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दस साल की मेहनत को नहीं मिला सरकारी सम्मान तो बेटे के लिए मैदान में उतरी क्रिकेटर मां

कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो कामयाबी तय है, हालांकि कई बार संघर्ष लंबा हो जाता है। ऐसा ही उदाहरण पटेल नगर में रहने वाली सीमा वधवा का है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 11:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 11:21 AM (IST)
दस साल की मेहनत को नहीं मिला सरकारी सम्मान तो बेटे के लिए मैदान में उतरी क्रिकेटर मां
दस साल की मेहनत को नहीं मिला सरकारी सम्मान तो बेटे के लिए मैदान में उतरी क्रिकेटर मां

अश्वनी कुमार, हिसार : कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो कामयाबी तय है, हालांकि कई बार संघर्ष लंबा हो जाता है। ऐसा ही उदाहरण पटेल नगर में रहने वाली सीमा वधवा का है। सीमा क्रिकेट की बेहतरीन प्लेयर रह चुकी हैं, उन्हें अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद जॉब नहीं मिली, पर हौसला नहीं छोड़ा। अब वह अपने बेटे राघव अनेजा का भविष्य बनाने के लिए फिर से मैदान में उतर आई हैं। उनका सपना अपने बेटे को कोहली की तरह बेहतरीन प्लेयर बनाना है। सीमा रानी झांसी क्रिकेट टूर्नामेंट भी खेल चुकी है।

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सीमा वधवा ने वर्ष 1990 से वर्ष 2000 तक क्रिकेट खेला। बेहतरीन प्रदर्शन करने पर सम्मान भी मिला। यहां तक कि वर्ष 1998 में उन्हें हैदराबाद में हुई इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा 162 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई थी। उस दौरान सीमा दिल्ली यूनिवर्सिटी टीम की ओर से खेली थी और नॉट आउट रही। उनका कहना है कि वह 10 साल तक क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन कर चुकी है। उनके साथ खेली हुई काफी महिलाएं नॉर्थ रेलवे में जॉब कर रही हैं। बेटे का भविष्य बनाने के लिए स्कूल ज्वाइन किया

फिलहाल सीमा दिग्विजय स्कूल में क्रिकेट कोच के पद पर कार्यरत है। उन्हें अपने बेटे राघव का भविष्य बनाने के लिए स्कूल में जाना शुरू किया था। उनका कहना है कि वह स्कूल में अन्य बच्चों के साथ अपने बेटे को भी ट्रे¨नग देकर बेहतरीन खिलाड़ी बनाना चाहती हैं। उनका कहना है कि बेटे की क्रिकेट में रुचि देखते हुए उन्हें स्कूल में जाने का मन बनाया था, ताकि बेटे का भविष्य तो बन सके। वहीं शाम को राघव सीएवी स्कूल में क्रिकेट का प्रशिक्षण लेता है। राघव की बचपन से रही है खेलने की रुचि

14 वर्षीय राघव की बचपन से क्रिकेट खेलने की रुचि है। वह इंटर डिस्ट्रिक्ट खेल चुका है। राघव का कहना है कि उनका सपना भी एक बेहतरीन खिलाड़ी बनकर देश का नाम रोशन करना है। वहीं राघव की माता सीमा वधवा भी बेटे को छत पर क्रिकेट का अभ्यास कराती है। शादी के बाद छोड़ दिया क्रिकेट खेलना

सीमा वधवा का कहना है कि उन्होंने वर्ष 1990 में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। 10 साल तक वह क्रिकेट खेली। वर्ष 2001 में उनकी शादी हो गई। जॉब की काफी कोशिश की, लेकिन नहीं मिल पाई। शादी के बाद कुछ घर का भी दबाव आ गया। ऐसे में उन्होंने शादी के बाद खेलना छोड़ दिया। अब वह अपने बेटे राघव का सपना पूरा करने में जुटी हुई हैं। सीमा की उपलब्धियां

- वर्ष 1992, 93, 94 में हरियाणा राज्य सीनियर क्षेत्रीय प्रतियोगिता

- वर्ष 1993 में हरियाणा राज्य जूनियर क्रिकेट प्रतियोगिता

- वर्ष 1994 में जूनियर नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता

- वर्ष 1994 में जूनियर उतर क्षेत्रीय प्रतियोगिता

- वर्ष 1995 में अखिल भारतीय ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी

- वर्ष 1996 में अखिल भारतीय ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी

- वर्ष 1995, 96, 97, 98 में दिल्ली इंटर स्टेट प्रतियोगिता

- वर्ष 1998, 99, 2000 में सीनियर नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता

- वर्ष 1999, 2000 में रानी झांसी टूर्नामेंट


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