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बाल विवाह की 12 सालों में मिलीं 366 शिकायतें, बर्बाद होने से बचीं 216 मासूमों की जिंदगी

कोई व्यक्ति बाल विवाह करता है तो यह गैर जमानती अपराध है। इसमें पकड़े जाने पर 2 साल तक की कैद तथा 1 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। फिर भी बाल विवाह नहीं रुक रहे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 06:22 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 06:22 PM (IST)
बाल विवाह की 12 सालों में मिलीं 366 शिकायतें, बर्बाद होने से बचीं 216 मासूमों की जिंदगी
बाल विवाह की 12 सालों में मिलीं 366 शिकायतें, बर्बाद होने से बचीं 216 मासूमों की जिंदगी

हिसार [वैभव शर्मा] शादियों का सीजन आते ही प्रशासन भी इस कोशिश में लग जाता है कि लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करें ताकि बाल विवाह के मामलों पर रोक लगाई जा सके। पिछले कई वर्षों से हरियाणा में यह प्रक्रिया बाल विवाह को रोकने के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। पिछले 12 वर्षों के आंकड़ों का आंकलन करें तो कुल 366 शिकायतें लोगों ने हिसार के अलग-अलग क्षेत्रों से बाल विवाह निषेध अधिकारी को दर्ज कराई हैं।

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इसमें रोचक तथ्य यह है कि इन शिकायतों में पुलिस के पास से विभाग को सिर्फ 24 शिकायतें ही रेफर की गई हैं बाकी 173 शिकायतों को दर्ज कराने के लिए पीडि़तों ने फोन पर विभाग से संपर्क किया है। इसके साथ ही 120 शिकायतें पीडि़ताओं ने खुद विभाग में आकर की हैं। बाल विवाह निषेध विभाग ने बाल विवाहों को रुकवाने के लिए कोर्ट से 66 आर्डर अब तक लिए हैं, जिसमें 61 मामलों में शादी रुकी भी है।

दरअसल अक्षय तृतीया को लेकर अक्सर लोग बाल विवाह कराने की कोशिश करते हैं। इस बार इसे रोकने के लिए जिला हिसार व हांसी के सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए कि वह अपने-अपने क्षेत्र में होने वाली शादियों पर नजर रखें। अगर कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिलती है तो तुरंत कार्रवाई करें।

216 मामलों में काउंसिलिंग के जरिये लोग माने

बाल विवाह को रोकने के लिए बाल विवाह निषेध विभाग के पास जो शिकायतें आती हैं। उनमें विभाग की कोशिश होती है कि वह पहले समझाकर लोगों को यह काम करने से रोकें। बाल विवाह की शिकायतों में 216 मामले ऐसे भी हैं जिसमें लोग पहली या दूसरी बार में समझाने पर मान भी गए। इसके साथ ही 56 मामलों में पुलिस ने एफआइआर दर्ज की कार्रवाई भी की है। वहीं 69 मामलों में दो से अधिक बाल विवाहों को कराते हुए पिछले वर्षों में पकड़ा गया है। 

शादी के लिए ये हैं नियम

बाल विवाह निषेध अधिकारी बबिता चौधरी ने बताया कि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए। बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। आम जनता को इसे रोकने में प्रशासन की मदद करनी चाहिए। बाल्यावस्था होने के कारण लड़का व लड़की शादी की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम नहीं होते हैं। निर्धारित समय से पहले विवाह होने पर उनका मानसिक विकास भी बाधित होता है।

बाल विवाह करने पर ये है सजा

कोई व्यक्ति बाल विवाह करता है तो यह गैर जमानती अपराध है। इसमें पकड़े जाने पर 2 साल तक की कैद तथा 1 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसमें पोक्सो एक्ट के अंतर्गत भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को बाल विवाह की सूचना मिलती है तो वह कंट्रोल रूम नंबर 100, महिला हेल्पलाइन नंबर 1091, मोबाइल नंबर 97290-11052 अथवा 99929-63638 पर फोन करके सूचना दे सकता है।

पिछले 12 वर्षों में बाल विवाह से जुड़े मामले

2008 से 2020 तक कुल शिकायत आईं- 366

एक साथ दो से अधिक बाल विवाह के मामले- 69

टेलीफोन पर शिकायत- 173

पुलिस के पास- 24

पीडि़त विभाग के पास पहुंचे- 120

अन्य शिकायतों के माध्यम- 49

कोर्ट के आर्डर लिए- 66

कोर्ट आर्डर पर बाल विवाह रुकवाए- 61

काउंसिङ्क्षलग के जरिये बाल विवाह रुकवाया- 216

पुलिस में एफआइआर दर्ज की गईं- 56

जांच में जिनकी उम्र पूरी मिली- 32

बाल विवाह होने के बाद पता चला- 1

-----बाल विवाह रोकने के लिए पुलिस के अधिकारियों को कहा गया है। वह क्षेत्र में मामला सामने आते ही त्वरित कार्रवाई भी करेंगे। इसके साथ ही हमारा उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोग जागरुक हों और बाल विवाह जैसी कुप्रथा को त्यागें।

-- बबीता चौधरी, जिला संरक्षण कम बाल विवाह निषेध अधिकारी।


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