जस्टिस सूर्यकांत के पिता की शोक सभा में शोक जताने पहुंचे सीएम मनोहल लाल
हरियाणवी साहित्य में मदनलाल शास्त्री का योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें महाकवि कालीदास सुर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। शिक्षकों की आवाज उठाने के लिए हमेशा आगे रहते थे
जेएनएन, हिसार। हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस सूर्यकांत के पिता राज्यकवि मदनलाल शास्त्री की शोक सभा में शोक जताने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल हिसार पहुंचे। फ्लेमिंगों में आयोजित शोक सभा में सीएम काफी देर तक बैठे और सूर्यकांत को इस मुश्किल घड़ी में ढांढस बंधाया। इस दौरान उनके साथ विधायक डॉक्टर कमल गुप्ता और बीजेपी जिला प्रधान भी मौजूद रहे। बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदन लाल शास्त्री का देहांत बीती आठ अक्तूबर को हो गया था।
हरियाणवी साहित्य में मदनलाल शास्त्री का योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें महाकवि कालीदास सुर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। शिक्षक रहते हुए वे शिक्षकों की आवाज उठाने के लिए हमेशा आगे रहते थे। सात महीने पहले उनकी पत्नी शशि देवी का भी निधन हो गया था।
राज्यकवि ने 35 वर्ष तक संस्कृत अध्यापक के रूप में कार्य किया और वे संयुक्त पंजाब के अध्यापकों के प्रधान भी रहे। उस दौरान उन्होंने अध्यापकों के हितों के लिए कई बार संघर्ष किया। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने हरियाणवीं भाषा में रामायण लिखी। इसके लिए हरियाणा साहित्य अकादमी ने उन्हें महा कवि कालीदास सुर पुरस्कार से नवाजा।
इसके अलावा उनको पंडित लक्ष्मी चंद पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था। मदनलाल जी ने 14 पुस्तकें लिखी थीं। इनमें नगरी नगरी द्वारे द्वारे, गुदड़ी के लाल, कैसा हिन्दुस्तान, अध्यापक समाज की व्याख्या और हरियाणवीं रामायण मुख्य थीं। उन्होंने कमल और कीचड़ उपन्यास भी लिखा। वे हरियाणवीं संस्कृत अकादमी व साहित्य अकादमी से भी काफी समय तक जुड़े रहे।
पिता जी ने मेहनत से काम करने की सीख दी : ऋषिकांत
बड़े बेटे मास्टर ऋषिकांत ने बताया कि पिता मदनलाल जी ने हमेशा मेहनत से कार्य करने की सीख दी। उनके दिए संस्कारों पर ही चलकर आगे का जीवन जारी रखा जाएगा। जीवन में उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
शिक्षा की तरह था विशेष ध्यान : जस्टिस सूर्यकांत
हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि पिता जी बड़े ही सरल स्वभाव के थे। उनका शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान था। हम चारों भाइयों को उन्होंने बेहतर तरीके से शिक्षित किया और साथ ही मेहनत और ईमानदारी को ध्यान में रखकर काम करने की प्रेरणा दी।