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कोरोना काल में बढ़ा ड्राइविंग सीखने का क्रेज, सीखने वालों में 70 फीसद महिलाएं

नौकरीपेशा महिला और युवतियां ड्राइविंग स्कूलों में कार सीखने पहुंच रही है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने से बच रहे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 12:48 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 12:48 PM (IST)
कोरोना काल में बढ़ा ड्राइविंग सीखने का क्रेज, सीखने वालों में 70 फीसद महिलाएं
कोरोना काल में बढ़ा ड्राइविंग सीखने का क्रेज, सीखने वालों में 70 फीसद महिलाएं

रोहतक [ओपी वशिष्ठ] कोरोना महामारी के बीच लोगों में ड्राइविंग सीखने का क्रेज बढ़ गया है। ड्राइविंग सीखना समय की जरूरत या मजबूरी भी हो सकती है। जो भी हो, लेकिन ड्राइविंग स्कूलों में सीखने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। जिसमें नौकरीपेशा महिलाएं और युवतियां ज्यादा हैं। खास बात यह है कि लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

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शहर में तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर निजी ड्राइविंग स्कूल हैं। कोरोना महामारी में सभी गाडिय़ों के पहिए थम गए थे। ट्रेनर भी बेरोजगार होकर घर बैठ गए थे। कोरोना महामारी से पहले भी कोई खास काम नहीं था। लॉकडाउन हटने के साथ ही ड्राइविंग स्कूल संचालकों की किस्मत खुलना शुरू हो गई। मौजूदा समय में तो सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती हैं तो ड्राइविंग स्कूल के कार्यालय के बाहर रहती है। सुबह से लेकर रात तक ड्राइविंग सीखने वालों का आना-जाना लगा रहता है।

सोनीपत स्टैंड के समीप निजी ड्राइविंग स्कूल संचालक विजय आनंद ने बताया कि अनलॉक होने के बाद ड्राइविंग सीखने वाले लोगों की संख्या में काफी इजाफा हो गया। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा ड्राइविंग सीखने आ रही हैं। खासकर नौकरीपेशा महिलाएं, जिसमें शिक्षक, चिकित्सक व अन्य क्षेत्रों से हैं। महिलाओं के साथ-साथ युवतियां भी गाड़ी सीखने के लिए आ रही हैं। गृहणियां भी ड्राइविंग सीखने में पीछे नहीं है। उनके पास दस दिन की वेङ्क्षटग चल रही है। दस दिन बाद का पंजीकरण किया जा रहा है।

सात और 15 दिन का कोर्स

ड्राइविंग स्कूल सात और 15 दिन के कोर्स करा रहे हैं। सात दिन के कोर्स के 2200 से 2500 रुपये तथा 15 दिन के कोर्स के 3500 से 400 हजार रुपये फीस ली जा रही है। सुबह के बजाय शाम को सीखने वालों की संख्या ज्यादा है। शाम के सत्र में तो लंबी वेटिंग चल रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नौकरीपेशा महिलाएं हैं, जो ड्यूटी देने के बाद शाम को प्राथमिकता दे रही हैं।

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पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने से कोरोना संक्रमण का डर रहता है। पहले पूल सिस्टम से कार्यस्थल पर आती-जाती थी। लेकिन पूल सिस्टम में भी दिक्कत होने लगी है। पहले से सीङ्क्षटग फूल है। ऐसे में खुद ही ड्राइङ्क्षवग सीखने का निर्णय लिया है ताकि किसी दूसरे पर निर्भर न रहना पड़े। परिवार के सदस्यों ने ही ड्राइङ्क्षवग सीखने की सलाह दी है।

राजबाला, शिक्षिका

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ड्राइविंग सिखाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनर भी रख लिए हैं। कोरोना महामारी के बाद लोगों में ड्राइविंग के प्रति क्रेज पहले से ज्यादा बढ़ गया है। उनके पास रोजाना नए लोग सीखने के लिए आ रहे हैं, लेकिन अधिकतर की प्राथमिकता शाम के समय ही रहती है। लेकिन यह संभव नहीं है। शाम के सत्र में ड्राइविंग के लिए दस दिन से भी ज्यादा वेटिंग है।

विजय आनंद, संचालक, ड्राइविंग स्कूल


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