CBI ने रोहतक में सेंट्रल GST अधिकारियों को फंसाने का चार दिन पहले बुन लिया था जाल
सीबीआई ने 14 अगस्त को रोहतक में टैक्स चोरी कर रुपये ऐंठने के मामले में छापेमारी की थी। इस दौरान एक आरोपित को 65 लाख समेत रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। तीन भागने में सफल हो गए थे
रोहतक [ओपी वशिष्ठ] सोनीपत की एक दवा कंपनी से रिश्वत के मामले में सीबीआइ(केंद्रीय जांच ब्यूरो) और एंटी करप्शन ब्रांच(भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) की रोहतक के केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर विभाग(जीएसटी) विभाग में शनिवार को छापेमार कार्रवाई हुई। विभाग के दो सुपरिंटेंडेंट(अधीक्षक) व दो निरीक्षकों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। सेक्टर-3 निवासी अधीक्षक कुलदीप हुड्डा को गिरफ्तार कर लिया है। 27 घंटे चली जांच में करीब 65 लाख रुपये और जेवरात बरामद किए हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआइ) अधिकारियों ने सेंट्रल जीएसटी रोहतक में रिश्वतखोर अधिकारियों को फंसाने के लिए चार दिन पहले ही जाल बुन लिया था। शुक्रवार को योजनाबद्ध् तरीके से छापा मारकर मामले का पटाक्षेप भी कर दिया। हालांकि एक ही आरोपित मौके पर गिरफ्तार हो पाया, तीन अन्य भागने में कामयाब हो गए। लेकिन जो सुबूत एकत्रित किए हैं, उसके आधार पर आरोपितों को मामले से बच निकलना संभव नहीं दिख रहा है। सीबीआइ ने आरोपितों के खिलाफ 36 पेज की एफआइआर दर्ज की है।
जासूसी कैमरे से एकत्रित किए सभी सुबूत
सोनीपत के राई स्थित रिसर्च मेडिसन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कालरा और डायरेक्टर चंद्र सिंह से सेंट्रल जीएसटी आयुक्त कार्यालय के दो इंस्पेक्टर और दो सुपरिटेंडेंट ने रिश्वत फाइल निकालने की एवज में मांगी थी। मनोज कालरा ने इसकी शिकायत 9 अगस्त को सीबीआइ (एसीबी)के एसपी को दी। मनोज और चंद्र सिंह को 10 अगस्त को सीबीआइ कार्यालय चंडीगढ़ में बुलाया। दोनों को योजनाबद्ध ढंग से जासूसी कैमरे और डीवीआर लगाकर रोहतक आयुक्त कार्यालय में भेजा, जो चारों से अलग-अलग कैबिन में मिले और बातचीत की। सभी बातचीत और अन्य गतिविधियों को कैमरे में कैद कर लिया गया। 13 अगस्त को छह लाख रुपये देना तय हुआ। लेकिन एक आरोपित ने खुद 14 अगस्त को सोनीपत में आकर रुपये खुद लेने की बात कही। 14 अगस्त को चारों आरोपित दो गाडिय़ों में रुपये लेने राई पहुंचे। इसके बाद सीबीआइ ने अपना काम शुरू कर दिया और अपने बुने हुए जाल में फंसा लिया।
अब बड़े अधिकारी भी आ सकते हैं लपेटे में
सीबीआइ की छापेमारी में यह बात भी सामने आई है कि जिन आरोपितों के नाम रिश्वत के मामले में सीधे तौर पर सामने आए हैं, अब वे विभाग के अन्य अधिकारियों को भी लपेटे में लेने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जाता है कि एक आरोपित ने कबूला है कि रिश्वत की राशि में उनके अलावा बड़े अधिकारियों का हिस्सा भी रहता था। हाालांकि सीबीआइ ने अभी तक उनके नाम उजागर नहीं किए हैं। आयुक्त कार्यालय में दो दिन से अवकाश था। हालांकि रविवार को कई बडे अधिकारी सीबीआइ रेड की कार्रवाई के बाद पहुंचे हैं। सोमवार को इस मामले में बड़े स्तर पर जांच की जा सकती है।
शिकायकर्ता की बात और जांच अधिकारी की रिपोर्ट एक सामने दिखी
सीबीआइ ने जो एफआइआर दर्ज की है, उसमें शिकायतकर्ता की बात और जांच अधिकारी की रिपोर्ट समान है। सीबीआइ के इंस्पेक्टर नरेश कुमार ने एफआइआर में अपनी जो जांच प्रस्तुत की है, उसमें सभी वहीं तथ्य रखे गए हैं, जो दवा कंपनी के एमडी मनोज कालरा और डायेरक्टर चंद्र सिंह ने सीबीआइ में शिकायत में कहा था। 36 पेज की एफआइआर में पूरा मामला सेंटर जीएसटी आयुक्त कार्यालय में तैनात इंस्पेक्टर रोहित मलिक व प्रदीप तथा सुपरिटेंडेंट कुलदीप हुड्डा और गुरविंदर सिंह के इर्द-गिर्द घूम रहा है। हालांकि एफआइआर के अलावा एक अन्य बड़े अधिकारी का नाम भी सामने आया है, जिसे एफआइआर में शामिल किया जा सकता है।
शिकायकर्ता ने यह बताई पूरी कहानी
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया है कि मेरी तरफ से जीएसटी का रिटर्न सही भरा गया। इसके दस्तावेज भी दिखाए गए। रिश्वत लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की। 10 अगस्त को चंडीगढ़ सीबीआइ और एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत दी गई थी। इसलिए सीबीआइ 11 अगस्त से ही जीएसटी के अधिकारियों को पकडऩे की तैयारी में थी। दो गाडिय़ों में दो-दो व्यक्ति बैठे हुए थे। रिश्वत की रकम लेने के लिए सोनीपत एक गाड़ी में आरोपित अधीक्षक कुलबीर हुड्डा एक अन्य व्यक्ति के साथ पहुंचा था। जब वह वहां से भाग खड़े हुए तो सीबीआइ भी छापेमारी करने पहुंच गई। रोहतक के सेक्टर-3 निवासी सुपरिटेंडेंट कुलदीप के अलावा सुपरीटेंडेंट गुरविंदर सिंह सोहल दिल्ली, सेक्टर-3 निवासी रोहित मलिक इंस्पेक्टर व प्रदीप इंस्पेक्टर बहादुरगढ़ के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। साथ ही इनके आवासों पर छापेमारी भी की गई।