सोशल मीडिया से ली जानकारी, मणिपुर से लाए बीज, गुराना के कुलबीर कर रहे काले चावल की खेती
कुलबीर के अनुसार कृषि मंत्री ने वादा किया था कि वह जब हिसार आएंगे तो काले चावल की खेती जरूर देखेंगे।
सुनील मान, नारनौंद : भारत में काले चावल की खेती पहली बार आसाम में शुरू की गई थी। आसाम के नौजवान किसान उपेंद्र राव ने साल 2011 में शुरुआत की थी। उसके बाद काले चावल की खेती को आसाम सरकार ने बढ़ावा दिया। कृषि विज्ञान केंद्रों ने गांव में किसानों को प्रेरित किया। ताकि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके। वहीं काले चावल के गुण और मार्केट वैल्यू ने इसे बढ़ावा देने में सहयोग किया। काले चावल की जैविक खेती करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की सरकार प्रेरित कर रही है। साल 2017 में पंजाब के किसानों का काले चावल ने अपना ध्यान खींचा। पंजाब में जहां काले चावल की खेती बढ़ रही है। वहीं अब प्रदेश के किसान काले चावल की जैविक खेती को अपनाने लगे हैं। क्योंकि साधारण काले चावल की कीमत 200 से 250 रुपये किलो है, वहीं जैविक काले चावल की कीमत 700 रुपये किलो आंकी गई है।
नारनौंद के गांव गुराना के किसान कुलबीर ने चावल पर आने वाले खर्च और जमीन को पेस्टीसाइड से हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए काले चावल की खेती करने का निर्णय लिया। कुलबीर सोशल मीडिया के माध्यम से काले चावल की खेती संबंधी जानकारी मिली। इसके बाद कुलबीर ने मणिपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के साथ संपर्क साधा और स्वयं जाकर काले चावल का बीज लेकर आया। कुलबीर ने दावा किया कि वह मणिपुर से वैरायटी लाने वाला और काले चावल की खेती करने वाला पहला किसान है। कुछ समय पहले कुलबीर ने चंडीगढ़ में कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को काले चावल की खेती के बारे में बताया था और गुराना आने की अपील की थी। कुलबीर के अनुसार कृषि मंत्री ने वादा किया था कि वह जब हिसार आएंगे तो काले चावल की खेती जरूर देखेंगे। कुलबीर ने बताया कि काले चावल की पैदावार को लेकर वीडियो कॉंफ्रे¨सग के माध्यम से मणिपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और अधिकारियों से बातचीत करता है। काले चावल की खासियत लुभा रही किसानों को
काले चावल की खेती से किसानों को लाभ होना तय होता है। भले ही काले चावल का बाजार अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। काले चावल की खेती जैविक प्रक्रिया पर आधारित है। जहां सामान्यत: एक एकड़ के अंदर किसानों को पेस्टीसाइड पर कम से कम 20 हजार रुपये का खर्च करना पड़ता है। वहीं काले चावल में यह खर्च मात्र 5 से छह हजार रुपये आता है। इससे किसानों का वक्त , धन और स्वास्थ्य तीनों की बचत होती है। अन्य चावलों के मुकाबले काले रंग के चावल खाने से ब्लड प्रेशर व डायबिटीज का इलाज संभव है। क्योंकि काले चावल में एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होते हैं। यह है लाभ
. 1121 - 3300 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल
. शबनम - 3700 रुपये प्रति ¨क्वटल के आसपास
. काला चावल - 20 से 25 हजार रुपये प्रति क्विंटल
. प्रति एकड़ काला चावल - 16 क्विंटल के आस पास
खेती पर खर्च
. काला चावल - पांच से छह हजार रुपये
. अन्य चावल - 15 से 20 हजार रुपये पेस्टीसाइड व 10 हजार रुपये अन्य खर्च। काले चावल की गुणवत्ता
- 100 ग्राम काले चावल में
- कार्बोहाईड्रेट-34,
- प्रोटीन-8.7,
- आयरन-3.5,
- फाइबर-4.9 और सर्वाधिक एंटी ऑक्सिडेंट।
स्वाद में नहीं है कोई कमी
काले रंग को देखते चावल खाने वाले व्यक्ति को लगते है कि काले चावल का स्वाद बेहतर नहीं होगा। हकीकत में काले चावल में किसी भी दूसरे चावल की तुलना में सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा अन्य पोष्क तत्वों के कारण काले चावल के स्वाद भी बेहतर होता है। मुझे जब काले चावल की जानकारी मिली तो मैंने मणिपुर के कृषि मंत्री से संपर्क किया। उन्होंने मुझे मणिपुर कृषि विभाग के विस्तार निदेशालय से संपर्क साधने को कहां। जिसके बाद मैं स्वयं जाकर मणिपुर कृषि विभाग से बीज लेकर आया। काले चावल की पैदावार को लेकर एचएयू के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। उन्होंने मेरी मदद चावल उगाने में की। मणिपुर कृषि विभाग के विस्तार निदेशालय के अफसर हर सप्ताह विडियो कांफ्रें¨सग के जरिए इस चावल की फसल का जायजा लेते रहते हैं। सितंबर महीने के अंतिम सप्ताह में इसकी फसल तैयार हो जाएगी।
- कुलबीर ¨सह बूरा, किसान