मदद के बहाने सेकेंडों में एटीएम क्लोनिंग कर लगाता था चपत, धरा गया शातिर
एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके खातों से रुपये निकालने वाला एक शातिर बहादुरगढ़ पुलिस के हत्थे चढ़ा है। छोटी सी स्वाइप मशीन के जरिये वह एटीएम की डिटेल को कॉपी करते दूसरा कार्ड बना लेता
बहादुरगढ़, जेएनएन। कोई आपसे एटीएम में पैसे निकालने के लिए मदद करने की बात करता है, या कार्ड निकालकर देता है, और आपके खाते से पैसे निकल जाते हैं तो इसे लेकर चौकने की जरूरत नहीं है। क्योंकि एटीएम क्लोनिंग से ही ये सब होता है। मगर कोई सेकेंडों में ऐसा कैसे कर सकता है, अगर यह सवाल आपके जेहन में है तो आपका दुविधा दूर कर देते हैं। क्योंकि बहादुरगढ़ में एक ऐसे ही ठक को पकड़ा है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर ये क्लोनिंग का काम होता कैसे हैं। जानने के लिए पढ़े पूरी खबर.......
बता दें कि एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके खातों से रुपये निकालने वाला एक शातिर बहादुरगढ़ पुलिस के हत्थे चढ़ा है। छोटी सी स्वाइप मशीन के जरिये वह एटीएम की डिटेल को कॉपी करते दूसरा कार्ड बना लेता था। इस तरह से उसने दिल्ली व हरियाणा में 20 से अधिक वारदातों को अंजाम दिया और खातों से लाखों रुपये निकाले। अब बहादुरगढ़ में नई वारदात को अंजाम देने की कोशिश में वह पकड़ा गया।
उसके पास से स्वाइप मशीन के अलावा छह एटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं। उसे अदालत ने पुलिस रिमांड पर भेजा है। रेलवे रोड पर एटीएम से पैसे निकलवाने आए मातन गांव के सुरेंद्र व सुरक्षा गार्ड राजबीर ने इस शातिर को काबू किया। वह सुरेंद्र के कार्ड की क्लोनिंग करने की कोशिश में था। बाद में उसे पुलिस के हवाले किया गया। शातिर का नाम सुमित उर्फ जोनी है। वह मूल रूप से रोहतक का निवासी है। मगर फिलहाल दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में रहता है।
30 हजार में खरीदी थी स्वाइप मशीन
शातिर के पास जो स्वाइप मशीन बरामद हुई है, वह दो गुना डेढ़ इंच साइज की है। पूछताछ में उसने बताया है कि यह मशीन उसने दिल्ली के एक शख्स से 30 हजार रुपये में खरीदी थी। इसे वह दूसरे हाथ में रखता था। एटीएम में किसी भोले भाले व्यक्ति की मदद के बहाने उसका कार्ड लेकर स्वाइप करता था। इससे उस एटीएम कार्ड की पूरी डिटेल उसके पास मोबाइल एप में कॉपी हो जाती थी। फिर उसमें किसी और कार्ड को डालकर वह डिटेल दूसरे कार्ड में डाल देता था। इससे उसके पास क्लोन एटीएम कार्ड तैयार हो जाता था। ग्राहक के पास जो ओरिजनल कार्ड होता था वह भी काम करता था और शातिर के पास जो क्लोङ्क्षनग कार्ड होता था, वह भी काम करता था। चुपके से वह उस ग्राहक का पासवर्ड भी देख लेता था। इसके बाद उसके खाते से पैसे निकालता रहता था।
ऐप के जरिये मोबाइल में दिखती थी डिटेल
जिस स्वाइप मशीन का वह इस्तेमाल करता था, उसका नाम मिनी डीएक्स-5 है। इसके साथ-साथ शातिर ने एमएसआर के नाम से एक ऐप मोबाइल में डाल रखा था। यह पेड ऐप है। इसकी कीमत 1200 रुपये है। वैसे तो यह गूगल प्ले से डाउनलोड भी होता है, मगर शातिर ने बताया है कि उसने यह एक साथी से शेयर-इट से लिया था। जैसे की कोई कार्ड मशीन से स्वाइप होता तो उसकी पूरी डिटेल एमएसआर एप में मोबाइल के अंदर दिखती थी। मोबाइल से उसके अंदर वह एक कोड डालता था। वह अपने साथ कई पुराने कार्ड रखता था।
एसबीआइ की एटीएम से ही निकलते थे रुपये
शातिर ने बताया कि वह जो क्लोनिंग कार्ड तैयार करता था, उससे पैसे सिर्फ एसबीआइ की एटीएम से ही निकलते थे। इस एसबीआइ की एटीएम में एक बार कार्ड डालने के बाद वह वापस निकल आता है। उसके बाद खाते को आपरेट किया जाता है और पैसे निकाले जाते हैं। बाकी एटीएम में पैसे निकलने के बाद कार्ड मशीन से बाहर आता है। हालांकि कार्ड की क्लोनिंग करने के लिए वह दूसरे कई एटीएम में जाता था। बहादुरगढ़ में वह पीएनबी के एटीएम से पकड़ा गया।
अब तक दिल्ली व हरियाणा में की 20 से ज्यादा वारदात
करीब 22 साल का यह शातिर बारहवीं पास है। उसने बताया है कि वह दिल्ली और हरियाणा में 20 से अधिक वारदात कर चुका है। हालांकि पूरी जांच के बाद यह संख्या और ज्यादा हो सकती है। ज्यादा वारदात उसने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में की है। जबकि हरियाणा में वह रोहतक के अलावा बहादुरगढ़ में एक-एक वारदात कर चुका है। उसने अभी तक सभी खातों को मिलाकर डेढ़ लाख रुपये ही निकाले हैं, मगर पुलिस तो कार्ड क्लोङ्क्षनग की तमाम वारदातों का रिकार्ड और उनसे जुड़े सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। संभावना है कि वह शातिर कई लाख रुपये खातों से निकाल चुका है। पुलिस अब शातिर के साथियों की तलाश में हैं।
...शातिर को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। उसके अन्य साथियों की भी सरगर्मी से तलाश चल रही है। पूछताछ पूरी होने के बाद ही साफ होगा कि शातिर ने कुल कितनी वारदातों को अंजाम दिया है।
-करण सिंह, कार्यवाहक एसएचओ, शहर थाना।