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पीएमओ ने जिसे दी थी क्लीनचिट, एसडीएम की जांच में वही ऑपरेटर दोषी, ऐसे चल रहा था ये खेल

नागरिक अस्पताल के एंबुलेंस सर्विस 102 (अब 10

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 03:42 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 03:44 PM (IST)
पीएमओ ने जिसे दी थी क्लीनचिट, एसडीएम की जांच में वही ऑपरेटर दोषी, ऐसे चल रहा था ये खेल
पीएमओ ने जिसे दी थी क्लीनचिट, एसडीएम की जांच में वही ऑपरेटर दोषी, ऐसे चल रहा था ये खेल

जेएनएन, हिसार : नागरिक अस्पताल के एंबुलेंस सर्विस 102 (अब 108) नंबर के दुरुपयोग मामले में आखिरकार सोमवार को हुई जनपरिवाद समिति की बैठक में एसडीएम की रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया। डिप्टी सीएमओ और पीएमओ की रिपोर्ट में 108 नंबर पर बैठने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर को क्लीन चिट दी थी, लेकिन एसडीएम परमजीत चहल ने अपनी जांच रिपोर्ट में कंप्यूटर ऑपरेटर को दोषी पाया है। ऑपरेटर को सरकारी नियमों का उल्लघंन करते हुए 108 नंबर की सेवाएं निजी अस्पतालों के साथ साझा करने का दोषी पाया गया है। जहां एक ओर ऑपरेटर पर कार्रवाई होगी। वहीं डिप्टी सीएमओ और पीएमओ की रिपोर्ट की रिपोर्ट के पुन: जांच के आदेश उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने दिए हैं। सवा साल बाद एंबुलेंस सेवा को लेकर चल रहे रेफरल सिस्टम की हकीकत प्रशासन के सामने आई है। जिस तरह से नागरिक अस्पताल के आलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में ऑपरेटर को बचाने का प्रयास किया है। उससे चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

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जनपरिवाद समिति की पूर्व बैठक में जहां सभी पूरी तरह से सीएमओ के बयान से संतुष्ट हो गए थे। वहीं विधायक डा. कमल गुप्ता ने डिप्टी सीएमओ और पीएमओ की जांच रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाया था, जिसके बाद एसडीएम परमजीत चहल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी के सदस्य लोकसभा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष मनदीप मलिक और भाजपा नेता प्रवीण जैन को बनाया गया था। - एक ही नंबर की दो एंबुलेंस चल रही थीं शहर में

सोमवार को जनपरिवाद समिति की बैठक के दौरान एसडीएम ने सभी के सामने अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर बताया कि एक ही नंबर की दो एंबुलेंस शहर में चल रही थीं। सरकारी एंबुलेंस के अलावा अनीपुरा निवासी प्राइवेट एंबुलेंस संचालक के बयान भी दर्ज की गए थे। जिसने पीड़ित के परिजनों द्वारा फोन कर हादसे की जानकारी देने की बात कही थी। तीन सदस्यीय टीम ने जब जांच की तब अनीपुरा निवासी एंबुलेंस संचालक के बयान पर संदेह हुआ। जिसके बाद धीरे धीरे सारी परतें खुलती चली गई। इससे साफ जाहिर हो गया कि 108 के कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा ही सूचना अन्य लोगों के साथ सांझा की गई हैं।

अस्पताल के मरीजों को निजी अस्पताल में पहुंचाने पर मिलता है कमीशन

नागरिक अस्पताल में आने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में ले जाने को लेकर एक गैंग सक्रिय है। नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी से पीड़ित को विश्वास में लेकर कुछ लोग चिकित्सक की मौजूदगी में लांबा (मरीज के परिजनों का अपनी मर्जी से मरीज को ले जाना) लिखवा देते हैं। जिसके बाद चिकित्सक उन्हें अग्रोहा व रोहतक पीजीआइ नहीं भेज सकते। इसी प्रकार सभी मरीजों को शहर के एक या दो चु¨नदा अस्पतालों में ले जाया जाता है। उकलाना में एक साल पहले ही हादसे के पीड़ितों को शहर के एक निजी अस्पताल में लाया गया था। उस अस्पताल में लाने पर एसपी मनीषा चौधरी ने स्वयं सवाल खड़े किए थे। इतना ही नहीं, सिवानी हादसे में बस में आग लग गई थी, तब भी सभी मरीजों को प्राइवेट अस्तपालों में लाया गया था। जबकि सूचना 102 नंबर पर दी गई थी। इसके अलावा भी यदि छह माह के हादसों की रिकॉर्ड की जांच की जाए तो एंबुलेंस फर्जीवाड़े की हकीकत सामने आ जाएगी। सूत्रों के एक अनुसार सरकारी एंबुलेंस वाले को प्रति मरीज के हिसाब से कमीशन दिया जाता है। अस्तपाल में एंबुलेंस सेवा को चलाने वाले मालिक की से¨टग होती है। मरीज पर होने वाले खर्च से एक मुक्त कमीशन उसे दिया जाता है। यह है मामला

