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हरियाणा में धान की पराली जलाने से रोकने के लिए ग्राम स्तर पर कमेटी गठित, सिरसा के 30 गांव रेड जोन में शामिल

सिरसा में धान की बिजाई करीब 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है। धान की कटाई कढ़ाई का सीजन शुरू हो चुका है। कृषि विज्ञानी गांव-गांव जाकर किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहे हैं। इसी के साथ पराली जलाने वाले किसानों पर भी नजर रखी जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalPublished: Thu, 06 Oct 2022 07:37 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 07:37 AM (IST)
हरियाणा में धान की पराली जलाने से रोकने के लिए ग्राम स्तर पर कमेटी गठित, सिरसा के 30 गांव रेड जोन में शामिल
धान की पराली जलाने वाले किसानों पर पेनी नजर।

सिरसा, जागरण संवाददाता। हरियाणा धान की पराली जलाने वाले किसानों पर पेनी नजर रखी जाएगी। जिसको लेकर जिन गांवों में धान की पैदावार होती है। उन गांव में गांव स्तर की कमेटी गठित की गई है। जो तुरंत प्रभाव से पराली चलाने की सूचना अधिकारियों को देगी। इसके बाद संबंधित किसान पर जुर्माना व एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। जिले में 231 गांवों में धान की पैदावार होती है। इसमें 30 गांव रेड जोन, 55 गांव येलो जोन व 166 गांव ग्रीन जोन में रखे गये हैं।

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धान की पराली न जलाकर करें प्रबंधन

किसान धान की पराली न जलाकर उसका प्रबंधन करें। पराली प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जागरूकता अभियान शुरू किया हुआ है। क्योंकि धान की पराली जलाने से हर बार एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ जाता है। मौजूदा समय में एयर क्वालिटी इंडेक्स 2.5 का स्तर 103 तक चल रहा है। जबकि धान के सीजन में एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 से भी अधिक पहुंच जाता है। गत वर्ष सिरसा में पिछले चार सालों में सर्वाधिक पराली जलाने के मामले आए थे। इस बार इस स्थिति को पैदा होने से रोकने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय हो गया है।

सिरसा में 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बिजाई

जिले में धान की बिजाई करीब 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है। धान की कटाई कढ़ाई का सीजन शुरू हो चुका है। इसी को लेकर कृषि विज्ञानी गांव-गांव जाकर किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहे हैं। इसी के साथ पराली जलाने वाले किसानों पर भी नजर रखी जाएगी। इसके लिए ग्राम सचिव, पटवारी व अन्य कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। वर्ष 2020-21 में धान की पराली जलाने के 250 मामले सामने आए। जिनमें से 188 किसानों के चालान काटे गए।

एक टन धान की पराली जलाने से पोषक तत्वों को नुकसान

तत्व             पोषक तत्वों की हानि किलोग्राम में

नाईट्रोजन             5.5

फासफोरस            2.3

पोटाश             2.5

सल्फर             1.2

एक टन कचरा जलाने से गैसों का उत्सर्जन

उत्सर्जित गैस                         गैस की मात्रा किलोग्राम में

कार्बन-डाइ-आक्साइड                         15.13

नाइट्रस आक्साइड                         3.83

मिथेन                                          2.70

सल्फर-डाइ-आक्साइड                   0.40

कार्बन-मोनोडाई-आक्साइड              92.0

धूल के कण                                  13.0

किस स्तर तक एयर क्वालिटी इंडेक्स सही

0-50 अच्छा

51-100, संतोषजनक

101-200 माडरेट

201-300 खराब

301-400 बेहद खराब

401-500 बेहद ज्यादा खराब

कृषि अधिकारी के अनुसार

धान की पराली न जलाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। जो धान की पराली उन पर कार्रवाई की जाएगी। धान की पराली जलाने वालों पर नजर रखने के लिए गांव स्तर पर कमेटी गठित की गई है।

---डा. बाबूलाल, कृषि उपनिदेशक, कृषि विभाग।


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