अब तक 1500 से ज्यादा पौधे लगा चुके भिवानी के सेवानिवृत्त सुप्रींटेंडेंट दर्शानंद नेहरा
शिक्षा विभाग में सुपरिंटेंडेंट रहे दर्शनानंद नेहरा बताते हैं वर्ष 1964 में उनके पिताजी ने खेत में शीशम की जड़ लगाई थी। उसके बाद पौधे लगाने की ऐसी मुहिम परिवार में शुरू हुई जिसे पहले पिताजी ने आगे बढ़ाया।
सुरेश मेहरा, भिवानी : पर्यावरण संरक्षण की मिसाल हैं दर्शनानंद नेहरा। इन्होंने 1-2 नहीं अपने घर और खेत में 15 सौ से ज्यादा पौधे लगाए हैं। इतना ही नहीं घर और रिश्तेदारी या फिर दोस्ती में कोई शुभ कार्य होता है या फिर कोई सामाजिक रस्मो रिवाज निभानी होती है तो वह मान सम्मान रुपए से नहीं पौधे भेंट करके हैं। इन्होंने ऐसी मिसाल कायम कर दी है कि इनके पदचिन्हों पर अब हर कोई चलने की चाह रख रहा है।
वर्ष 1964 में पिताजी ने खेत में लगाई थी शीशम की जड़
शिक्षा विभाग में सुपरिंटेंडेंट रहे दर्शनानंद नेहरा बताते हैं वर्ष 1964 में उनके पिताजी ने खेत में शीशम की जड़ लगाई थी। उसके बाद पौधे लगाने की ऐसी मुहिम परिवार में शुरू हुई जिसे पहले पिताजी ने आगे बढ़ाया। इसके बाद खुद मैंने और अब मेरा बेटा एडवोकेट करण सिंह इसे आगे बढ़ा रहा है। यूं कहें पर्यावरण संरक्षण उनके परिवार में पूरी तरह से रचा बसा है।आज खेत में 2 दर्जन से अधिक शीशम और ढाई सौ से अधिक जाटी लगी है इसके अलावा अनेक दूसरे पेड़ भी हैं।
शादी समारोह हो या फिर दूसरे कार्यक्रम यहां किए जाते हैं पौधे भेंट
पर्यावरण संरक्षण की मिसाल दर्शनानंद नेहरा का परिवार पर्यावरण संरक्षण में कुछ अलग हटकर है। वह इसलिए कि शादी समारोह हो या फिर दूसरे सामाजिक धार्मिक कार्यक्रम इनमें वह पौधे जरूर वेट करते हैं। इतना ही नहीं रिश्तेदार हो या दोस्त उनसे पौधों के संरक्षण का संकल्प भी दिलाते हैं। यूं कहें कि इन्होंने पर्यावरण संरक्षण को रीति-रिवाजों से जोड़कर मजबूत बनाने का बीड़ा उठाया है। इसी की बदौलत आज इनके घर और खेत तो हरे भरे हैं ही रिश्तेदारों दोस्तों और गांव के अनेक लोगों के घर और खेत भी हरियाली से लहलहा रहे हैं।
इस बरसाती सीजन में 200 से अधिक पौधे लगाने का लिया है संकल्प
गांव झुप्पाकला निवासी दर्शनानंद नेहरा कहते हैं कि उन्होंने ड्यूटी के दौरान भी घर और खेत के अलावा अनेक जगह पौधे लगाए। उनकी देखरेख की पर्यावरण संरक्षण की मुहिम उनके पिताजी ने शुरू की थी। इसके बाद से इसे हम आगे बढ़ा रहे हैं। पौधों की बात करें तो 20 त्रिवेणी, ढाई सौ से अधिक जाटी, 20 नीम आंवला, अमरूद, आम, अनार, चीकू, मौसमी, निंबू, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, मोतिया, मोगरा आदि के अलावा बहुत से और भी पौधे लगाए हैं।