहनों में सबसे छोटे सुमित थे।

जवान के पार्थिव शरीर को प्रणाम करते हुए

11 माह के बेटे को अब नहीं मिलेगा बाप का दुलार !

झज्जर : खुद से तीन साल छोटे भाई अमित के शहीद होने का समाचार पाकर अलवर से गांव मुंदसा पहुंचे जवान प्रवीण समोता ने करीब एक सप्ताह पहले भाई से फोन पर बात की थी। राजी-खुशी का पूछने के बाद अमित ने कहा था कि करीब 20 दिन बाद घर आऊंगा। फिर एक साथ समय व्यतीत करेंगे। बड़े भाई से घर लौटने का किया अमित का यह वायदा तो तय किए गए समय से पहले ही पूरा होने जा रहा है। लेकिन, परिस्थितियां बदल चुकी है। कारण कि जयबीर समोता के घर जन्मे अमित उत्तरी कश्मीर में मंगलवार को हुई हिमस्खलन की घटना में शहीद हुए 4 जवानों में एक है। जो कि मार्च-अप्रैल में घर से ड्यूटी पर गए थे। दीपावली के त्योहार पर भी अमित अपने परिवार के साथ समय व्यतीत नहीं कर पाए और ना ही अब भाई तथा परिवार के अन्य लोगों के साथ समय व्यतीत करने का वायदा पूरा कर पाएंगे।

साथ भी नहीं चल पाया दो कदम

करीब 25 वर्षीय अमित समोता का एक छोटा बेटा भी है। भारी मन से प्रवीण ने बताया कि वह अभी तक ठीक ढंग से पैरों से भी नहीं चल पाता। करीब 10 से 11 माह की बेटे की उम्र है। दरअसल, करीब आठ माह से देश सेवा के लिए ड्यूटी पर गए अमित अपने बेटे के साथ दो कदम भी नहीं चल पाए है। कहा जा सकता है कि 11 माह के बेटे को अब बाप का वह दुलार नहीं मिल पाएगा। जिसमें वह उंगली पकड़कर साथ में चलने की जिद करता है। परिवार में अमित की पत्नी सुमित के अलावा दो बड़ी बहन सुमन और मनीषा के अलावा मां राज बाला है। जिन्हें अभी तक अमित के साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी नहीं दी गई है। इधर, गांव के स्तर पर हर घर में इस बात का पता है। हर कोई बात को जानकार भी अनजान बना हुआ है।

दो दिन पहले घर हुई थी अमित की बात

भाई प्रवीण समोता ने बताया कि अमित की दो दिन पहले घर में बात हुई थी । ठीक-ठाक होने की जानकारी देते हुए उसने परिवार के सभी लोगों का कुशल क्षेम पूछते हुए बताया था दिसंबर माह के आखिर तक आएगा। मार्च-अप्रैल में ड्यूटी पर गए अमित बीच के अरसे में घर नहीं आए है। हालांकि, फोन पर परिवार के साथ बात ही संपर्क का एकमात्र सहारा थी। होनी को यह मंजूर होगा कि अमित इस तरह से आएंगे, किसी ने भी नहीं सोचा था। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे अमित सरल स्वभाव के धनी थे। घर और काम के अलावा उन्हें किसी भी बात से ज्यादा सरोकार नहीं था।


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