ऑनर किलिंग : हत्यारे भाई को फांसी की सजा, कोर्ट ने की ऐसी गंभीर टिप्पणी
हिसार में फरवरी 2017 में एक भाई ने प्रेम विवाह करने पर अपनी ही बहन की हत्या कर दी थी। कोर्ट ने ऑनर किलिंग मामले में मनोज-बबली हत्याकांड के बाद इस केस में फिर फांसी की सजा दी है
हिसार, जेएनएन। दूसरी जाति के लड़के से प्रेम विवाह करने वाली युवती के हत्यारे भाई अशोक कुमार(24) को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. पंकज की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस करार दिया है। मामला जिले के गांव जुगलान का फरवरी 2017 का है। अदालत ने गत 29 नवंबर को अशोक को दोषी करार दिया गया था।
सजा सुनाते वक्त एडीजे डा. पंकज की अदालत ने बच्चन सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब, लता सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब, भगवान दास बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली आदि मुकदमों का जिक्र भी किया। ऑनरकिलिंग में फांसी की सजा सुनाए जाने का ये हरियाणा में दूसरा मामला है। इससे पूर्व बहुचर्चित मनोज-बबली हत्याकांड में करनाल की एडीजे कोर्ट ने पांच लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी।
अदालत में चले अभियोग के अनुसार सदर थाना पुलिस ने 14 फरवरी 2017 को सीसवाल के रोहताश की शिकायत पर उसकी पत्नी किरण(21) की हत्या और शव खुर्द-बुर्द करने का केस दर्ज किया था। रोहताश ने बयान दिया था कि उसने 8 अगस्त 2015 को जुगलान की किरण के साथ विजय नगर के सनातन धर्म चेरिटेबल ट्रस्ट दफ्तर में अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था। शादी के बाद किरण अपने घर चली गई थी और उसने शादी की बात गुप्त रखी थी। इस शादी का रोहताश के एक दोस्त, परिजनों और ट्रस्ट के पदाधिकारियों के अलावा किसी को पता नहीं था। बाद में रोहताश गुरुग्राम में प्राइवेट ड्राइवर की नौकरी करने लगा था।
रोहताश ने बताया था कि उसे किसी से पता चला कि परिजनों ने जहर पिलाकर किरण की हत्या कर दी और शव जला दिया है। इस पर उसने सदर थाना पुलिस में लिखित शिकायत देकर किरण के भाई अशोक व अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच करते हुए गांव जुगलान के श्मशानघाट में पहुंचकर चिता से राख और हड्डियां कब्जे में ली थीं। पुलिस ने घर के फर्श से उल्टी के अंश भी कब्जे में लिए थे। हालांकि कमरा पानी से धोया जा चुका था। हत्या 8 फरवरी 2017 को की गई और अगले दिन शव को जला दिया गया था। पुलिस ने आरोपित अशोक को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से केस अदालत में विचाराधीन था। गौर करने वाली बात यह है कि अशोक के पिता हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं।
कोर्ट ने ये की टिप्पणी
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. पंकज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में भाई-बहन के कई त्यौहार मनाए जाते हैं। समाज में प्रथा है कि भाई-बहन की रक्षा करेगा। मगर इस भाई ने बहन की ही हत्या कर दी। वह भी सिर्फ परिवार व अपनी झूठी शान के लिए। इसने समाज में विश्वास की सीमा को तोड़ा है। देश में चल रहा जातिवाद एक अभिशाप है। देशहित में इसे खत्म करना होगा। इस घिनौने अपराध के लिए ज्यादा से ज्यादा सजा मिलनी चाहिए। जो व्यक्ति ऑनर किलिंग की प्लानिंग करता है, उसे पता होना चाहिए कि फंदा भी उसी का इंतजार कर रहा है।
सजा के ये बने आधार
- अंतरजातीय विवाह करने के जो सुबूत अदालत में पेश किए गए उन्हें माना गया
- किरण की मौत के बाद उसके पति रोहताश को सूचना नहीं दी गई
- अंतिम संस्कार भी बिना पुलिस को सूचना दिए कर दिया गया।
- दोषी अशोक ने 15 फरवरी 2017 को दिए बयान में सुसाइड नोट के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था। अगले दिन दोबारा बयान देकर उसने सुसाइड नोट होने की बात कही थी, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया था। अदालत ने माना कि सुसाइड नोट था तो मौत के बाद पुलिस को सूचना देकर पोस्टमार्टम करवाना चाहिए था।
किस धारा में कितनी सजा
302 : फांसी
201 : सात साल का कड़ा कारावास, एक हजार रुपये जुर्माना। अदा नहीं करने पर एक माह अतिरिक्त कैद
ये बाले शिकायतकर्ता पक्ष अधिवक्ता
शिकायतकर्ता पक्ष अधिवक्ता जितेंद्र कुश ने कहा कि अदालत ने अशोक को फांसी की सजा सुनाकर ऑनर किलिंग करने वाले लोगों को एक कड़ा मैसेज दिया है। समाज में ऐसे काम करने वालों को कानून में सख्त से सख्त सजा मिले, यह एक बड़ा उदाहरण बनेगा।
ये बोले दोषी पक्ष अधिवक्ता
दोषी पक्ष अधिवक्ता ललित गोयल ने कहा कि अदालत के फैसले के खिलाफ वह हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे। आशा है वहां से इंसाफ मिलेगा।