आदमपुर अनाज मंडी में कमीशन का खेल
कुछ व्यापारियों ने दबी जुबान से बताया कि मंडी में सरसों खरीद का कच्चे व पक्के का खेल खेला जा रहा है जिससे मार्केट कमेटी द्वारा ली जाने वाली फीस और टैक्स बच जाता है। अप्रैल शुरू होते ही मंडियों में सरसों की भारी मात्रा में आवक शुरू हो गई थी। मगर आदमपुर मार्केट कमेटी का रिकॉर्ड देखा जाए तो लगता है कि इस बार फसल की पैदावार की काफी कम हुई है।
संवाद सहयोगी, मंडी आदमपुर : किसानों द्वारा काला सोना कही जाने वाली सरसों सीधे मिलों में भेजी जा रही है। वीरवार को मंडी में आढ़तियों ने अचानक सरसों की बोली बंद कर दी। जेडएमइओ निहाल सिंह मौके पर पहुंचे तो करीब शाम 4 बजे के बाद बोली शुरू हुई। बोली बंद होने का कारण भी किसी ने स्पष्ट नहीं किया। वहीं सूत्रों से पता चला कि सारा खेल कमीशन का है।
कुछ व्यापारियों ने दबी जुबान से बताया कि मंडी में सरसों खरीद का कच्चे व पक्के का खेल खेला जा रहा है, जिससे मार्केट कमेटी द्वारा ली जाने वाली फीस और टैक्स बच जाता है। अप्रैल शुरू होते ही मंडियों में सरसों की भारी मात्रा में आवक शुरू हो गई थी। मगर आदमपुर मार्केट कमेटी का रिकॉर्ड देखा जाए तो लगता है कि इस बार फसल की पैदावार की काफी कम हुई है। सरकारी रिकार्ड में सरसों की आवक न के बराबर है। सूत्रों की मानें तो मंडी में प्रतिदिन भारी मात्रा में सरसों आ रही है। अधिकारियों व मिल मालिकों की मिलीभगत के चलते सरसों सीधे मिल में ले जाई जा रही है। मार्केट कमेटी द्वारा सरसों खरीदने पर 1 प्रतिशत मार्केट फीस, 5 प्रतिशत जीएसटी व ढाई प्रतिशत आढ़त भी देनी पड़ती है। यह फीस व टैक्स देने से मिल मालिकों को कम मुनाफा होता है।
किसानों को मिलता है 100 से ज्यादा का भाव
मिल मालिक सरसों बेचने के लिए आने वाले किसानों को सरकारी भाव से 100 रुपये ज्यादा का भाव देते हैं। किसान 100 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा भाव मिलने पर सीधे ही अपनी सरसों बेच देते हैं। किसानों के सीधे सरसों लाने से मिल मालिक को कमेटी फीस के साथ जीएसटी नहीं देनी पड़ती। छुट्टी पर हूं: सचिव
इस संबंध में आदमपुर मार्केट कमेटी सचिव हीरालाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे अस्पताल आए हुए हैं और छुट्टी पर हैं। बोली बंद होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।