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सामूहिक दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई पीडि़ता को गर्भपात की नहीं मिलेगी इजाजत

हांसी में सामूहिक दुष्‍कर्म के बाद गर्भवती हुई किशोरी छह महीने से अधिक की गर्भवती है और ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन एक्ट के तहत कानूनन उसका गर्भपात नहीं कराया जा सकता।

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 05:57 PM (IST)
सामूहिक दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई पीडि़ता को गर्भपात की नहीं मिलेगी इजाजत
सामूहिक दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई पीडि़ता को गर्भपात की नहीं मिलेगी इजाजत

हिसार, हांसी [मनप्रीत सिंह] इंसानियत को शर्मसार करने वाली मां की करतूत के कारण सामूहिक दुष्कर्म की दरिंदगी की पीड़ा झेल रही 15 वर्षीय मासूम किशोरी के भविष्य के आगे अंधकार के बादल छाए हैं। किशोरी छह महीने से अधिक की गर्भवती है और ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन एक्ट के तहत कानूनन उसका गर्भपात नहीं कराया जा सकता।

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दूसरी ओर पीड़िता के परिजनों ने गर्भपात कराने के लिए गुहार लगाई है, लेकिन पुलिस व बाल संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने मेडिकल रिपोर्ट व कानून का हवाला देते हुए इससे इंकार कर दिया है। अगर पीड़िता और उसके परिजन बच्चे को स्वीकार नहीं करते तो उसे सीडब्ल्यूसी के देखरेख में सरेंडर करवाकर एडॉप्टेशन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। बाल संरक्षण विभाग की टीम पीड़िता की पूरी मॉनिटरिंग कर रही है।

फिलहाल पीड़िता परिजनों के पास है। किशोरी की मेडिकल रिपोर्ट को कोर्ट में भी पेश किया गया है। बाल विकास एवं संरक्षण विभाग की टीम ने पीड़िता की काउंसिलिंग की गई है, जिसके बाद उसका मानसिक तनाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। दुष्कर्म पीड़िता और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की भी डाक्टर मॉनीटरिंग कर रहे हैं और फिलहाल दोनों स्वस्थ्य हैं।

तीन आरोपित अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर 15 साल की किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की मां सहित छह युवकों को पुलिस ने आरोपित बनाया था। किशोरी की मां के अलावा अजय उर्फ विक्की और दिलबाग को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। अभी इस मामले में तीन आरोपित फरार चल रहे हैं और पुलिस उनकी धरपकड़ के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकार में दायर की जाएगी याचिका पीड़िता को आर्थिक सहायता देने के लिए हिसार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की ओर से पीड़िता की तरफ से याचिका दायर की जाएगी। इसके तहत पीड़िता को 5 से 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें से 40 प्रतिशत राशि पीड़िता को तुरंत दी जाएगी और 60 प्रतिशत सहायता राशि डिलीवरी के बाद दी जाएगी। पीड़िता का मेडिकल, एफआइआर की कॉपी व शिकायत कोर्ट में पेश की जाएगी और आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए इस मुकदमे से संबंधित सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं।

बच्‍ची के भविष्‍य को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा
जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुनीता ने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की बाल विकास एवं सरंक्षण विभाग पूरी मॉनीटरिंग कर रहा है। बच्ची के भविष्य को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। फिलहाल बच्ची परिजनों के पास है और उसकी सेहत को लेकर समय-समय पर बात की जा रही है। प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन एक्ट के तहत 18 सप्ताह से अधिक के गर्भ को टर्मिनेट नहीं किया जा सकता। बच्ची के परिजन अगर नवजात बच्चे को नहीं रखना चाहेंगे तो उसके एडॉप्टेशन की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।


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