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कहीं भारी न पड़ जाए प्रतिस्पर्धा की होड़, स्टूडेंट्स को डिप्रेशन दे रही अंकों की दौड़

हरियाणा बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के एग्जाम दे रहे विद्यार्थी अच्छे अंक पाने की जद्दोजहद में तेजी से डिप्रेशन में आने लगे हैं। एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में विद्यार्थी न तो खुद नियमित समय पर सो रहे हैं और न ही वे ठीक ढंग से खानपान कर रहे हैं, जिससे वो मानसिक परेशानी का शिकार हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 11:23 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 11:29 AM (IST)
कहीं भारी न पड़ जाए प्रतिस्पर्धा की होड़, स्टूडेंट्स को डिप्रेशन दे रही अंकों की दौड़
कहीं भारी न पड़ जाए प्रतिस्पर्धा की होड़, स्टूडेंट्स को डिप्रेशन दे रही अंकों की दौड़

जागरण संवाददाता, हिसार

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हरियाणा बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के एग्जाम दे रहे विद्यार्थी अच्छे अंक पाने की जद्दोजहद में तेजी से डिप्रेशन में आने लगे हैं। एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में विद्यार्थी न तो खुद नियमित समय पर सो रहे हैं और न ही वे ठीक ढंग से खानपान कर रहे हैं, जिससे वो मानसिक परेशानी का शिकार हो रहे हैं। परिणामस्वरूप, नागरिक अस्पताल में एग्जाम के डिप्रेशन से ग्रस्त छह विद्यार्थी पहुंचे, जिनमें चार लड़कियां और दो लड़के शामिल हैं। इनमें एक लड़के और एक लड़की 10वीं के विद्यार्थी हैं और एक लड़का और एक लड़की बारहवीं के हैं। जबकि अन्य दो लड़कियां एसएससी प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं।

इतना ही नहीं, ये विद्यार्थी डिप्रेशन के कारण पेट संबंधित रोगों और एसिडिटी जैसी अनेक बीमारियों से ग्रस्त पाए गए, जिनका मनोचिकित्सक विनोद डूडी ने काउंसिलिंग कर दवाएं दीं। साथ ही अभिभावकों को एग्जाम के दिनों में ध्यान रखने वाली बातों की जानकारी दी।

नींद की कमी समस्या का बड़ा कारण

काउंसिलिंग के दौरान परीक्षार्थियों में डिप्रेशन का कारण पूरी नींद न लेना पाई गई। क्योंकि विद्यार्थी एग्जाम की तैयारी प्ला¨नग से नहीं करते हैं, जिस कारण वे पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं और न ही वे बेहतर खाना ले रहे हैं। छह विद्यार्थी एग्जाम के दिनों में छह घंटे से भी कम नींद ले रहे थे, जबकि मनोचिकित्सक के अनुसार कम से कम सात घंटे की नींद लेना अनिवार्यता है। चाहे एग्जाम के दिन हो या न हो। अगर पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो दिमाग पूरी तरह थकान में आ जाता है, जिस कारण विद्यार्थियों को डिप्रेशन घेरने लगती है। साथ ही बेहतर खाना न मिलने पर पेट संबंधित बीमारियां भी घेर लेती है।

इसलिए बढ़ रही दिक्कत

मनोचिकित्सक विनोद डूडी ने बताया कि काउंसिलिंग के दौरान विद्यार्थियों में अपने साथी को अंकों में पछाड़ने की लालसा है, जिस कारण वह अच्छे अंकों की होड़ में ऐसा शामिल होता है कि वह पढ़ाई के प्रति पूरी तरह पागलपन हो जाता है, जिस कारण वह तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। खासकर, हरियाणा बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के एग्जाम दे रहे विद्यार्थी इस समस्या से अधिक ग्रस्त हो रहे हैं। लेकिन खुशी की बात यह है कि अभिभावक अपने बच्चों के प्रति बड़े सजग दिखाई दे रहे हैं। छोटी सी समस्या को भांपते ही अभिभावक अपने बच्चों को लेकर मनोचिकित्सक के पास आ रहे हैं।

अभिभावक भी रहें बचचों के सिलेबस से अपडेट

विद्यार्थियों के साथ आए अभिभावकों की भी काउंसिलिंग की गई, जिनमें वे सभी जागरूक पाए गए, उनको बताया गया कि वे अपने बच्चों के सिलेबस से अपडेट रहे। ताकि उनको पता रहे कि बच्चा किस टॉपिक में कमजोर है और कौन सी खामी के कारण वह मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पा रहा है। साथ ही बच्चों को टिप्स देते रहे कि रोजाना कक्षा में पढ़ाई गई बातों को घर आने पर दोहराएं ताकि बच्चा उस विषय को नहीं भूलेगा, जिस कारण एग्जाम के दिनों बच्चे एकदम से डिप्रेशन में नहीं आएंगे।

रोजाना एक घंटा खेलें आउटडोर गेम

मनोचिकित्सक विनोद डूडी ने बताया कि एग्जाम के दिन हो या न हो बच्चों को रोजाना एक घंटा आउट डोर गेम खेलना चाहिए। ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से विद्यार्थी स्फूर्ति महसूस करें। क्योंकि एग्जाम के दिनों में बच्चे आउट डोर गेम खेलना भूल जाते हैं, जिस कारण वे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं, जिस कारण वे दोनों स्तर में कमजोर सिद्ध होते हैं। साथ ही बच्चों को टीवी, इंटरनेट और मोबाइल से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा विद्यार्थी को सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए।


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