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योग से बदली कैदियों की जिदगी, ध्यान ने गुस्सा शांत करने का किया काम

जागरण संवाददाता हिसार सेक्टर 15 स्थित बी एंड आर कालोनी निवासी ओपी आर्य आज 74 वर्ष की उम

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 07:40 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 07:40 AM (IST)
योग से बदली कैदियों की जिदगी, ध्यान ने गुस्सा शांत करने का किया काम
योग से बदली कैदियों की जिदगी, ध्यान ने गुस्सा शांत करने का किया काम

जागरण संवाददाता, हिसार: सेक्टर 15 स्थित बी एंड आर कालोनी निवासी ओपी आर्य आज 74 वर्ष की उम्र में भी लोगों की योग के माध्यम से जिदगी बदल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में वह हर दिन हिसार की दोनों जेलों में कैदियों को रोजाना योग व ध्यान सिखाते थे। जिसका परिणाम यह हुआ कि जो कैदी अक्सर भड़के रहते थे, उन्हें बात-बात पर गुस्सा आ जाता था, वह योग और ध्यान के जरिए अपने आप को शांत रखने लगे। इस बात को खुद जेल के अधिकारियों ने उनके साथ साझा किया। सिर्फ यह नहीं बल्कि जो कैदी योग व ध्यान सीखते, वह रिहा होने के बाद राजयोग केंद्र में कक्षाएं लेने आते हैं। इसमें उन्हें योग व ध्यान से जीवन को एक स्वस्थ व सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण करने की जानकारी दी जाती है। हिसार में डीईओ के पद से वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त हुए ओपी आर्य व उनकी पत्नी कमला आर्य लगभग 70 वर्ष के हो चुकी हैं मगर युवाओं की तरह हर दिन योग करते नजर आते हैं। योग ही है जिसकी वजय से अभी तक वह निरोगी हैं और युवाओं से भी अच्छा योग कर लेते हैं। लॉकडाउन से पहले वह अपने बेटे से मिलने ऑस्ट्रेलिया गए थे, मौजूदा समय में वहीं पर हैं। हालांकि योग उनकी दिनचर्या में अभी भी शामिल है और आसपास व परिजनों के साथ मिलकर वहां भी योग की लो जगा रहा हैं।

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ऐसे शुरू हुई योग में दिलचस्पी

ओपी आर्य बताते हैं कि 1980 में वह शिक्षा विभाग में पदस्थ थे। एक दिन उन्होंने अपने पांच मित्रों के साथ तय किया कि अब हर रोज योग करेंगे। इसके लिए वह सभी अपनी साइकिल पर अतिरिक्त चटाई लेकर जाते ताकि और लोगों को भी योग सिखा सकें। कई बार लोग आते तो कई बार पांच पांडव कहकर हंसते। मगर उन्होंने योग करना नहीं छोड़ा। जब योग अच्छे से आने लगा तो शिक्षा विभाग में नौकरी करते हुए वह योग के लिए काम करने लगे। योग को खेल की श्रेणी में शामिल कराने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। करीब 1988 में योग की प्रतियोगिता जिला व प्रदेश स्तर पर होने लगीं व खिलाड़ियों को सामान्य खेलों तरह सुविधाएं मिलने लगीं। उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने इन प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया।

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10 वर्ष तक स्टेट योगा चैंपियन का रख चुके हैं खिताब

प्रदेश में योग की प्रतियोगिताएं शुरू करने के बाद जिला प्रशासन की मदद से वह शिक्षा विभाग के अधिकारी होते हुए जिला व स्टेट लेवल की योग प्रतियोगिताओं में उतरे। 35 से 43 उम्र वर्ग की उम्र में वह 10 वर्ष तक स्टेट योग चैंपियन रह चुके हैं। तब बाल भवन में प्रतियोगिताएं होती थी। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर तीन बार स्थान प्राप्त किया। भारत की टीम में भी चयन हुआ मगर डिपार्टमेंट से जुड़े होने के कारण नहीं जा सके। इसके बाद 1990 में सरकार ने शिक्षकों को योग सिखाने की मंजूरी दे दी तो ओपी आर्य शिक्षकों को योग सिखाने लगे। वह बताते हैं कि वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त होने के बाद भी योग और ध्यान जीवन का अहम हिस्सा बन गया। फिर ब्रह्मकुमारी संस्था के साथ जुड़कर हिसार की जेलों में हर रोज कैदियों को योग व ध्यान के जरिए उनके जीवन को परिवर्तित करने में जुट गए।


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