16 दरवाजों में फंसी मूक बधिरों की 12वीं क्लास
करनाल में अभी तक मूक बधिरों के लिए 12वीं तक का विद्यालय है। हिसार के मूक बधिर विद्यालय 9वीं कक्षा तक संचालित है। इसको 12वीं तक अपग्रेड करने के लिए शिक्षा विभाग से स्कूल प्रबंधन अनुमति भी ले आया। स्कूल शुरू करने के लिए जब फाइल शिक्षा विभाग के पास लगाई तो उन्होंने नियमों को सामने रखकर इसे लटका दिया।
वैभव शर्मा, हिसार
हिसार के मूक बधिर विद्यालय की 12वीं तक की क्लास 16 दरवाजों में फंस गई है। एक महीने से अधिक समय होने के बावजूद शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन के दूसरे विभाग मान्यता की फाइल पर कुंडली मारकर बैठे हैं। किसी के पास लाख-दो लाख रुपये भी नहीं हैं, जिससे कि 16 दरवाजों की अड़चन दूर की जा सके। इस विद्यालय में आसपास के जिले ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों के मूक बधिर बच्चे भी दाखिला ले सकते हैं मगर इस काम के ना होने से 12वीं की कक्षाएं शुरू ही नहीं हो सकीं हैं।
दरअसल करनाल में अभी तक मूक बधिरों के लिए 12वीं तक का विद्यालय है। हिसार के मूक बधिर विद्यालय 9वीं कक्षा तक संचालित है। इसको 12वीं तक अपग्रेड करने के लिए शिक्षा विभाग से स्कूल प्रबंधन अनुमति भी ले आया। स्कूल शुरू करने के लिए जब फाइल शिक्षा विभाग के पास लगाई तो उन्होंने नियमों को सामने रखकर इसे लटका दिया। एक महीने से अधिक समय होने के बावजूद इस फाइल पर जिला प्रशासन भी सकारात्मक रूख नहीं दिखा सका है।
दो दरवाजों के नियम ने लटकाया
नियमानुसार 12वीं तक के स्कूल को चलाने के लिए कक्षाओं में दो-दो गेट होने चाहिए, मगर हिसार के श्रवण एवं वाणु निशक्त विद्यालय में बने 16 कमरों में एक-एक ही दरवाजे हैं। इस नियम को इसलिए बनाया गया था कि कभी आग लग जाए तो विद्यार्थियों के पास दूसरे गेट निकलने के लिए रहे। मगर मूक बधिर विद्यालयों में तो विद्यार्थियों की संख्या ही कम होती है। शिक्षा विभाग ने 16 गेट न होने से मान्यता की फाइल पर ऑब्जेक्शन लगा दिया। अब यहां से विद्यालय प्रशासन ने लघु सचिवालय के चक्कर काटना शुरू किया।
पंचायत विभाग ने बनाया अधिक का एस्टीमेट
स्कूल के पास अपना कोई फंड नहीं है, उपायुक्त इस स्कूल की सोसाइटी की चेयरमैन हैं। ऐसे में इस बात की सूचना जब जिला प्रशासन को पहुंची तो उन्होंने पंचायत विभाग के माध्यम से 16 दरवाओं को बनवाने के लिए एस्टीमेट तैयार कराया। यह काम प्राइवेट तौर पर करीब एक या सवा लाख रुपये में हो सकता था, मगर पंचायत विभाग ने 2.20 लाख रुपये का एस्टीमेट बना दिया। अब इस फंड को लेने के लिए विद्यालय प्रशासन चक्कर काट रहा है।
साइंस लैब के लिए एचपीसीएल में भेजा है प्रपोजल
यह विद्यालय सरकारी मदद से अधिक तो दानदाताओं के उपकार से चलता है। यहां साइंस लैब, कंप्यूटर लैब को बनवाने के लिए हिदुस्तान पेट्रोलियम को-ऑर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से प्रस्ताव भेजा गया है। एचपीसीएल ने प्रोजेक्ट पास किया तो यह लैब भी बन सकेंगी। मौजूदा समय में 172 विद्यार्थी यहां पढ़ रहे हैं, जिसमें से 22 राष्ट्रीय अवार्ड भी पा चुके हैं।