अपहरण कर दुष्कर्म करने पर गर्भवती हो गई थी नाबालिग, सुबूतों के अभाव में आरोपित बरी
पुलिस ने लड़की का मेडिकल कराया जिसमें वह गर्भवती पाई गई। लड़की की काउंसिलिंग कराई गई जिसके बाद आरोपित नौशाद को गिरफ्तार किया गया था। मगर पुलिस सुबूत नहीं जुटा सकी।
रोहतक, जेएनएन। नाबालिग का अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपित को बरी कर दिया है। शिकायतकर्ता पक्ष आरोपित के खिलाफ ठोस सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सका।
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के महोबा जिले का रहने वाले एक व्यक्ति ने अप्रैल 2018 में पीजीआइ थाने में शिकायत दी। पीडि़त ने बताया कि वह शहर की एक कालोनी में परिवार के साथ रहता है। उसकी नाबालिग बेटी घर से लापता हो गई है। काफी तलाश के बाद भी उसका कोई पता नहीं चल रहा। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीन दिन बाद लड़की को उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से बरामद कर लिया।
पुलिस ने लड़की का मेडिकल कराया, जिसमें वह गर्भवती पाई गई। लड़की की काउंसिलिंग कराई गई, जिसके बाद आरोपित नौशाद को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि उसने लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था। शनिवार को कोर्ट ने आरोपित को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
ट्रक लूट के मामले में नौ साल बाद सबूतों के अभाव में आरोपित बरी
रोहतक : ट्रक लूट के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने एक आरोपित को नौ साल बाद बरी किया है। आरोपित ट्रॉयल के दौरान कोर्ट में पेश नहीं हुआ था, जिस पर उसे भगौड़ा घोषित कर रखा है।
मामले के अनुसार, झज्जर जिले के चांदपुर गांव निवासी विनोद ने अप्रैल 2010 में पुलिस को शिकायत दी थी कि वह ट्रक पर करीब दो साल से ड्राइवर की नौकरी कर रहा है। वह अपने साथी अनिल के साथ ट्रक में लोहे के पाइप लेकर चला था। कन्हेली फाटक के नजदीक पहुंचते ही कार सवार पांच-छह बदमाशों ने उन्हें रोक लिया, जिसके बाद उन्हें कार में डाल दिया और दो आरोपित ट्रक लूटकर ले गए।
आरोपितों ने उनसे दस हजार रुपये और मोबाइल भी लूट लिया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जिसके बाद आरोपित खिड़वाली निवासी भूपेंद्र, अमरजीत, सांघी निवासी विजय, प्रदीप, किलोई निवासी जयवीर, भैंसवाल कलां निवासी कुलदीप और जसिया निवासी राजेश को गिरफ्तार किया था। इस मामले में ट्रॉयल शुरू हो चुका था, लेकिन आरोपित प्रदीप कोर्ट में पेश नहीं हुआ।
जिस पर कोर्ट ने उसे भगौड़ा घोषित कर दिया था। जबकि बाकी आरोपितों को लेकर फैसला सुना दिया गया था। करीब नौ साल बाद आरोपित प्रदीप पुलिस के हत्थे चढ़ा। जिसे कोर्ट में पेश किया गया। शनिवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपित प्रदीप को बरी कर दिया।