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सेना भर्ती से जींद लौट रहे 11 युवकों में अकेले जिंदा बचे परमजीत के लिए हो रही दुआएं

दस युवकों की हो गई थी मौत जिंदा बचे परमजीत के भाई संजय की भी नहीं बच सकी जान। दो साल से दोनों भाई कर रहे थे प्रैक्टिस पहली बार क्लीयर हुआ था फिजिकल 24 घंटे में आना था वापस

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 02:36 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 02:36 PM (IST)
सेना भर्ती से जींद लौट रहे 11 युवकों में अकेले जिंदा बचे परमजीत के लिए हो रही दुआएं
सेना भर्ती से जींद लौट रहे 11 युवकों में अकेले जिंदा बचे परमजीत के लिए हो रही दुआएं

हिसार, जेएनएन। जींद के पिल्लूखेड़ा खंड का गांव भिड़ताना। गांव से 50 से ज्यादा युवा देश की सेवा के लिए सेना में ड्यूटी दे रहे हैं। देश सेवा के उद्देश्य से ही भिड़ताना के संजय और परमजीत दो साल से सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे थे। पहली बार दोनों का हिसार छावनी में फिजिकल क्लीयर हो गया था। अब उनको बुधवार शाम को वापस छावनी में मेडिकल के लिए लौटना था। मगर उससे पहले ही घर जाते हुए जींद के रामराय के पास हादसे का शिकार हो गए। परमजीत ही एक अकेला युवा है जो इस हादसे में बच गया। उसका इलाज हिसार के निजी अस्पताल में चल रहा है। उसकी जान बच जाए इसके लिए हर कोई दुआ कर रहा है।

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भिड़ताना गांव निवासी संजय और परमजीत के दादा भी फौज में थे। संजय जींद के स्टेडियम में कोचिंग के लिए जाता था और परमजीत निडानी की स्पोर्टस एकेडमी में कोचिंग लेता था। काफी बार दोनों भाई सेना की फिजिकल पास नहीं कर पाए थे। लेकिन इस बार दोनों ने इसे पास किया और वह काफी खुश थे।

मंगलवार शाम को अचानक उनका मेडिकल 24 घंटे बाद कर दिया गया तो वह जींद जाने लगे। उनको बुधवार शाम को वापस लौटना था, तो वह फौज में नौकरी पाने के उद्देश्य से काफी खुश थे। इस लिए परिवार को सभी ने जींद से उनको ले जाने के लिए कह दिया था। परिवार के लोग भिड़ताना गांव इंतजार कर रहे थे।

रात को उसी दौरान परमजीत के पिता सतीश का अपने भाइयों राजेश कुमार और सुलेख के पास फोन और हादसे की जानकारी दी। वह तुरंत घर से निकल और जींद के अस्पताल पहुंचे। वहां संजय के मृत होने का पता चला और परमजीत के घायल का पता चलते ही उसे हिसार निजी अस्पताल ले आए। यहां अभी उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

सेना में जाने का सपना पूरा होता दिखाई दे रहा था

घायल के चाचा राजेश कुमार और सुलेख ने बताया कि दोनों भाई काफी खुश थे। फौज में जाने का उनका सपना पूरा होता दिख रहा था। अब तो पूरा परिवार उजड़ गया है। दोनों की मां को बहुत मुश्किल से हादसे के बारे में सुबह बताया। पिता सतीश भी राजस्थान गए हुए थे। उनका ही हादसे के बाद फोन आया था।

परिवार से चार लोग फौज में रहे

मृतक संजय और घायल परमजीत के दादा व उनके भाई फौज से सेवानिवृत्त हुए। अभी उनके परिवार के दो युवा भी फौज में हैं। उन्हीं को देखते हुए वह फौज में जाने की तैयारी कर रहे थे। किसान परिवार होने के कारण दोनों के नाम पर एक-एक एकड़ ही जमीन है।

---परमजीत की हालत गंभीर है। उसकी अभी टेस्ट होने बाकी हैं। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उसके चेहरे और माथे पर फ्रेक्चर है।

- डा. उमेश कालड़ा


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