रोहतक, रतन चंदेल। कामनवेल्थ गेम्स में पहलवान साक्षी मलिक से जैसे प्रदर्शन की उम्मीद थी वैसा ही खेल उन्होंने दिखाते हुए गोल्ड जीत लिया। कामनवेल्थ में गोल्ड जीतकर साक्षी ने जहां देश को एक बार गौरवांवित कर दिया हैं वहीं उन्होंने अपनी मां सुदेश से किया हुआ वादा भी निभाया है। साक्षी ने चार साल बाद कामनवेल्थ खेलों में मेडल का रंग बदल दिया है।
रोहतक के सेक्टर चार निवासी साक्षी मलिक की मां सुदेश ने दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि साक्षी ने उनसे कामनवेल्थ में देश के लिए गोल्ड जीतने का वादा किया था। जिसे बेटी ने पूरा कर दिखाया है। सुदेश ने बताया कि मुकाबले में बेटी ने अटैकिंग खेल दिखाते हुए स्टीक टेक्नीक से इन मुकाबलों में जीत दर्ज की है।
डबल लैग दांव उनका खास है। बेटी के सुनहरे प्रदर्शन से पूरा परिवार खुशी से झूम उठा है। उन्होंने बताया कि 62 किलोग्राम भार वर्ग में कुश्ती खेल रही साक्षी से शाम को फोन पर बातचीत भी हुई थी तो उन्होंने बेटी से देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने बात करते हुए बेटी का मनोबल बढ़ाया था। तब भी साक्षी ने कामनवेल्थ गेम्स में पीला मेडल जीतने का वादा किया।
सुदेश ने बताया कि उन्होंने दोपहर बाद से ही साक्षी का मैच देखने की तैयारी कर ली थी। कुश्ती के मैच तीन बजे शुरू हुए थे। लेकिन कुछ समय बाद ही मैच रुक गए और फिर शाम को फिर से कुश्ती मुकाबले शुरू हुए। जिसमें साक्षी ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और प्रतिद्वंद्वी काे पराजित कर मेडल जीतने की दिशा में कदम बढ़ाया।
रियो 2016 में रचा था इतिहास
2016 में रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक ने कामनवेल्थ गेम्स में भी शानदार प्रदर्शन किया है। सेक्टर चार में साक्षी मलिक की मां सुदेश के अलावा साक्षी के भाई सुशील मलिक, भाभी मोनिका व भतीजा दिवित मलिक ने भी मैच देखे। साक्षी की जीत के साथ ही वे भी झूम उठे। साक्षी मूल रूप से रोहतक के मोखरा गांव निवासी है। रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली वे पहली भारतीय महिला पहलवान हैं। उनके नाम अनेक उपलब्धियां हैं। उनकी इस बड़ी उपलब्धि से उनके मायके और सुसराल दाेनों जगह ही खुशी है।
तीनों रंगों के मेडल किए अपने नाम
साक्षी मलिक ने कामनवेल्थ गेम्स में अब तीनों रंगों में मेडल अपने नाम कर लिए हैं। साक्षी ने सबसे पहले 2014 में कामनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल जीत कर देश का गौरवांवित किया। उसके बाद 2018 में उन्होंने कांस्य पदक जीता और अब चार साल कड़ी मेहनत के बाद 2022 के कामनवेल्थ खेलों में गोल्ड जीतकर तीनों रंगों के मेडल अपने नाम कर इतिहास रच दिया है। हालांकि 2018 के बाद वे कोई बड़ी चैंपियनशिप नहीं जीत पाई तो उसके प्रदर्शन को लेकर सवाल भी उठने लगे थे। लेकिन अब कामनवेल्थ में गोल्ड जीतने के साथ ही साक्षी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश के लिए मेडल की भूख उनके अभी कम नहीं हुई है।
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