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देश में पहली बार गाय-भैंस की प्रेग्नेंसी किट बनी, 30 मिनट में होगी जांच, CIRB हिसार ने की तैयार

गाय व भैंस के लिए प्रेग्नेंसी किट प्रेग-डी तैयार की गई है। एक किट से 10 सैंपल टेस्ट हो पाएंगे पशु के दो एमएल यूरिन से पता लगाया जा सकेगा कि पशु गर्भ से है या नहीं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 12:04 PM (IST)
देश में पहली बार गाय-भैंस की प्रेग्नेंसी किट बनी, 30 मिनट में होगी जांच, CIRB हिसार ने की तैयार
देश में पहली बार गाय-भैंस की प्रेग्नेंसी किट बनी, 30 मिनट में होगी जांच, CIRB हिसार ने की तैयार

जेएनएन, हिसार। पशुपालकों को लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) हिसार के शोधकर्ताओं ने दो बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैंं। पहला संस्थान ने गाय और भैंस के गर्भ की जांच के लिए किट विकसित की है। इस किट से मात्र 30 मिनट में पशु के गर्भ की जांच हो जाएगी। दूसरी ओर क्लोन झोटा (भैंसा) के सीमन पर रिसर्च में यह नतीजे आए हैं कि देश के तीन मुर्राह क्लोन झोटे ऐसे हैं, जिनके सीमन से उसी क्वालिटी के पशु तैयार होंगे। यह जानकारी सीआइआरबी के निदेशक डॉ. एसएस दहिया ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में दी।

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उन्होंने कहा कि सीआइआरबी के विज्ञानियों व शोधार्थियों ने गाय व भैंस की गर्भ जांच के लिए किट तैयार की है। इसे प्रेग-डी नाम दिया गया है। इससे महज 30 मिनट में पशुओं के दो एमएल यूरिन की टेस्टिंग से गर्भ धारण जांच के नतीजे आ जाएंगे। किट की कीमत अभी 300 रुपये है। एक किट से 10 सैंपल टेस्ट हो पाएंगे।

उन्होंने बताया कि देश में पहली बार ऐसी किट तैयार हुई है। पशु के दो एमएल यूरिन से पता लगाया जा सकेगा कि वह गर्भ से है या नहीं। संस्थान के विज्ञानियों तथा इस प्रोजेक्ट में सहयोगी डॉ. एस के फलिया, डॉ. आर के शर्मा, डॉ. सुमन, डॉ. अर्चना सारंगी, डॉ. एके एस तोमर, डॉ. अनुराग भारद्वाज ने किट को विकासित करने की प्रक्रिया में शामिल हुए।

डॉ. दहिया ने कहा कि देश के तीन मुर्राह नस्ल के क्लोन झोटे पर भी रिसर्च हुई है। जिसमें दो झोटे राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान एनडीआरआइ करनाल से हैं और एक सीआइआरबी हिसार में है। इनकी रिसर्च में ये जानने का प्रयास किया गया है कि इन क्लोन झोटे कि प्रजनन क्षमता गैर क्लोन झोटे के समान है या नहीं। रिजल्ट में बेहद सुखद नतीजे सामने आए हैं। जांच में पता चला है कि इनके सीमन का उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान द्वारा बेहतर जर्मप्लाज्म का प्रसार करने के लिए किया जा सकता है।


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