बहादुरगढ़ में घर के आंगन और छत को दिया बगीचे का रूप, सब्जी से लेकर फल भी हो रहे तैयार
प्रकृति के लिए समर्पित रखने वालों में बहादुरगढ़ के वैश्य बीएड कालेज की प्राचार्या डा. आशा शर्मा का नाम बेहद शिद्दत से गिना जाता है। वे घर के आंगन छत और कालेज परिसर में हर साल गिलोय तुलसी आंवला के अलावा अन्य कई औषधीय और फलदार पौधे तैयार करती हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। घर के आंगन और छत पर हरियाली का अलग ही महत्व है। यह एक तरह से खुशहाली का कारक भी है। जाहिर है कि इससे तन और मन दोनों प्रसन्न रहते हैं। घर को प्रकृति के लिए समर्पित रखने वालों में बहादुरगढ़ के वैश्य बीएड कालेज की प्राचार्या डा. आशा शर्मा का नाम बेहद शिद्दत से गिना जाता है। वे 30 साल से हरियाली को सींच रही हैं। इनका दूसरा नाम प्रकृति प्रेमी है। वे घर के आंगन, छत और कालेज परिसर में हर साल गिलोय, तुलसी, आंवला के अलावा अन्य कई औषधीय और फलदार पौधे तैयार करती हैं।
परिचितों के जन्मदिन से लेकर घर आए मेहमानाें को पौधे भेंट करती हैं। हर साल पौधरोपण अभियान चलाती हैं। साल भर बांटने और रोपने के लिए दो हजार पौधे तैयार करती हैं। 1990 से यह सिलसिला चल रहा है। इंटरनेड मीडिया से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में हरियाली को बढ़ाने की उनकी संजीदगी दूसरे लोगों में भी उत्साह और उम्मीदें पैदा कर रही है।
आंगन और छत को दिया है बगीचे का रूप
डा. आशा शर्मा सेक्टर-6 में रहती हैं। उनके घर के आंगन और छत का नजारा किसी बगीचे और सब्जी की क्यारी सा बना है। कमरों के अंदर भी उन्होंने वे पौधे सजाएं हैं जो इंसान के लिए ज्यादा से ज्यादा आक्सीजन देने में मददगार हैं। फर्श से लेकर दीवारों और ग्रिल तक हरियाली काे समर्पित है। घर की छत पर गमलों में सब्जियां उगाती हैं। यहां पर कई बौनसाई पेड़ हैं, जिन पर फल भी लगते हैं। इस समय लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में हरियाली को और भी ज्यादा वक्त दे रही हैं।
डा. आशा शर्मा कहती हैं कि प्रकृति के नजदीक रहकर ही हम अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं और मानव जीवन को बीमारियों-महामारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। योग-प्राणायाम तो हमारी विरासत है ही, लेकिन उससे भी पहले जरूरी है कि हम अपने आसपास के वातावरण को हरा-भरा बनाकर रखें। ऐसे पेड़-पौधों को वरीयता दें जो आक्सीजन ज्यादा छोड़ते हैं और औषधीय रूप में हमारे काम आते हैं। घर में परिवार के सदस्यों की तरह ही पेड़-पौधों को भी जगह दें।