जनपरिवाद समिति की बैठक के दौरान गांव ढाणी रायपुर निवासी राजेश कुमार ने सरकारी एंबुलेंस सेवा पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि सरकारी एंबुलेंस सेवा की प्राइवेट एंबुलेंस सेवा के साथ मिलीभगत है। राजेश ने बताया कि एक साल पहले 12 मार्च रात 8 बजे उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था। सरकारी एंबुलेंस के लिए 102 यानि 108 नंबर पर फोन किया गया। मगर उनके पिता को प्राइवेट एंबुलेंस ले गई और प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करा दिया। राहगीरों ने बताया कि प्राइवेट एंबुलेंस के जाने के बाद सरकारी एंबुलेंस पहुंची जब तक उनके पिता को प्राइवेट अस्पताल में दाखिल कराया जा चुका था। जबकि उनके द्वारा सरकारी नंबर पर फोन किया गया था, मगर फोन करने के 8 मिनट बाद ही प्राइवेट एंबुलेंस आ गई और सरकारी एंबुलेंस 15 मिनट बाद पहुंची। उसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत सीएम ¨वडो की और जांच में कम्यूटर ऑपरेटर सहित सीएमओ, पीएमओ और 108 नंबर का संचालक दोषी पाया गया। मगर इसके बाद आज तक इन सभी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिकायतकर्ता की बात सुनकर भाजपा नेता प्रवीण जैन उठ खड़े हुए और बोले, यह घटना मेरे साथ भी घटी है मेरा भी एक बार एक्सीडेंट हो गया था और 108 नंबर पर फोन किया था मगर मुझे प्राइवेट एंबुलेंस लेने आई। इसके बाद सभी कमेटी मेंबर शिकायतकर्ता के पक्ष में खड़े हो गए और कहा कि यह बहुत बड़ा खेल है और इसका पूरा रैकेट अस्पताल में सक्रिय है। इसमें अधिकारियों की भी मिलीभगत है।

यह दी थी सीएमओ ने सफाई

सीएमओ जितेंद्र कादियान ने बैठक में जवाब दिया था कि डिप्टी सीएमओ और पीएमओ ने मामले की निष्पक्ष जांच की है। उन्होंने बताया कि सरकारी एंबुलेंस पर लगे जीपीएस को ट्रैक किया गया तो पाया गया कि वह सही समय पर सही जगह पर पहुंची। इसके अलावा बीएसएनएल के नंबर की कॉल डिटेल भी मंगवाई और उसकी जांच की तो वह भी सही थी। उस फोन से किसी भी अनजान नंबर को फोन ही नहीं किया गया था।

- विधायक डा. कमल गुप्ता ने खड़े किए थे सवाल

पूर्व जनपरिवाद समिति की बैठक में सीएमओ जितेंद्र कादियान के बयान से जहां सभी संतुष्ट हो गए थे। वहीं विधायक डा. कमल गुप्ता पूरी तरह से असंतुष्ट थे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि सीएमओ साहब क्या आपने इस मामले में आरोपी के प्राइवेट नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। क्या पता उसने खुद के नंबर से फोन या वाट्सएप पर कोई मैसेज या कॉल की हो। आरोपी क्यों सरकारी नंबर का इस्तेमाल करेगा। आपनी अपनी जांच में इस अहम कड़ी को क्यों छोड़ दिया। विधायक की बात का सीएमओ के पास कोई उत्तर नहीं था। इसके बाद जनस्वास्थ्य मंत्री डा. बनवारी लाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि एसडीएम परमजीत ¨सह चहल को सौंपी थी। उनके साथ लोकसभा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष मनदीप मलिक और भाजपा नेता प्रवीण जैन को कमेटी का सदस्य नियुक्त कर दिया। जो मामले में हो रही जांच की समीक्षा करेंगे।

.. यह है एक्ट

मेडिकल एक्ट के अनुसार सरकारी 102 नंबर की सेवाओं को किसी प्राइवेट एंबुलेंस सेवा से साझा करना सीधे मेडिकल एक्ट का उल्लंघन है। इसके तहत संबंधित कर्मचारी को तुंरत प्रभाव से बर्खास्त किया जाता है।


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