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अब नहीं छुपा सकेंगे प्रॉपर्टी की जानकारी, फोटो के साथ सेटेलाइट इमेज बनेगी यूजर आइडी

शहर में अब कोई रिहायशी और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की गलत डिटेल निगम में जमा नहीं करा सकेगा

By Edited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 11:02 AM (IST)
अब नहीं छुपा सकेंगे प्रॉपर्टी की जानकारी, फोटो के साथ सेटेलाइट इमेज बनेगी यूजर आइडी
अब नहीं छुपा सकेंगे प्रॉपर्टी की जानकारी, फोटो के साथ सेटेलाइट इमेज बनेगी यूजर आइडी

जेएनएन, हिसार : शहर में अब कोई रिहायशी और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की गलत डिटेल निगम में जमा नहीं करा सकेगा। जैसे पिछले दिनों जीआइएस कंपनी और नगर निगम के अधिकारियों के रिकॉर्ड मिलाने के दौरान सामने आया था। कॉमर्शियल प्रोपर्टी धारकों ने रिहायशी प्रोपर्टी निगम में दिखाई हुई थी। जब अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दी, तब सच्चाई सामने आई। अब ऐसा देखने को नहीं मिलेगा। क्योंकि शहरी स्थानीय विभाग ने हिसार में प्रोपर्टी टैक्स सर्वे, डाटा अपडेट आदि का टेंडर याशी कंपनी को दे दिया है। कंपनी के अधिकारियों ने तीन दिन पहले चंडीगढ़ में अधिकारियों के सामने प्रजेंटेशन दी और विभिन्न निगमों के अधिकारियों के सामने आने वाली परेशानियों के संबंध में जाना।

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ऐसे में नवंबर में कंपनी की ओर से सर्वे आदि प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने चार साल के लिए कंपनी को टेंडर दिया है। चार साल के अंदर नगर निगम में प्रॉपर्र्टी टैक्स भरने की प्रक्रिया इस तरह की बना दी जाएगी, जिससे लोगों को निगम के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार के डिजिटल इंडिया के सपने को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन सिस्टम को बेहतर बनाया जाएगा। जिसके लिए सेटेलाइट और जीपीएस सिस्टम की मदद ली जाएगी।

 दो लाख से ज्यादा होगी प्रॉपर्टी आइडी, करोड़ों का होगा लाभ
नगर निगम के आखिरी सर्वें के अनुसार शहर में एक लाख 30 हजार प्रोपर्टी आइडी हैं। इसमें कॉमर्शियल 30 फीसद और 70 फीसद रिहायशी है। अधिकारियों के अनुसार नया सर्वे व डाटा अपडेट होने पर दो लाख से ज्यादा प्रॉपर्र्टी हो जाएगी और कॉमर्शियल प्रोपर्टी में बड़ी संख्या में इजाफा होगा। इसकी मुख्य वजह शिक्षण संस्थान, पीजी, दुकानों आदि का बडे़ स्तर पर निर्माण माना जा रहा है। रिहायशी इलाकों में 50 फीसद तक कॉमर्शियल एक्टिविटी चल रही हैं। ऐसे में जहां नगर निगम को 14 करोड़ रुपये सालाना प्रोपर्टी टैक्स मिलता है। नये सर्वे और डाटा अपडेट के बाद दोगुना हो जाएगा।

 यह होगा एजेंसी का काम
टेंडर के अनुसार कंपनी को चार साल का ठेका दिया गया है। . कंपनी को घर-घर जाकर प्रॉपर्र्टी, सड़क, कालोनियों और लाइसेंस का सर्वे करना होगा। कंपनी को खाली पड़ी भूमि, वाणिज्यिक, संस्थाओं और औद्योगिक भवनों का रिकॉर्ड बनाना होगा। . कालोनियों और सड़कों के ऑनलाइन कोड बनाने होंगे। . प्रॉपर्र्टी के पास खड़े होकर मोबाइल सॉफ्टवेयर से पूरा डाटा अपडेट करना होगा। . डेटा बेस सिस्टम तैयार करना होगा। . सारे डेटा को ऑनलाइन अपडेट करना होगा। . सालों बाद कंपनी घरों पर नंबर लगाने का काम करेगी। . डेटा सर्वे करने के बाद मौजूदा प्रॉपर्र्टी डेटा के साथ मिलान किया जाएगा और विश्लेषण किया जाएगा। . संपत्ति की लिस्ट बनाने और बिल तैयार करने सहित कई अन्य काम भी कंपनी को करने होंगे। . बिल के अंदर तीन साल की डिटेल दी जाएगी।

जनता के सामने ये आती हैं मुख्य परेशानियां
हाउस टैक्स आइडी सही न होना। . प्रोपर्टी के पुराने बिल होने के बावजूद आइडी सही न होना। प्रॉपर्र्टी ठीक करवाने के बाद गलत बिल मिलना। ऑनलाइन प्रॉपर्र्टी डिटेल न मिलना। रिहायशी को कॉमर्शियल और कॉमर्शियल को रिहायशी दर्ज किया जाना बिल भरने के बाद भी एरियर जुड़कर बिल आना। . मकान मालिक का नाम गलत होना।

टेंडर देने पर हुआ कांट्रेक्ट कैंसिल
नगर निगम ने जीआइएस कंपनी को बिल बांटने का टेंडर दिया हुआ था। चंडीगढ़ से टेंडर जारी होने पर जीआइएस के टेंडर को तुंरत प्रभाव से कैंसिल कर दिया गया। कंपनी के सदस्यों ने दो महीने तक निगम अधिकारियों के साथ मिलकर डाटा अपडेट करवाया था। साथ ही बिल बांटने को लेकर फार्मेट तैयार कर फाइनल करवाने की तैयारी थी। मगर, याशी को टेंडर देने के बाद जीआइएस को कैंसिल कर दिया है।

नगर निगम के टैक्स सुपरिंटेंडेंड पृथ्वी सिंह ने बताया कि चंडीगढ़ में विशेष बैठक हुई थी। जिसमें कंपनी को चार साल के लिए प्रॉपर्र्टी टैक्स के सर्वे आदि प्रक्रिया को लेकर टेंडर दिया गया है। उम्मीद है कि नवंबर माह में कंपनी अपना काम शुरू कर देगी। शहरी रिहायशी और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में बड़े स्तर पर इजाफा होगा। इससे निगम का प्रॉपर्र्टी टैक्स दोगुना होने की उम्मीद है।


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