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चंद्र ग्रहण 2020 भारत में नहीं प्रभावी मगर जरूर करें ये काम, चार घंटे की होगी अवधि‍

चंद्र ग्रहण की शुरुआत 10 जनवरी की रात्रि 10 बजकर 39 मिनट से हो जाएगी और यह 2 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस बार उपछाया चंद्र ग्रहण होगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 01:19 PM (IST)
चंद्र ग्रहण 2020 भारत में नहीं प्रभावी मगर जरूर करें ये काम, चार घंटे की होगी अवधि‍
चंद्र ग्रहण 2020 भारत में नहीं प्रभावी मगर जरूर करें ये काम, चार घंटे की होगी अवधि‍

झज्जर, जेएनएन। शुक्रवार यानि आज पौष माह की पूर्णिमा है। आज ही साल का पहला चंद्र ग्रहण भी है। वहीं चंद्रग्रहण की अवधि भी लंबी है। चंद्र ग्रहण का भारत में ज्‍यादा प्रभाव नहीं है, लेकिन पूर्णिमा होने के कारण इस समय पाठ पूजा से विशेष लाभ मिलेगा। हिंदू धर्म में पौष महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मोक्ष की कामना रखने वाले लोगों के लिए ये दिन बहुत ही खास माना जाता है।

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पुराणों में उल्लेख मिलता है कि पौष महीने की पूर्णिमा मोक्ष दिलाती है। ग्रंथों के अनुसार पौष मास के दौरान जो लोग पूरे महीने भगवान का ध्यान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उसकी पूर्णता पौष पूर्णिमा के स्नान से हो जाती है। चंद्र ग्रहण के समय भी मंत्र जाप से विशेष लाभ मिलता है। मान्‍यता है कि इससे जीवन में सकारात्‍मकता बनी रहती है।

करीब चार घंटे का यह चंद्र ग्रहण छाया चंद्र ग्रहण होगा। आचार्य प्रथम शर्मा ने बताया कि ग्रहण तीन श्रेणी के होते हैं। पूर्ण, आंशिक और उप्‍पछाया चंद्र ग्रहण। इसमें पूर्ण में चंद्रमा पूरी तरह से ढक जाता है तो वहीं आंशिक में कुछ हिस्‍सा ही ढका जाता है। वहीं छाया चंद्र ग्रहण में धूल जैसी एक परत चंद्रमा के सामने रहती है। इस तरह के चंद्र ग्रहण का ज्‍यादा प्रभाव नहीं रहता है। इस बार चंद्र ग्रहण मिथुन राशि और पुर्नवसु नक्षत्र में होगा।

लगभग चार घंटे रहेगी ग्रहण की अवधि

आचार्य प्रथम ने बताया कि पौष पूर्णिमा के पावन दिन शुक्रवार को ही इस साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 4 घंटे की रहेगी। ग्रहण की शुरुआत 10 जनवरी की रात्रि 10 बजकर 39 मिनट से हो जाएगी और यह 2 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। हालांकि भारत में सिर्फ छाया चंद्रग्रहण ही पड़ेगा। भारत में सिर्फ छाया चंद्र ग्रहण होने से इसका अधिक महत्व नहीं है। परंतु पूर्णिमा की वजह से इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व रहेगा।

तीर्थ स्नान का महत्व

पंडित प्रथम शर्मा ने बताया कि वैसे तो हर महीने में पूर्णिमा तिथि पड़ती है लेकिन पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। चंद्रमा के साथ-साथ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है। इस दिन व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। वरुण देव को प्रणाम कर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा कर पाना संभव नहीं हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल छिड़क कर स्नान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। इस दिन दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों को जरूर बांटे।


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