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पहाड़ चढ़ अनीता कुंडू ने जाना समय के अनुसार चलो, धैर्य अपनाओ, हालात देख रूटीन बनाओ

कोराेना से बने हालातों से लडऩे के लिए अंतरराष्ट्रीय माउंटेनियर अनीता कुंडू अपने पहाड़ चढऩे की स्ट्रेटजी का सहारा ले रही हैं। वे दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव में अनुभव साझा कर रही थी

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 11:48 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 11:48 AM (IST)
पहाड़ चढ़ अनीता कुंडू ने जाना समय के अनुसार चलो, धैर्य अपनाओ, हालात देख रूटीन बनाओ
पहाड़ चढ़ अनीता कुंडू ने जाना समय के अनुसार चलो, धैर्य अपनाओ, हालात देख रूटीन बनाओ

हिसार, जेएनएन। कोरोना के मामले अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इससे युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर प्रभावित है। इन हालातों से लडऩे के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की माउंटेनियर अनीता कुंडू अपने पहाड़ चढऩे की स्ट्रेटजी का सहारा ले रही हैं। वह दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर लाइव होकर लोगों से रूबरू हुईं।

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उन्होंने बताया कि पहाड़ चढऩे और पहाड़ पर आने वाली विपरीत परिस्थितियों को देख उन्होंने जाना कि समय के साथ चलो, धैर्य अपनाओ और हालात देख रूटीन बनाओ। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में युवा कोई परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं, नौकरियों पर भी संकट है। व्यापार भी तेजी नहीं पकड़ रहा है। ऐसे में यह तीन मूलमंत्र आपको भी ऐसी परिस्थितियों में लडऩे की हिम्मत देंगे।

माउंटेनिंग के वह तीन मंत्र जो कोरोना काल में आपको जीना सिखाएंगे

1- समय के साथ चलो: अनीता कुंडू ने बताया कि एवरेस्ट चढऩे के साथ कई बार हालात बद से बदत्तर आ जाते हैं। ऐसे में आपको समय के साथ चलने की आवश्यकता है। अगर आपने समय का इंतजार नहीं किया तो आप पीछे छूट सकते हैं। वहां न तो अपने होते हैं, मोबाइल भी नहीं होता और कैंप में कई बार अकेले भी रहना पड़ता है। कोरोना काल में भी आपके लिए यह समय अधिक कठिन है। सावधानी से कदम बढ़ाएं। सुरक्षा मानकों का प्रयोग करें।

2- धैर्य को अपनाओ: अनीता ने बताया कि पहाड़ चढ़ते समय कई बार वर्फ के तूफान आ जाते हैं। ऐसे में जितनी चढ़ाई हमने की है, वहां से फिर वापस बेस कैंप लौटना पड़ता है। ताकि तूफान थमे और हम फिर से आगे बढऩे का प्रयास जारी कर सकें। ऐसे में आपके भीतर धैर्य होना भी जरूरी है। कोरोना के दौरान आप हर रोज संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती देख रहे हैं, ऐसे में धैर्य का दामन थामें, खुद को शांत रखें।

3- हालात देखकर बनाएं रूटीन: अनीता ने बताया कि कई बार पहाड़ पर चढ़ते समय में तीन दिन का भोजन ले जाते हैं। अगर विपरीत परिस्थिति बनी तो एक-एक सप्ताह भी लग जाता है। ऐसे में हम उस तीन दिन के खाने को एक सप्ताह तक चलाते हैं। यह तरीका हमें सिखाता है कि कैसे हम सीमित संसाधनों में सरवाइव कर सकते हैं। हमें मुश्किल की घड़ी में हौसला बनाए रखना है। अपना ही नहीं बल्कि दूसरों का भी ध्यान रखना है।


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