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साल में चार बार जरूर करें पानी की टंकियों को साफ नहीं तो हो सकता है पीलिया-टायफायड

चिकित्सकों का दावा है कि यदि शुद्ध पानी नहीं पीएंगे तो पीलिया और टाइफायड चपेट में ले सकता है। इसलिए चिकित्सकों ने कुछ जरूरी हेल्थ टिप्स अपनाने को कहा है। चिकित्सक कहते हैं कि पानी की टंकियों की सफाई न होने के कारण भी बीमारियां अपनी चपेट में लेती हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 08:38 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 08:38 AM (IST)
साल में चार बार जरूर करें पानी की टंकियों को साफ नहीं तो हो सकता है पीलिया-टायफायड
पानी की टंकियां साफ नहीं करेंगे तो पीलिया व टाइफाइड चपेट में ले सकता है

जागरण संवाददाता, रोहतक। गर्मी का मौसम है। फिलहाल सबसे अधिक पानी की जरूरत है और वह भी शुद्ध पानी की। चिकित्सकों का दावा है कि यदि शुद्ध पानी नहीं पीएंगे तो पीलिया और टाइफायड चपेट में ले सकता है। इसलिए चिकित्सकों ने कुछ जरूरी हेल्थ टिप्स अपनाने को कहा है। चिकित्सक कहते हैं कि पानी की टंकियों की सफाई न होने के कारण भी बीमारियां अपनी चपेट में लेती हैं। इसकी वजह है कि प्रत्येक सीजन में संक्रमण बढ़ता है। पानी की टंकी साफ रहेगी तो पेट से संबंधित व अन्य कई बीमारियों से बचाव हो सकता है।

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बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिल गोस्वामी कहते हैं कि 12 माह में कम से कम चार बार यानी प्रत्येक बदलने सीजन में पानी की टंकियों को साफ करना चाहिए। यदि पेयजल आपूर्ति की कोई ऐसी पाइप लाइन है, जोकि साफ हो सकती है तो उसे भी साफ करें। इन्होंने बताया कि गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पानी की टंकियों को साफ करना चाहिए। इसी तरह बरसाती सीजन की शुरूआत और बरसात खत्म होने के बाद भी टंकी साफ करेँ। इसी तरह से सर्दियों का सीजन शुरू होने पर भी टंकियों को हर हाल में साफ करने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

टाइफायड और पीलिया में एक जैसे लक्षण

बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिल का कहना है कि टाइफायड और पीलिया में कई लक्षण एक जैसे होते हैं, इसलिए चिकित्सक को दिखाकर सबसे पहले टेस्ट कराएं। टेस्ट के बाद ही बीमारी पता चलेगी। इन्होंने बताया कि दूषित पानी पीने से टाइफायड और पीलिया होने की स्थिति में उल्टी, भूख न लगना, सिर में दर्द आदि दोनों ही बीमारियों में एक जैसे लक्षण होते हैं। पीलिया में हेपेटाइटिस ए, बी और सी भी सिर्फ टेस्ट से पता चल सकते हैं। इसलिए चिकित्सक की सलाह पर ही कार्य करें।

उबला पानी ही आखिरी विकल्प

यदि शहरी क्षेत्र में दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है तो आखिरी विकल्प सिर्फ उबला हुआ पानी ही है। उबले हुए पानी में किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया नहीं बचेंगे। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को विशेषकर गर्मियों और बरसाती सीजन में उबला हुआ ही पानी पीना चाहिए। यह भी बताया कि उबले हुए पानी को सुबह के वक्त जागने के बाद गुनगुना तो नियमित अन्य समय में ठंडा करके पीएं। ठंडे पानी को घड़े में भरकर भी उपयोग में ला सकते हैँ। चिकित्सकों का कहना है कि इस प्रक्रिया से पानी बैक्टीरिया रहित हो जाएगा।


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